कुपोषण दूर करने निर्धारित पांच लक्ष्यों का पालन सुनिश्चित करें-कलेक्टर श्री शरण
बैठक में बताया गया बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए दो साल होता है बहुत खास
कवर्धा- कबीरधाम जिले के बैगा एंव आदिवासी बाहूल विकासखण्ड बोडला और पंडरिया सहित कवर्धा और सहसपुर लोहारा विकासखण्ड में संचालित आंगनबाड़ी में दर्ज बच्चांं को कुपोषण जैसे गभीर बीमारियों से मुक्त करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे है। कलेक्टर श्री अवनीश कुमार शरण ने आज यहां जिला कार्यालय में महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य सहित विभिन्न विभागों की साझा बैठक लेकर आगामी दो अक्टूबर से राज्य शासन द्वारा शुरू होने वाले मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की तैयारियों और केन्द्र की संचालित पोषण अभियान की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्दे्रेश दिए। कलेक्टर ने आंगनबाडी बच्चों को प्रदाय की जाने वाले पोषण आहार रेडीटूईट की उपयोगिता और उनके वैल्यू एडिशन पर भी विशेष जोर देते हुए कहा कि रेडीटूईट पाउडर में पोषण आहार के प्रमुख स्त्रोत है, इसलिए इस पाउडर से हलवा, खुरमी, चिला सहित अन्य व्यंजन तैयार किया जा सकता है। बच्चों के माता-पिता को रेडीटूईट की उपयोगिता के बारे में बतायें और उन्हें जागरूक भी करें। कलेक्टर ने आंगनबाड़ी बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए प्रत्येक माह सभी आंगनबाडी केन्द्रों में हमर सुघ्घर लईका प्रतियागिता आयोजित करने के भी निर्देश दिए। इस प्रतियागिता में स्थानीय जनप्रतिनिधियों और उनके माता-पिता को आवश्यक रूप से शामिल कराए। बैठक में जिला पंचायत अध्यक्ष श्री संतोष पटेल व संबंधित विभागों के अधिकारीगण उपस्थित थे।
बैठक में बताया कि राज्य शासन द्वारा मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत प्रदेश सहित जिले के सभी बच्चों के शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने और कुपोषण जैसे गंभीर बीमारियो ंसे दूर रखने के लिए प्राथमिकता में शामिल किया गया है। कलेक्टर श्री शरण ने बैठक में निर्देशित करते हुए कहा कि आंगनबाडी बच्चों को स्वस्थ्य रखने के लिए और कुपोषण को दूर करने के लिए निर्धारित पांच लक्ष्यों को आंगनबाड़ी में पालन सुनिश्चित कराए। इन पांच लक्ष्यों में बच्चों के बौनेपन की रोकथाम एवं बचाव, बच्चों में कुपोषण की रोकथाम व बचाव, छोटे बच्चों में रक्त की कमी की समस्या में कमी लाना, 15 वर्ष से 49 वर्ष की महिलाओं एव किशोरियों में रक्त की कमी की समस्या दूर में कमी लाना और नवजात शिशु की जन्म के समय वजन में कमी की समस्या को दूर करना शामिल किया गया है। उन्होने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को निर्देशित करते हुए कहा कि वे अपने अनुविभाग के सभी आंगनबाड़ी स्कूल और आश्रमों को सतत निरीक्षण करें और वहां कुपोषण को दूर करने के लिए प्रदाय किए जा रहे पोषण आहार मैनू के आधार पर प्रदाय की जा रही है अथवा नहीं इसको विशेष रूप से निरीक्षण करे। उन्होने पोषण आहार के साथ-साथ इन संस्थानों में स्वच्छता पर विशेष बल देते हुए स्वच्छता पर विशेष सुधार करने के लिए भी निर्देश किया है। उन्होने यह भी कहा कि इस अभियान में सामाजिक सहभागिता और जनप्रतिनिधियों की सहभागिता भी सुनिश्चित कराएं।
उल्लेखनीय है कि कबीरधाम जिले की प्रभारी मंत्री एवं महिला एवं बाल विकास विभाग मंत्री श्रीमती अनिला भेड़िया द्वारा प्रदेश स्तर छत्तीसगढ़ को कुपोषण से मुक्त करने के लिए राष्ट्रीय पोषण माह अभियान को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है। मंत्री श्रीमती भेंडिया ने इस अभियान को ’घर-घर पोषण व्यवहार अपनाबो, सुपोषित छत्तीसगढ़ बनाबो’’ का नारा दिया। सुपोषण रथ छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों के गांवों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में जाकर कुपोषण दूर करने के संबंध में जन-जागरूकता लाने का काम करेगा। इसके तहत शिशु को प्रथम एक हजार दिन तक दिए जाने वाले भोजन, एनीमिया, डायरिया से बचाव, हाथ धुलाई और स्वच्छता के बारे में गांव वासियों को बताया जाएगा और कुपोषण दूर करने के लिए प्रेरित किया जाएगा।
महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी श्री आनंद तिवारी ने संचालित पोषण अभियान की कार्ययोजन के बारे में बताया कि बच्चों के लिए एक हजार दिन सुनहरे पल होते है। पहले एक हजार दिनों में तेजी से बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है, जिसमें गर्भावस्था की अवधि से लेकर और बच्चे के जन्म से दो साल की उम्र तक अवधि शामिल है। इस दौरान उचित स्वास्थ्य, पर्याप्त पोषण, प्यार भरा एवं तनाव मुक्त माहौल तथा सही देखभाल बच्चे का पूरा विकास करने में मदद करता है। इस समय मां और बच्चे को सही पोषण और खास देखभाल की जरूरत होती है। उन्होने बताया कि सही उम्र के लोगों के साथ-साथ बच्चे को 6 माह के होने पर पर्याप्त मात्रा में तरह-तरह का आहार खिलाया जा रहा है। आंगनबाड़ी से मिलने वाला पोषाहार की सेवन पर विशेष जोर दिया जा रहा है। स्थानीय स्वास्थ्य मितानिनों और आंगनड़ी कार्यकर्ताओं अमले द्वारा रेडीटूईट की उपयोग करने के लिए कहा जा रहा है।
बच्चों के शारीरिक विकास और मानसिक विकास के उपाय भी बताए गए
बैठक में बताया गया कि जब बच्चा 6 महीने का हो जाए तो, मां के दूध के साथ घर का बना मसला और गाढ़ा उपरी आहार भी शुरू करने चाहिए। जैसे कद्दू, लौकरी, गाजर, पालक तथा दाल और देना चाहिए। बच्चे के खाने में उपर से एक चम्मच घी, तेल या मक्खन देने चाहिए। बच्चे के खाने में नमक, चीनी और मसाला कम डालें। एक खाद्य पदार्थ से शुरू करें, धीरे-धीरे खाने में विधिता लाएं। बच्चे का खाना रूचिकर बनाने के लिए अलग-अलग स्वाद व रंग शामिल करना चाहिए। बच्चें को बाजार बिस्कुट, चिप्स, मिठाई, नमकीन और जूस जैसी चीजें नहीं खिलाएं। इससे बच्चे को सही पोषक तत्व नहीं मिल पाते।
अनीमिया
अनीमिया से रोकथाम के लिए आयरन, युक्त बाहार जैसे कि दालें, हरी पत्तेदार सब्जियां, पालक, मेथी, सरसों, फल, दूध, दही, पनीर, आदि खिलाएं। खाने में नींबू, आंवला, अमरूद, जैसे खट्टे फल शामिल करें, जो आयरन के अवशोषण में मदद करते हैं। इसके अलावा अलग से आयरन युक्त पूरक लें, जिसमें 6-59 माह के बच्चों हफ्ते में दो बार एक मिली आईएफए सिरप देनी चाहिए। 5-9 वर्ष की आयु में आईएफए की एक पिंक गोली खानी चाहिए। 10-19 वर्ष तक की उम्र में हफ्ते में एक बार आईएफए की नीली गोली खानी चाहिए। गर्भवती महिला को गर्भावस्था के चौथे महीने से रोजाना 180 दिन तक आईएफए की गोली एक लाल गोली खानी चाहिए। कृमिनाश के लिए कीड़े की दवा(एल्बेण्डाजोल) की निर्धारित खुराक खानी चाहिए। जन्म के तुरंत बाद बच्चे की गर्भनाल 3 मिनट बाद की काटें। इससे नवजात बच्चे के खून में आयरन की मात्रा बनी रहती है। सभी उम्र के लोगों की अनीमिया जी जॉच आवश्यक है, ताकि हीमोग्लोबिन के स्तर के अनुसार उसका उपयुक्त इलाज किया जा सकें।
डायरिया
व्यक्तिगत साफ-सफाई, घर की सफाई, आहर की स्वच्छता का ध्यान रखें और डायरिया से बचाव के हमेशा स्वच्छ पानी पीना चाहिए। माताएं 6 माह तक बच्चे को केवल स्तनपान ही करवाएं। कोई और खाद्य पदार्थ यहां तक पानी भी नहीं देना चाहिए वह भी बच्चे में डायरिया का कारण बन सकता है। डायरिया होने पर भी मां को स्तनपान नहीं रोकना चाहिए, बल्कि बार-बार स्तनपान करनाना चाहिए। शरीर को दोबारा स्वस्थ्य बनाने के लिए बच्चे को नियमित रूप से और अधिक भोजन खिलाना चाहिए तथा 6 माह से बड़े बच्चे को ऊपरी आहार के साथ बार-बार स्तनपान करनवाना चाहिए। बच्चे को डायरिया होने पर तुरंत ओ.आर.एस. तथा अतिरिक्त तरल पदार्थ देना चाहिए और जब तक डायरिया पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाए तब तक जारी रखना चाहिए। डायरिया से पीडित बच्चे को 14 दिन तक जिंक देना चाहिए, अगर दस्त रूक जाए तो भी यह देना बंद नहीं करना चाहिए।
स्वच्छता और साफ-सफाई
हमेशा साफ बर्तन में ढक कर रखा हुआ शुद्ध पानी पीना चाहिए, बर्तन को ऊंचे स्थान पर और घंटी भी साथ रखनी चाहिए। अपनी स्वच्छता सुनिश्चित करें, हमेशा खाना बनाने, शौच के बाद, स्तनपान से पहले और बच्चे के मल के निपटान के बाद साबुन और पानी से हाथ अवश्य धोना चाहिए। शौच के लिए हमेशा शौचालय का उपयोग ही करना चाहिए। किशोरी को माहवारी के दौरान व्यक्तिगण साफ-सफाई को अपनाना चाहिए।