छत्तीसगढ़ – गांव का लड़का मीनसागर सोरी अपने जैसे सैकड़ों-हजारों युवाओं के लिए एक मिशाल बन गया
छत्तीसगढ़ ; गांव का लड़का मीनसागर सोरी अपने जैसे सैकड़ों-हजारों युवाओं के लिए एक मिशाल बन गया
अपनी कामयाबी को लेकर मीनसागर सोरी कहते हैं कि- गांव में रहने के दौरान कभी-कभार आसमां की ओर गुजरते हवाई जहाज को देखने के बाद यह जिज्ञासा होती थी कि कभी इसे नजदीक से देखने का मौका मिलेगा भी या नहीं. कभी इसे छू पाउंगा भी या नहीं. लेकिन यही हवाई जहाज मेरे बेहद करीब है. इसका हर एक पार्ट्स मेरी हाथों में है.
मीनसागर सोरी की कामयाबी की कहानी को समझनी है, तो उसके गांव ताराझर चलना होगा. गरियाबंद जिले के मैनपुर विकासखंड से 14 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ों पर बसा है ताराझर. सांसें भरने वाले उतार-चढ़ाव भरा सफर है इस गांव का. घनघोर जंगली इलाके से गुजरते हुए खत्म होता है ताराझर गांव का सफर. महज 22 परिवारों के इस छोटे से गांव में ही है मीनसागर सोरी का घर. सरकारी रिकार्ड में बीते 15 सालों से गांव में प्राइमरी स्कूल तो हैं, लेकिन न तो पढ़ाने के लिए शिक्षक हैं और न ही बैठने के लिए भवन. यहां पढ़ने वाले बच्चे रोजाना पहाड़ों से उतरकर कुल्हाड़ीघाट के तराई में बसे गांव जिड़ार के आदिवासी आश्रम में आकर पढ़ते हैं. इसी आदिवासी आश्रम से ही मीनसागर सोरी ने अपनी प्राइमरी स्कूल की शिक्षा पुरी की. मैनपुर के सरकारी स्कूल से गणित विषय लेकर 12 वीं की पढ़ाई की. सरकार की निःशुल्क कोचिंग योजना ने उसे खूब तराशा. यही वजह रही कि मीनसागर न केवल बोर्ड की परीक्षा में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण होने वाला पहला जनजाति छात्र बना, बल्कि एआईईईई की परीक्षा में भी चुना गया.12 वीं की परीक्षा पास करने के बाद मीनसागर सोरी ने इंजीनियर बनने की ठानी. सपना बड़ा था और उसे पूरी करने के लिए सामने आ रही चुनौतियां उससे भी ज्यादा बड़ी थी. लेकिन कहते हैं कि जब इरादा फौलादी हो, तो बड़ी से बड़ी अड़चनें दूर हो जाती है. कुछ ऐसा ही हुआ मीनसागर सोरी के साथ. राज्य सरकार की आदिवासी शिक्षा ऋण योजना के तहत मीनसागर ने लोन के लिए आवेदन दिया. सरकारी योजना का फायदा मिला और उसे तीन लाख 76 हजार रूपए का लोन मिल गया, जिसके बाद बंगलुरू से एयरक्राॅफ्ट एंड मेंटनेंस इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. आज मीनसागर रायपुर एयरपोर्ट पर इंडिगो एयरलाइंस में असिस्टेंट टेक्नीशियन के पद पर कार्यरत है. आदिवासी ऋण योजना के तहत लिए गए लोन को भी उसे पूरी तरह से चुका दिया है. किसी फ़िल्मी कहानी की तरह मीनसागर सोरी की यह कहानी सुनने में न केवल रोमांचक है, बल्कि दूसरों के सामने एक मिसाल भी है ! मीनसागर की यह कहानी उन युवाओं को टूटने नहीं देगी जिनका चयन प्रतियोगी परीक्षाओं में आज नहीं हो पाया है ! यह कहानी उन असफल युवाओं को जिंदगी के संघर्षों से जूझने की प्रेरणा देगी. हौसला देने वाली है !