चरण में एनडीआरएफ को नहीं मिली बच्ची की लाश, मंगलवार को चलाएंगे फाइनल सर्च ऑपरेशन
सूरजपुर से नरेंद्र जगते की रिपोर्ट
सूरजपुर- रकसगंडा जलप्रपात में 8 वर्षीय मानवी ठक्कर की जल समाधि के 1 सप्ताह बाद बच्ची की लाश ढूंढने एनडीआर फोर्स द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन मानवी के पहले चरण में टीम को कोई सफलता नहीं मिल पाई। रिस्पांस फोर्स के द्वारा पुनः मंगलवार को अंतिम दौर का सर्च ऑपरेशन किया जाएगा।गौरतलब है कि सूरजपुर जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल रकसगंडा जलप्रपात में पिछले 20 जनवरी को मध्य प्रदेश जयंत कालरी निवासी 8 वर्षीय बालिका मानवी ठक्कर की जलसमाधि हो गई थी। स्थानीय स्तर पर तलाशी के बाद भी बच्ची की लाश ना मिलने पर राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल एनडीआर फोर्स की उड़ीसा इकाई की 18 सदस्यिय टीम ने यहां पहुंचकर सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। सर्च ऑपरेशन के प्रथम चरण में जारी प्रयास से रिस्पांस फोर्स के सदस्यों को कोई सफलता नहीं मिली है।3
मंगलवार को चलेगा फाइनल सर्च ऑपरेशन – राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल की 18 सदस्यीय टीम के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने वाले उड़गी एसडीओपी डॉ ध्रुवेश जायसवाल ने बताया कि सोमवार को अपरान्ह 5 बजे तक मानवी ठक्कर की तलाशी हेतु प्रथम चरण का सर्च ऑपरेशन चलाया गया, इस सर्चिंग में मानवी ठक्कर का शव नहीं मिल पाया है। मंगलवार 29 जनवरी को पुनः सर्चिंग की जाएगी और यह फाइनल सर्च ऑपरेशन होगा। रिस्पांस फोर्स को पूरा यकीन है कि यदि लाश यहां होगी तो अंतिम दौर के ऑपरेशन से टीम उसे ढूंढ निकालेगी।सिंगरौली कलेक्टर ने उपलब्ध कराई पोकलेन – एसडीओपी डॉ ध्रुवेश जायसवाल ने बताया कि सर्च ऑपरेशन के लिए जब रिस्पांस फोर्स ने पोकलेन और हाइड्रा की मांग की तो मप्र सिंगरौली के कलेक्टर अनुराग चौधरी ने तत्काल पोकलेन और हाइड्रा वाहन रकसगंडा जलप्रपात के समीप भेज दी। उन्होंने बताया कि इस सर्च ऑपरेशन में छत्तीसगढ़ शासन के साथ साथ मध्य प्रदेश के सिंगरौली कलेक्टर और विंध्य नगर थाना प्रभारी अरुण पांडे बालेंद्र त्यागी और वहां के राजस्व निरीक्षक आशीष तिवारी के द्वारा सक्रिय सहयोग प्रदान किया जा रहा है आवश्यक संसाधन भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का भी मिल रहा सहयोग – मासूम बालिका मानवी ठक्कर की तलाश के लिए स्थानीय स्तर पर भी ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का भरपूर सहयोग मिल रहा है एसडीओपी डॉ ध्रूवेश जायसवाल ने बताया कि स्थानीय स्तर पर वेट की बोरियां भरने से लेकर तटबंधान तक में ग्रामीणों की भूमिका सराहनीय रही है और उनके सहयोग से ही जलप्रपात के तेज प्रवाह को 90 प्रतिशत कम कर लिया गया!