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भूमाफिया ने बेची 20 करोड़ की सरकारी जमीन, 27 ने बना लिए मकान, सब अवैध

रायपुर -गुढ़ियारी कोटा कालोनी में भूमाफियाओं ने 20 करोड़ से ज्यादा कीमत की एक लाख वर्गफीट से ज्यादा सरकारी जमीनें ही लोगों को बेच दी। मेड़ और धरसे की भूमि को संकरा कर सड़क किनारे दो-दो हजार वर्गफीट जमीन की प्लाटिंग कर दी गई। बेचने वालों को मालूम था कि वे सरकारी जमीन बेच रहे हैं, लेकिन खरीदने वालों को इसका पता नहीं चल पाया। कुछ लोगों को जमीन खरीदने के बाद पता चला तो उन्होंने भी चुपचाप दूसरों को प्लाट बेच दिए। इन प्लाट्स पर 27 लोगों ने लाखों रुपए खर्च करके मकान बनाए। इधर, प्रशासन ने जांच के बाद पूरी जमीन को सरकारी बताकर इसे खरीदनेवालों को अवैध कब्जेधारी करार दिया है। सभी 27 परिवारों को कब्जे से नोटिस दिए गए तो उनके पैरों तले जमीन खिसक गई है। इस मुद्दे पर पूरे इलाके में राजनीति भी तेज हो गई है। हालांकि ज्यादातर का कहना है कि जिन लोगों ने जमीन बेची है, कार्रवाई उनके खिलाफ की जानी चाहिए। कोटा कालोनी में भूमाफिया ने सरकारी जमीन को बेचने का यह कारनामा पिछले एक दशक में किया। इन लोगों ने सरकारी जमीन को नक्शे में अपनी बताकर लोगों को प्लाट काटकर दे दिए। जिन 27 घरों के आसपास की जमीन प्रशासन ने नाप ली है, वह पूरा चक सरकारी था। लेकिन जमीन खरीदनेवाले ज्यादातर को नहीं पता था कि वे सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करवा रहेहैं। बाद में कुछ लोगों को पता चल गया था कि उन्होंने सरकारी जमीन की रजिस्ट्री करवा ली है। बचने के लिए उन लोगों ने दूसरों का अपना प्लाट बेच दिया। दो-तीन प्लाट की तीन-तीन बार रजिस्ट्री हो गई।

अंत में, पिछले तीन-चार साल के भीतर सभी 27 लोगों ने दो-तीन मंजिला मकान बनाए, क्योंकि लोकेशन अच्छा है। इस बीच, करीब दो साल पहले नगर निगम के नगर निवेश विभाग को सूचना मिली कि सरकारी जमीन न सिर्फ बेच दी गई, बल्कि वहां कालोनी बन गई है। तब निगम ने ऑफिशियली यह शिकायत कलेक्टर से की और सीमांकन की मांग की। कलेक्टर ने रायपुर तहसीलदार को आदेश दिए कि मामले की जांच की जाए। सीमांकन और जांच के बाद दी गई रिपोर्ट में खुलासा किया कि भूमाफिया ने 27 लोगों को लगभग एक लाख वर्गफीट सरकारी जमीन ही बेच डाली है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 27 खरीदारों में चार-पांच लोग की जमीन का आंशिक हिस्सा सरकारी और बाकी सभी का पूरा सरकारी है। सरकारी जमीन पर कब्जे का रकबा ही 0.936 हेक्टेयर (100750.2 वर्गफीट) है। अफसरों के मुताबिक कोटा के पास इस लोकेशन पर इतनी जमीन का बाजार मूल्य अभी 20 करोड़ रुपए से अधिक है।

घर बनाने वाले संकट में-
तहसीलदार, पटवारी और राजस्व विभाग के अफसरों ने 12 जुलाई 2019 को कोटा में इस पूरे प्लाॅट का सीमांकन किया। सीमांकन में पाया गया कि सरकारी जमीन खसरा नंबर 150 बटा 3 पर 27 लोगों का अवैध कब्जा है। विभिन्न चौहद्दियों को आधार लेते हुए किए गए सीमांकन में अलग-अलग व्यक्तियों का सरकारी जमीन पर पृथक-पृथक अवैध कब्जा है। कुछ ने पक्के निर्माण कर लिए हैं। कुछ ने बाउंड्री बना ली है तो कुछ ने जमीन पर निर्माण शुरू किया है। जिला प्रशासन ने सभी कब्जेधारियों को नोटिस जारी कर बताया है कि उन्होंने कितनी-कितनी सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जा और निर्माण किया है।

“हमारी शिकायत पर सीमांकन हुआ और रिपोर्ट से सिद्ध हो गया कि सरकारी जमीन ही लोगों को बेच दी गई। इसमें जमीन बेचने वाले दोेषी हैं। कुछ ऐसे लोग हैं जो दलालों के चक्कर में फंस गए हैं। इस मामले में बेगुनाह लोगों के प्रति शासन का रुख संवेदनात्मक होना चाहिए।”
-श्रीकुमार मेनन, चेयरमैन नगर निवे‌श विभाग

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