ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में चिंपांजी के कोल्ड वायरस का बंदरों पर ट्रायल सफल, दावा- सितंबर तक 10 लाख डोज तैयार होंगे
नई दिल्ली: वैक्सीन का बंदर में हुआ ट्रायल सफल रहा है और उसमें रोगों से लड़ने की क्षमता में भी इजाफा हुआ है।
- वैक्सीन तैयार करने में चिंपांजी से मिले ChAdOx1 नाम के वायरस का इस्तेमाल हुआ
- यह एडिनो वायरस का बदला हुआ रूप है, इससे इंसानों को संक्रमण का खतरा नहीं
- ट्रायल में वैक्सीन संक्रमण से लड़ने में प्रभावी साबित हुई, बंदर में भी हाई इम्युनिटी पैदा हुई
- कोरोनावायरसकी वैक्सीन को लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक काफी निश्चिंत हैं। उनका मानना है कि यह वायरस को खत्म करेगी। वैक्सीन पर काम कर रहे यूनिवर्सिटी के जेनर इंस्टीट्यूट का कहना है कि सितंबर तक वैक्सीन तैयार कर ली जाएगी और यह एक सुरक्षित दवा साबित होगी। वैक्सीन के दावे के पीछे वही तकनीक है, जिसका इस्तेमाल वैज्ञानिकों ने मर्स और इबोला जैसी महामारी में किया था। वैक्सीन तैयार करने में चिंपांजी से मिले एडिनोवायरस ChAdOx1 का इस्तेमाल किया जा रहा है।
- न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वैक्सीन टीम की हेड साराह गिलबर्ट का कहना है कि यह वैक्सीन 80% काम करेगी। शुरुआती प्रयोग में वैक्सीन संक्रमण से लड़ने में प्रभावी साबित हुई है। बंदर पर हुए ट्रायल में साबित हुआ है कि यह उनमें हाई इम्युनिटी विकसित करती है। ब्रिटेन वैक्सीन बड़े स्तर पर तैयार करने के लिए फंड जुटा रहा है।
क्या है ChAdOx1 एडिनो वायरस
ChAdOx1 एक तरह का वायरस (साधारण सर्दी जुकाम वाला वायरस) है, जिसमें कोरोनावायरस का कुछ आनुवांशिक मटेरियल भी है। ChAdOx1 इंसानी कोशिकाओं को संक्रमित करके उसे खास किस्म के प्रोटीन बनाने के लिए दबाव डालेगा। यह प्रोटीन इम्यून सिस्टम को अलर्ट करेगा और वह कोरोनावायरस में मौजूद प्रोटीन को खत्म करने के लिए एंटीबॉडीज बनाएगा। इस तरह भविष्य में कोरोनावायरस के संक्रमण से बचाव होगा। वैज्ञानिक इसी बात को आधार बनाकर क्लीनिकल ट्रायल की गति बढ़ा रहे हैं। वैक्सीन में इस्तेमाल होने वाले ChAdOx1 को रूपांतरित किया गया है, ताकि यह इंसानों में किसी भी तरह के साइड इफेक्ट की वजह न बने।ट्रायल का पहला चरण शुरू
दवा तैयार कर रहे वैज्ञानिकों का दावा है कि ChAdOx1 काफी सुरक्षित है। ट्रायल के पहले चरण की शुरुआत हो चुकी है। 500 लोगों के एक समूह को यह वैक्सीन दी जा रही है ताकि यह समझा जा सके कि दवा का साइड इफेक्ट होगा या नहीं। इस समूह के लोगों के अनुभव जानने के बाद दूसरे चरण की शुरुआत होगी और इसमें 5 हजार लोग शामिल होंगे।लॉकडाउन की सफलता वैक्सीन के लिए चुनौती
वैज्ञानिकों का कहना है कि वैक्सीन के ट्रायल में लॉकडाउन की सफलता बड़ी चुनौती है। अगर लॉकडाउन सफल होता है तो वायरस से संक्रमण फैलने का खतरा कम हो जाएगा। ऐसे में वैक्सीन के सटीक परिणाम सामने आएंगे। वैक्सीन के असर को और बेहतर समझने लिए वैज्ञानिक इसे ऐसे चिकित्साकर्मियों को देने की योजना बना रहे हैं जिन्हें ज्यादा खतरा है।दुनियाभर के लिए वैक्सीन बनाना बड़ी चुनौती
वैक्सीन के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी इसकी बड़े पैमाने पर मैन्युफैक्चरिंग करना। ब्रिटेन के वैक्सीन प्लांट की क्षमता इतनी नहीं है कि दुनियाभर के लिए इसे तैयार किया जा सके। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने सितम्बर तक वैक्सीन के 10 लाख डोज का लक्ष्य रखा है। हालांकि ब्रिटिश सरकार का कहना है कि वैक्सीन तैयार करने की स्पीड को बढ़ाने के लिए वह हार्वेल में वैक्सीन मैन्यूफैक्चरिंग और इनोवेशन सेंटर का निर्माण कराएगी। यह सेंटर भी अगले साल ही तैयार हो पाएगा।