उत्तर बस्तर (कांकेर) : खेल दिवस के अवसर पर सद्भावना दौड को पुलिस अधीक्षक श्री के.एल. ध्रुव ने हरी झण्डी दिखाकर दौड को रवाना किया। प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी खेल एवं युवा कल्याण विभाग के उपलक्ष्य में सद्भावना रैली का आयोजन किया गया। कलेक्टर सुश्री रानू साहू के निर्देशन में जिले के गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति में 29 अगस्त को प्रातः 8 बजे शासकीय नरहरदेव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कांकेर के खेल मैदान से प्रारंभ होकर राष्ट्रीय राजमार्ग ऊपर-नीचे रोड से होते हुए भारतीय स्टेट बैंक, गिल्ली चौक, पुराना बस स्टैंड, शासकीय कोमलदेव जिला चिकित्सालय कांकेर के पास जय स्तंभ चौक तक जाकर पुनः उसी मार्ग से वापस पुराना बस स्टैंड, गिल्ली चौंक, भारतीय स्टैट बैंक ऊपर-नीचे से दौडते हुए शासकीय नरहरदेव उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कांकेर के खेल मैदान में समाप्त हुआ।
ध्यानचन्द का जन्म 29 अगस्त 1905 को इलाहबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था वे कुशवाहा मौर्य परिवार के थे। 3 दिसम्बर 1979 को उनका देहान्त 74 वर्ष की आयु में हो गया। 1956 में भारत के दूसरे सबसे बडे सम्मान पद्म भूषण से ध्यानचन्द जी को सम्मानित किया गया था। उनके जन्म को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचन्द के सम्मान में डाक टिकट शुरू की गई थी। दिल्ली में ध्यानचन्द के नाम से स्टेडियम का निर्माण कराया गया है,ध्यानचन्द जी हॉकी के महान खिलाड़ी थे। दुनिया उन्हे हॉकी के जादूगर के नाम से नवाजा था। वे विश्व के महान् हॉंकी खिलाड़ी थे ध्यानचन्द को अपने अलग तरीके से गोल करने के लिए याद किया जाता है। उन्होंने भारत को तीन बार ओलम्पिक में स्वर्ण पदक सन् 1928 में एम्सटर्डन,1932 में लांस एंजेल्स और 1936 में बर्लिन में दिलाया था। उस समय भारतीय हॉकी टीम दुनिया की सर्वश्रेष्ठ टीम हुआ करती थी। ध्यानचन्द का गेंद में पकड़ बहुत अच्छी थी इसलिए उन्हें दी जिार्ड कहा जाता था। ध्यानचन्द ने अपने अन्तर्राष्ट्रीयखेल के सफर में 400 ये अधिक गोल किये थे। उन्होंने अपना अन्तिम अन्तर्राष्ट्रीय मैच 1948 में खेला था। 42 वर्ष की आयु में हॉकी से सन्यास ले लिया था। ध्यानचन्द जी को अनेक अवार्ड पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
इस अवसर पर अपर कलेक्टर एम.आर चेलक, संयुक्त कलेक्टर श्री सी.एल मार्कण्डेय, डिप्टी कलेक्टर सी.एल ओंटी, सहायक आयुक्त श्री के.पी.ध्रुव, पत्रकारगण, छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।