कबीरधाम

मेहनत और सूझबूझ से झिरिया का पानी हुआ साफ

अशोक कुमार साहू

कवर्धा- मेहनत और सूझबूझ से इंसान चाहे तो क्या नहीं कर सकता। असंभव कार्य भी संभव हो जाता है। बड़ी से बड़ी समस्या भी चुटकियों में हल हो जाती हैं। ऐसी ही एक समस्या का समाधान, कबीरधाम जिले की भेलकी ग्राम पंचायत के बैगा परिवारों ने अपनी मेहनत और सुझबूझ से कर दिखाया है। इसमें उन्हें मदद मिली है महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से। कल तक बारिश के दिनों में जिस झिरिया (पहाड़ों से बहने वाली एक छोटी जलधारा) का पानी गंदा होकर अनुपयोगी हो जाता था, वह आज इतना स्वच्छ है कि उसमें इंसान का चेहरा भी साफ नजर आता है। भेलकी गाँव के ग्रामीणों ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से मिली राशि से पहाड़ से बह रही प्राकृतिक झिरिया को इस तरह युक्तिपूर्वक चारों तरफ से पक्का निर्माण कर बांधा कि, झिरिया एक कुण्ड में परिवर्तित हो गई और उसके प्राकृतिक प्रादुर्भाव व बहाव की स्थिति में कोई परिवर्तन भी नहीं हुआ। अब झिरिया में बारहों माह 5 से 6 फीट शीतल जल उपलब्ध रहता है। अपनी सुझबूझ से प्राकृतिक जल को संरक्षित करने के बाद, ये बैगा आदिवासी झिरिया के पानी को पीने के अलावा रोजमर्रा के कामों में भी इस्तेमाल कर रहे हैं।

भेलकी गाँव छत्तीसगढ़ राज्य के कबीरधाम जिले के पण्डरिया विकासखण्ड से 45 किलोमीटर दूर पहाड़ों के बीच में बसा हुआ है। इसकी कुल आबादी 1411 है और उसके 3 आश्रित ग्राम अधचरा, तेलियापानी धोबे एवं देवानपट्पर हैं। यहाँ के रहवासी मुख्यतः विशेष पिछड़ी संरक्षित श्बैगाश् जनजाति के हैं। अपनी संस्कृति के अनुरुप ये अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति,प्रकृति के दिये हुये संसाधनों से करते हैं। इस गाँव में ऐसा ही एक संसाधन झिरिया है, जिसके पानी का उपयोग ये आदिवासी परिवार पीने के पानी के लिए और अपने दैनिक कार्यों में करते हैं। बारिश के दिनों में पहाड़ों से बहकर आने वाला पानी अपने साथ मिट्टी या गाद को बहाकर लाता था, जो इस झिरिया के पानी के साथ मिलकर, उसे मटमैला कर देता था, जिससे यह पानी अनुपयोगी हो जाता था। वहीं गर्मी की शुरुआत में ही जल संकट का दौर शुरू हो जाता था। मार्च के महीने में ही पानी की समस्या उत्पन्न होने लगती थी। हालाँकि इस गाँव में हैंडपंप तो हैं, लेकिन अधिकांश हैंडपंप या तो सूख गए होते थे, या किन्हीं कारणों से खराब भी हो जाते थे। इसके चलते इस वनांचल गाँव के बैगा-आदिवासियों को प्यास बुझाने के लिए झिरिया का पानी पीना पड़ रहा था। झिरिया से पानी लेने के लिए वे कटोरीनुमा बर्तन से पानी निकालते थे, घंटों मशक्कत के बाद उन्हें कुछ हांडी पानी ही उपलब्ध हो पाता था। एक या दो लोगों के पानी लेने के बाद झिरिया के कच्चा होने के कारण उसका पानी गंदा हो जाता था। इसके बाद 20 से 25 मिनट के इंतजार के बाद ही झिरिया का पानी साफ हो पाता था।

आने जाने में लग जाता था घंटों समय

पानी के लिए इन बैगा आदिवासियों को दर-दर भटकना पड़ रहा था। इन्हें मजबूरीवश पानी के लिए गाँव से दूर जाना पड़ता था। ऐसे में पानी के लिए ही इन्हें घंटों समय लग जाता था। गाँव के पुरुष और महिलाएँ जान जोखिम में डालकर जंगली रास्तों से होकर पानी की व्यवस्था करते थे।

 

पक्का झिरिया से साफ पानी और मजदूरी, दोनों मिले

ऐसे में एक दिन भेलकी गाँव के आश्रित गाँव देवानपट्पर के घिनवा मोहल्ले में पानी की समस्या को दूर करने के लिए ग्रामीणों की बैठक हुई। इस बैठक में मोहल्ले के सबसे उम्रदराज श्री घिनवा राम बैगा पिता श्री महाजन ने पानी की समस्या को दूर करने के लिए कच्चे झिरिया को पक्का बनाने का सुझाव सबके सामने रखा। सभी ने एक मत से झिरिया के प्राकृतिक बहाव को सुरक्षित रखते हुये पक्की झिरिया निर्माण पर अपनी सहमति दे दी। इस संबंध में श्री घिनवा राम बैगा कहते हैं- ‘‘सब गाँव वालों ने सोचा कि यदि ग्राम पंचायत, घिनवा मोहल्ले के कच्चे झिरिया के पाया को पक्का बना दें, तो बहुत सुविधा हो जाएगी। ऐसा सोचकर हमने ग्राम सभा में पक्की झिरिया निर्माण का प्रस्ताव पारित किया। साल 2018 के जून महीने में सरपंच से पक्की झिरिया के निर्माण की स्वीकृति की जानकारी मिली, तो मैंने सभी मोहल्लेवासियों को कहा कि तुम्हारा झिरिया निर्माण का काम स्वीकृत हो गया है। अब तुम लोग पक्की झिरिया बनाओ। झिरिया के निर्माण से साफ पानी तो मिला ही, साथ में मजदूरी भी मिली।’’

