पुलिस आंदोलन को भड़काने की बड़ी साजिश बेनकाब, नक्सली समर्थक को राजधानी पुलिस ने किया गिरफ्तार
रायपुर –पुलिस परिवार आंदोलन में साजिश का एक बड़ा राज खुला है। पुलिस को इस बात के पुख्ता सबूत मिल चुके हैं कि पुलिस परिवार आंदोलन में उपद्रव की तैयारी थी। ये राज तब खुला, जब नक्सल समर्थक एक व्यक्ति बरगलाकर रायपुर लायी गयी 130 महिलाओं व युवकों के साथ पकड़ा गया। नक्सल समर्थक का नाम वीरेंद्र कुर्रे है, जो पहले नक्सल समर्थक के आरोप में जन सुरक्षा कानून के तहत जेल जा चुका है…और 2013 में जेके लक्ष्मी प्लांट में आग लगाकर लोगों को भड़काने व पुलिस पर हमला करने वाले प्रदर्शन की अगुवाई करने के मामले में गिरफ्तार हो चुका है। अप्रैल 2013 में जयलक्ष्मी सीमेंट प्लांट में आगजनी, पुलिस वालों पर हमला, थाने में आग लगाने, और जनसुरक्षा समेत कुर्रे के खिलाफ नौ मामले दर्ज हुए थे। इसके खिलाफ उसने हाईकोर्ट में अपील की थी। लेकिन, हाईकोर्ट ने जमानत देने से इंकार करते हुए उसे जनसुरक्षा कानून में चार साल की सजा सुनाई थी। वीरेंद्र कुर्रे सजा काटकर जेल से कुछ कुछ दिन पहले बाहर आया है।
पुलिस ने आज रायपुर में वीरेंद्र कुर्रे को उसके कुछ साथियों और 130 ग्रामीण महिलाएं-पुरूषों के साथ आंदोलन स्थल पर पकड़ा गया। ये वो ग्रामीण थी, जिन्हें गिरौदपुरी दर्शन कराने का झांसा देकर दल्ली राजहरा से लाया गया था। एक ट्रक में भरकर आयी इन महिलाओं को देखकर जब पुलिस को शक हुआ और डूंडा ले जाकर इनसे कड़ाई से पूछताछ की गयी, तो पुलिस परिजनों के आंदोलन में बड़े उपद्रव की साजिश का पता चला।
दरअसल 2013 में पुलिस हमला और ग्रामीणों को भड़काकर जेके लक्ष्मी में आग लगाने वाले घटना का मास्टर माइंड वीरेंद्र कुर्रे ने अपने कुछ लोगों को महिलाओं, ग्रामीणों को ये कहकर इकट्ठा करने को कहा कि वो उन्हें गिरौदपुरी घूमाकर लायेगा। दल्लीराजहरा की ये महिलाएं इस झांसे में बड़ी आसानी से आ गयी। आंखों में धूल झोंकने के लिए जिस ट्रक से लाने की बात कही गयी, उसमें जय सतनाम जैसे नारे लिखे गये। गाड़ी में सभी को बैठाकर जब कुछ दूर वो चले तो फिर उन्हें बताया कि वो रायपुर उन्हें ले जायेगा और वहां पुलिस परिवार के आंदोलन में शामिल होगा।
बदकिस्मति की बात ये रही कि वीरेंद्र कुर्रे की गाड़ी तब धरनास्थल पर पहुंची, जब काफी भीड़ कम हो गयी थी, एक ही गाड़ी से इतने सारे ग्रामीणों को देखकर पुलिस को शक हुआ और फिर जब कड़ाई से पूछताछ हुई, तो राज खुला की ये पुलिस परिवार आंदोलन में उपद्रव की तैयारी में थे।
आपको बता दें कि वीरेंद्र कुर्रे पर नक्सलियों के शहरी नेटवर्क का हिस्सा होने का आरोप लगा था, 2013 में उसके पास से नक्सली साहित्य भी मिला था, वहीं एक कागज मिला था, जिसमें ये लिखा की शहरों में 2 लाख मेंबर बनाने हैं।
वीरेंद्र कुर्रे के खिलाफ आजाद चौक पुलिस ने धारा 124एक, भादवि धारा 03, पुलिस द्रोह उद्दीपन अधिनियम 1922 के तहत अपराध दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपी पहले तो कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं हुआ लेकिन, दबाव पड़ने पर वह टूट गया। उसने बताया कि उसकी पुलिस आंदोलन को तेज करने की योजना थी। प्लान था कि एक बार धरना शुरू करके उसे लंबा खींचा जाए। उसका मानना था कि एक बार धरना चालू हो जाता तो बाद में यह पूरे प्रदेश में फैल जाता। लेकिन, उसकी कोशिश बेनकाब हो गई।