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रेत घाट बंद, रेट का खेल शुरू, पूरे प्रदेश में 15 दिन में दोगुने से ज्यादा दाम

रायपुर-छत्तीसगढ़ में रेत की कीमतें पिछले 15 दिन में दो से तीन गुना हो गई। सिर्फ रायपुर की बात करें, तो 15 दिन पहले जो रेत 5500 रुपए हाइवा थी, आज 16000 रुपए में मिल रही है। अमूमन यही हाल पूरे प्रदेश का है। हालांकि हर जगह रेट में अंतर है, लेकिन कीमतें इसी अनुपात में बढ़ी हैं। इसका कारण बताया जा रहा है कि रेत घाट बंद होने वाले हैं और रेत ठेका लेने वालों ने ज्यादा से ज्यादा रेत निकालकर संग्रह कर लिया है। इस संग्रह किए हुए रेत को अनाप-शनाप कीमतों में बेच रहे हैं। धमतरी में रेत माफियाओं का खुलासा होने के बाद सीएम भूपेश बघेल ने निर्देश दिए थे और कार्रवाई भी हुई, लेकिन अब कीमतों को लेकर एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की मांग उठ रही है।

राजधानी में रेत पर फिर से सिंडीकेट का खेल शुरू हो गया है। 15 जून से रेत घाट बंद होने की घोषणा के साथ ही जून के दूसरे हफ्ते में बिकने वाली 5500 की रेत अब 16 हजार रुपए से भी ज्यादा में बिक रही है। खासतौर पर सरकारी छापेमारी के बाद कीमत और बढ़ गई है।

सरकारी रेत ठेकेदारों के संग्रहण केंद्रों में पिट पास और बिना पिट पास के रेत की बिक्री का खेल शुरू हो गया है। पिट पास के साथ रेत 8 से 10 हजार रुपए में दी जा रही है तो बिना पिट पास के 10 से 12 हजार रुपए में। सप्लायरों को इस कीमत पर रेत मिलने के बाद वे ट्रांसपोर्टिंग भाड़ा जोड़ते हैं, इससे कंस्ट्रक्शन साइट पर रेत के पहुंचने तक कीमत बढ़कर 16 से 18 हजार हो जा रही है।
रेत की कीमत न बढ़े इसलिए खनिज विभाग ने जिले की कुम्हारी, सुंगेरा, हरदीडीह, लखना, पारागांव, कागदेही, गौरभाट, कुरूद रेत घाट का टेंडर कर ठेेकेदार को दिया गया था। 15 जून से रेत 15 अक्टूबर तक रेत घाटों में खनन बंद होने की वजह से इन सभी सरकारी ठेेकेदारों को रेत संग्रहण करने की अनुमति दी गई थी। अभी रायपुर समेत राज्यभर में 67 रेत संग्रहण केंद्र बनाए गए हैं जहां से रेत की सप्लाई की जा रही है। इसी का फायदा ठेेकेदार उठा रहे हैं। वे रेत संग्रहण केंद्रों से ज्यादा कीमत लेकर रेत की बिक्री कर रहे हैं। रेत घाट बंद होने की वजह से मजबूरी में सप्लायरों को बढ़ी हुई कीमत में रेत खरीदनी पड़ रही है।
सरकारी कीमत कम, लेकिन ले रहे ज्यादा
सरकारी टेंडर के अनुसार रेत घाट के ठेकेदारों को एक हाइवा गाड़ी लोड करने के बाद एक पिट पास के लिए 700 रुपए लेने हैं। लेकिन सरकारी ठेकेदार अभी इसी पिट पास के बदले 3000 से 3500 रुपए वसूल कर रहे हैं। रेत संग्रहण केंद्रों से एक हाइवा लोडिंग के लिए करीब 1000 रुपए शुल्क होता है, लेकिन ठेकेदार 7000 से 8500 तक चार्ज कर रहे हैं। इतनी रकम देने और बाद में जगह तक पहुंचाने के लिए ड्राइवर, कंडक्टर, डीजल आदि का खर्चा होने की वजह से आम लोगों को एक हाइवा रेत 16 से 18 हजार रुपए में मिलने लगी है। इतना ही नहीं यही सरकारी ठेकेदार घाट बंद होने के बावजूद अवैध रूप से मशीनें उतारकर रेत की खुदाई कर रहे हैं और रेत घाटों से भी डायरेक्टर गाड़ियों में लोडिंग कर रहे हैं। खनिज विभाग के निरीक्षक महीने में एक बार भी इन रेत घाटों की जांच तक करने नहीं जाते हैं।

ठेकेदारों पर कार्रवाई के बजाय, 5 दिन में सप्लायरों की 250 गाड़ियों पर जुर्माना
रेत की कीमत कम करने के लिए प्रशासन ने सरकारी ठेेकेदारों पर कार्रवाई करने के बजाय सप्लायरों पर ताबड़तोड़ कार्रवाई कर दी। पांच दिनों में ही 250 से ज्यादा गाड़ियों पर जुर्माना किया गया है। कई गाड़ियां अभी भी आरंग, मंदिरहसौद, अभनपुर समेत कई थानों में खड़ी हैं। अवैध रेत खनन पर मुख्यमंत्री की नाराजगी के बाद जिला खनिज और तहसीलों के अफसर हरकत में आ गए। रात में चेक पोस्ट लगाकर गाड़ियों की जांच की गई और ओवरलोड तथा पिट पास नहीं होने पर गाड़ियों को जब्त कर लिया गया। जुर्माना लेने के बाद इन गाड़ियों को छोड़ा जा रहा है।

वसूली तक हो रही, कोई रोकने वाला नहीं
छत्तीसगढ़ रेत परिवहन संघ के अध्यक्ष गिरधारी लाल सोनवानी और उपाध्यक्ष हनीफ निजामी ने बताया कि सप्लायर पिट पास के साथ ही रेत की खरीदी करना चाहते हैं। लेकिन रेत ठेेकेदार 10 से 12 हजार रुपए की वसूली कर रहे हैं। पिट पास और बिना पिट पास के कीमत तय की जा रही है। इतना ही नहीं कई जगहों पर अवैध रूप से रेत गाड़ियों से वसूली की जा रही है। प्रशासन के अफसर सिस्टम को ठीक करने के बजाय सारा ठीकरा रेत सप्लायरों पर फोड़ रहे हैं। सप्लायरों को ऊंची कीमत पर रेत मिलेगी तो वे कम कीमत में कैसे बेच सकते हैं।

लगातार जांच जारी
“रेत के अवैध खनन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जा रही है। बिना पिट पास के चलने वाली गाड़ियों को जब्त करने के साथ ही जुर्माना वसूल किया जा रहा है। किसी भी रेत घाट में अवैध खुदाई न हो इसलिए लगातार जांच की जा रही है।”
-डॉ. एस भारतीदासन, कलेक्टर

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