 

चुनौतीपूर्ण काम था पक्का झिरिया का निर्माण

घिनवा मोहल्ले में पहाड़ की तलहटी में ढलान पर बहने वाली झिरिया के पक्काकरण के बारे में सरपंच श्री तितरु सिंह बैगा बताते हैं कि इस मोहल्ले की बसाहट पहाड़ पर है। पक्की झिरिया की स्वीकृति के बाद इसका निर्माण करना ग्राम पंचायत के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि पक्की झिरिया के निर्माण के लिए पहले तो रेत, सीमेंट, ईंटों और पत्थरों को परिवहन कर पहाड़ पर मोहल्ले तक लाना था, फिर आड़े-तिरछे रास्ते से उन्हें नीचे झिरिया तक पहुँचाना सबसे कठिन काम था, किन्तु श्री घिनवा राम बैगा ने पक्की झिरिया निर्माण के लिए लगातार ग्रामीणों को प्रेरित कर इसे सरल बना दिया। आखिरकार सबके सामूहिक प्रयास से लगभग 2.70 मीटर व्यास और 3 मीटर गहराई/ऊँचाई का पक्की झिरिया एक कूप के रुप में परिवर्तित हो गई। श्री तितरु सिंह आगे बताते हैं कि वर्तमान में इस पक्की झिरिया के पानी का उपयोग घिनवा मोहल्ले के 30 बैगा परिवारों के द्वारा किया जा रहा है। इसे देखकर, ग्राम पंचायत को चारों आश्रित ग्राम से 8 और पक्की झिरिया के निर्माण का आवेदन प्राप्त हुआ था, जिसका निर्माण ग्राम पंचायत ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से करवाया। योजनांतर्गत जुलाई, 2019 तक आश्रित गाँव देवानपट्पर में तीन, भेलकी में एक, अधचरा में एक एवं तेलियापानी धोबे में चार पक्की झिरिया का निर्माण हो चुका है।

 

अस्पताल के खर्चे बचे

ग्राम रोजगार सहायक श्री उमेंद धुर्वे ग्राम पंचायत में बने पक्की झिरिया के बारे में बताते हैं कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना से एक पक्की झिरिया बनाने के लिए 52 हजार रुपयों की स्वीकृति प्राप्त हुई थी। इसमें से 12 हजार रुपये मजदूरी और 40 हजार रुपये सामग्री मद की लागत शामिल थी। इस प्रकार कुल 4 लाख 68 हजार रुपयों की स्वीकृति से ग्राम पंचायत में 9 पक्के झिरिया का निर्माण हुआ। पक्की झिरिया के निर्माण के बाद से इन मोहल्लों में जल जनित बीमारियों का एक भी प्रकरण अस्पताल में दर्ज नहीं हुआ है। इससे बीमारियों के ईलाज पर होने वाले खर्चों से ग्रामीणों को मुक्ति भी मिली है। घिनवा मोहल्ले में बनी पक्की झिरिया में पानी लेने आयी रामबाई कहती हैं- ‘‘अब पानी की तकलीफ नहीं है, भरपूर पानी मिलता है। पहले छोटी-सी कच्चा झिरिया होने के कारण गंदा पानी लेना पड़ता था, जिससे बच्चों को कभी भी बुखार, उल्टी और दस्त हो जाता था, अब सब स्वस्थ हैं।’’ वहीं घिनवा मोहल्ले के ही श्री धनसिंह पिता श्री मोहतू, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण से मिले अपने आवास के निर्माण के लिए पानी की व्यवस्था भी इसी पक्की झिरिया से मोटर पम्प के जरिये कर रहे हैं। आश्रित ग्राम देवानपट्पर में श्री मंगलू के खेत के पास और सड़क से 20 मीटर की ऊँचाई पर पहाड़ी में एक अन्य पक्की झिरिया का निर्माण करवाया गया है। यहाँ झिरिया के पानी को पाईप के द्वारा नीचे बस्ती में सड़क किनारे टंकी में एकत्र कर उपयोग किया जा रहा है। इससे लगभग 25 बैगा परिवार अपनी पानी की जरुरतों को पूरा कर रहे हैं। ग्राम पंचायत ने 14वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि से पाईप और टंकी की व्यवस्था की है। ग्राम पंचायत भेलकी में झिरिया के पक्कीकरण से आज जहाँ इन आदिवासी बैगा परिवारों को प्राकृतिक एवं स्वच्छ जल प्राप्त हो रहा है, वहीं इनके मध्य जल संरक्षण जैसी आवश्यकताओं और समस्याओं की पहचान कर मिलकर समाधान करने की प्रवृत्ति का भी प्रसार हो रहा है।

 

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