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20 साल बाद प्रदेश में बनेंगे 4 नए सहकारी बैंक, रायपुर-दुर्ग संभागों में दो-दो नए बैंकों का प्रस्ताव

रायपुर- प्रदेश सरकार 20 साल बाद प्रदेश में जिला सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) की संख्या बढ़ाने की तैयारी कर रही है। अभी प्रदेश में रायपुर, बिलासपुर, दुर्ग समेत छह सहकारी बैंक हैं। इन्हें विभाजित करके लगे हुए जिलों में अलग बैंक खोले जाएंगे, या फिर किसी छोटे बैंक को बड़ा किया जाएगा। सबसे ज्यादा नए बैंक रायपुर और दुर्ग संभाग में खुलने वाले हैं। फिलहाल 4 नए बैंक खोलने का प्रस्ताव है। इसके लिए जल्दी ही जिला सहकारी बैंक समिति का गठन कर दिया जाएगा। उसके बाद सरकार बैंकिंग लाइसेेंस के लिए रिजर्व बैंक को प्रस्ताव भेज देगी।
प्रदेश में वर्तमान में 6 डीसीसीबी में 30 लाख खातेदार है। ये बैंक अपने खातेदार किसानों को खाद-बीज, ट्रैक्टर समेत खेती-किसानी से संबंधित सभी प्रकार के लोन देने के साथ ही धान बोनस की राशि का वितरण भी करते हैं। इनकी जमा पूंजी से ये बैंक सालाना 1 हजार से 3600 करोड़ कुल 15 से 20 हजार करोड़ का कारोबार करते हैं। हालांकि इनमें से तीन -चार बैंक कुछ घाटे में भी चल रहे थे। लेकिन कांग्रेस सरकार द्वारा हाल में धान का बोनस के 61 सौ करोड़ बांटने के बाद से ही ये बैंक मजबूत हो गए हैं।
1000 करोड़ का लेन-देन जरूरी
जानकारों का कहना है कि बैंकों के संचालन के लिए 800 से 1000 करोड़ रुपए का सालाना टर्नओवर जरूरी है। इसके बाद ये बैंक भी सारे बैंकिंग नार्म्स के दायरे में आ जाएंगे और रिजर्व बैंक से लाइसेंस भी मिल जाएगा। हाल में प्रदेश के तीन मंत्रियों मोहम्मद अकबर, रविंद्र चौबे और प्रेमसाय सिंह ने सहकारिता विभाग और अपेक्स बैंक अफसरों के साथ बैठक की। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में बैंकों की संख्या बढ़ाने पर विचार किया गया है। जहां नए बैंक तुरंत बनाए जा सकते हैं, उसकी रिपोर्ट भी अफसरों से मांगी गई है।
रायपुर और दुर्ग संभाग में एक-एक बैंक, बढ़ाकर तीन-तीन हो सकते हैं
प्रदेश में 4 जिलों में नए जिला सहकारी बैंक शुरू किए जा सकते हैं। साथ ही, कुछ जिलों को पुराने बैंकों से जोड़ा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार रायपुर के बैंक में बलौदाबाजार को जोड़ा जा सकता है। महासमुंद-गरियाबंद को मिलाकर एक तथा धमतरी में अलग सहकारी बैंक खोला जा सकता है। बालोद और चांपा-जांजगीर में पृथक बैंक होंगे। बिलासपुर और मुंगेली, पीजीएम जिलों का एक बैंक होगा जबकि बस्तर के सभी 7 जिलों के लिए एक ही बैंक होगा। इस तरह से सभी 28 जिले सहकारी बैंकों से कवर कर लिए जाएंगे।
राजनीति में असरदार रही है सहकारिता
प्रदेश की राजनीति में इन सहकारी बैंकों का बड़ा असर रहा है। कांग्रेस और बीजेपी के कई बड़े नेता इन जिला सहकारी बैंकों के अध्यक्ष रहे हैं। नए बैंक बनने से नए जिलों में नई पीढ़ी को खड़ा करने में मदद मिलेगी साथ ही निगम -मंडल की कुर्सी पाने से वंचित नेताओं को इनमें एडजस्ट कर संतुष्ट किया जा सकेगा। नए बैंकों के गठन के पीछे यही सोच बताई जा रही है।

cgnewstime

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