कोरोना काल में अच्छे उत्पादन वाले इलाकों में जल्दी आए मानसून ने किसानी की रफ्तार बढ़ाई, 20% बढ़ सकती है पैदावार
रायपुर. (कौशल स्वर्णबेर/मनोज व्यास/ राकेश पांडे ) मानसून का जल्दी आना और एक हफ्ते के भीतर हुई पर्याप्त बारिश ने इस साल प्रदेश में खेती-किसानी की रफ्तार बेहद तेज कर दी है। भास्कर की अलग-अलग टीम ने प्रदेश में धान की अच्छी फसल के लिए मशहूर इलाकों में से कुछ जगह कृषि कार्यों का जायजा लिया और पाया कि मानसून की अच्छी शुरुअात के कारण बुअाई (बोनी) का काम महज एक हफ्ते में पूरा होने वाला है। यही नहीं, जल्दी बोनी से रोपा-बियासी के लिए भी पर्याप्त समय मिलेगा। शुरुआती हालात के आधार पर कृषि अर्थशास्त्रियों और वैज्ञानिकों का अनुमान है कि इस बार प्रदेश में धान का उत्पादन 15 से 20% तक बढ़ सकता है। प्रदेश के कृषि वैज्ञानिक और कृषि अर्थशास्त्रियों के मुताबिक इस साल मानसून के सही समय पर आने अाैर सही समय पर बुअाई हाेने से अब ब्यासी और रोपे के लिए पर्याप्त समय मिल गया है।
जून में बारिश का होना राज्य के लिए अच्छा ट्रेंड है। प्रारंभिक तैयारी अच्छी है। रोपा, नर्सरी या बुआई का काम तेजी से हाे रहा है। पिछले साल की तुलना में राज्य में खेती एडवांस है। सरकारी रिकाॅर्ड में भले ही उत्पादकता प्रति हेक्टेयर 22 से 24 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है लेकिन फील्ड सर्वे में सिंचिंत क्षेत्र में यह 44 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। रेन फेड एरिया में यह 35 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। यदि बारिश इसी तरह से समय-समय पर समान रूप से हाेती रही ताे इस बार धान का उत्पादन 15-20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। गौरतलब है, पिछले साल खरीफ सीजन में छत्तीसगढ़ सरकार ने 19 लाख किसानों से 83 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की थी। यह माना जा रहा है कि इस साल खरीफ का रकबा यानी क्षेत्रफल बढ़ा है, इसलिए उत्पादन और बढ़ सकता है।
ग्राउंड रिपोर्ट : एडवांस बारिश से उम्मीद दोगुनी
भास्कर ने रायपुर जिले के अलावा दुर्ग और बेमेतरा जिले के किसानों से बात की। बेमेतरा जिले के राखीजोबा गांव के किसान बंधु गिरवर आैर केदारपाल पूरा 15 एकड़ खेत अब भी हल से ही जोतते हैं, क्योंकि अलग-अलग जगह खेत होने की वजह से ट्रैक्टर नहीं जा पाता। उन्होंने बताया कि बारिश समय से पहले हो रही है। हालात नहीं बदले तो इसका फसल में काफी लाभ होगा। दुर्ग जिले के धमधा के किसान रामजी देवांगन ने बताया कि उनकी बोआई भी लगभग पूरी होने वाली है। दो-चार दिन में काम पूरा हो जाएगा। पिछले बार फसल अच्छी हुई थी। इस बार भी उन्हें अच्छी फसल की उम्मीद है। रायपुर जिले के धनेली में रोपा लगा रहे किसान संजू साहू ने बताया कि रोपा लगाने का काम एक-दो दिन में पूरा हो जाएगा। इसके बाद किसानी काम में तेजी आएगी। मानसून ऐसा ही रहा तो इस बार फसल अच्छी होगी।
परेशानी : महंगी खाद से हुआ बंटाधार
बेमेतरा के साजा ब्लॉक में मुसवाडीह के किसान धनुकराम ने बारिश को संतोषजनक बताया लेकिन ऊंचे दाम पर खाद खरीदने की शिकायत भी की। महंगे खाद की शिकायतें रायपुर और दुर्ग जिले में भी मिली हैं। लगभग सभी जगह के किसानों का कहना है कि दो खाद उन्हें 1 हजार रुपए में मिलती थी, वह सात-अाठ गुना कीमत पर खरीदनी पड़ी है। दुर्ग जिले में धमधा इलाके के कुछ किसानों ने बताया कि पिछले महीने जिस खाद को एक हजार रुपए में खरीदा था, अब इसकी कीमत साढ़े 11 सौ तक हो गई है। बारिश अच्छी है, अच्छी फसल की उम्मीद है इसलिए यह नुकसान कवर हो जाएगा। लेकिन ऐन वक्त पर बरसात ने परेशान किया तो इस साल चने जैसा नुकसान भी हो सकता है।
भास्कर एक्सपर्ट्स
वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स को भी लाभ
इस बार सरकार दलहन- तिलहन काे प्रोत्साहन देकर धान का रकबा घटाने की दिशा में काम कर रही थी, लेकिन उम्मीद है कि अच्छी बारिश से रकबा बढ़ सकता है। कोरोना काल में आर्थिक स्थिति में सुधारने में कृषि पर निर्भरता बढ़ेगी। रॉ-मटेरियल के साथ वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स का बिजनेस भी बढ़ेगा। -डॉ एके गौरहा, एचओडी एग्री बिजनेस, कृषि विवि
प्रवासियों से खेती पर बढ़ेगा दबाव
यदि एक एकड़ में 10 बोरा धान उत्पादन होता है, तो हमारे पास 4 के बजाय 8 मजदूर उपलब्ध हैं। अभी श्रमिक लौटकर आए हैं, उनसे कृषि पर दबाव बढ़ेगा जाएगा। इससे लागत कम होने और उत्पादन बढ़ने के आसार तो हैं, लेकिन मजदूर बढ़ेंगे तो खेती पर दबाव भी बढ़ेगा। -डॉ. अमरकांत पांडेय, एचओडी अर्थशास्त्र, रविशंकर विवि