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कोरोना अब यहां भी महामारी बनने की ओर शासन ने बनाया 70 दिन का इमरजेंसी प्लान

रायपुर- राजधानी और प्रदेश में लगातार बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए सरकारी एजेंसियों ने अब इसे महामारी के रूप में ट्रीट करना शुरू कर दिया है। महामारी पर काबू पाने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अगले 70 दिन यानी 30 अगस्त तक का इमरजेंसी प्लान तैयार कर लिया है, ताकि संक्रमण के फैलाव पर काबू पाया जा सके। 70 दिन के इस एक्शन प्लान में जरूरतों का अांकलन किया गया है। माना जा रहा है कि 30 अगस्त तक 15 लाख पीपीई किट और सवा 2 लाख एन-95 मास्क की जरूरत पड़ेगी। इसीलिए किट और मास्क खरीदी का प्रस्ताव सरकार को भेज दिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने मार्च यानी कोरोना संक्रमण के शुरुआती दिनों में 20 हजार पीपीई किट की खरीदी की थी। उसी समय करीब 5 हजार पीपीई किट दान में भी मिली थी। अभी वही स्टाॅक चल रहा है, दो हजार किट बची हैं। लेकिन जून में जितनी तेजी से मरीज बढ़े हैं, उसी अनुपात में पीपीई किट और मास्क की खपत भी बढ़ी है। अभी स्थिति ये है कि राज्यभर के मेडिकल कॉलेजों और कोविड हेल्थ सेंटरों में रोज औसतन 1500 पीपीई किट की खपत हो रही है। आने वाले दिनों में मरीज बढ़ने के साथ ही इनकी जरूरत बढ़ती जाएगी। इसी आधार पर पीपीई किट और मास्क की जरूरत का अनुमान लगाया गया है।

महामारी अभी पीक पर नहीं 30 हजार तक होंगे संक्रमित
कोरोना सेल के मीडिया प्रभारी अखिलेश त्रिपाठी के अनुसार महामारी अभी पीक पर नहीं पहुंची है। जुलाई के पहले सप्ताह में स्पष्ट हो सकता है कि यहां किस हद तक संक्रमण बढ़ेगा। अभी जिस तरह से केस मिल रहे हैं, उस हिसाब से हमें उम्मीद है कि नवंबर अंत तक प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 30 हजार से ज्यादा हो सकती है। इस अनुमान के अाधार पर ही तैयारी की जा रही है। अच्छी बात ये है कि यहां भी कम्युनिटी स्प्रेड तेज नहीं है।
मेडिकल टीम की सुरक्षा में पीपीई किट ब्रम्हास्त्र
कोरोना का संक्रमण केवल संपर्क में आने से फैलता है, इसलिए संक्रमितों के इलाज में जुटी मेडिकल टीम की सुरक्षा सबसे बड़ी चुनौती है। इसलिए सुरक्षा के लिए पीपीई किट को सबसे जरूरी माना जा रहा है। पीपीई किट के बिना मरीजों का इलाज तो दूर जांच भी संभव नहीं है। इस वजह से स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने आने वाले दिनों के एक्शन प्लान में पीपीई किट और मास्क को ही सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना है। इस वजह से इलाज से ज्यादा का बजट सुरक्षा के उपाय पर खर्च होने का अनुमान है।

800 से 4200 तक की किट
कोरोना का संक्रमण जब शुरू हुआ था तब किट की कमी थी और ज्यादा कंपनियां इसे बनाती भी नहीं थी। इस वजह से शुरुआती दिनों में स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 42 सौ तक के किट खरीदे थे। अभी 1200 तक के किट जरूरत पड़ने पर खरीदे जा रहे हैं। हालांकि बाजार में 800 तक के किट उपलब्ध हैं। अफसरों के अनुसार व्यावसायिक तौर पर 15 लाख किट का अार्डर दिया जाता है तो इसकी कीमत 600 रुपए तक पड़ सकती है।
केंद्र से सप्लाई किट खराब क्वालिटी की, लौटाई गई
केंद्र से अब तक करीब 4 हजार पीपीई किट का स्टॉक भेजा गया, वह भी सिर्फ एक बार। लेकिन क्वालिटी खराब होने के कारण सारे बंडल लौटा दिए गए। चिकित्सा शिक्षा संचालक डा. एसएल आदिले का कहना है किट की क्वालिटी लेकर इश्यू थे, इसलिए लौटाना पड़ा। हमें सूचना मिली है कि वहां से 5 लाख पीपीई किट आने वाली है। लेकिन उसके पहले ही राज्य स्तर पर तैयारी की जा रही है। हमने अभी 30 अगस्त तक का एक्शन प्लान तैयार किया है। उसी हिसाब से सरकार से पीपीई किट और मास्क मांगे गए हैं।

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