कबीरधामछत्तीसगढ़

गांव या घर के आसपास तेंदुआ घूसे तो तत्काल निकटतम वन अधिकारी, कर्मचारी को फोन एवं व्हाटसअप के माध्यम से सूचना दे- डीएफओ

Ashok Sahu

वन मंडल कवर्धा द्वारा वन्य प्राणीयों से सुरक्षा एवं बचाव के लिए मीडिया एडवायजरी जारी

तेंदुए के साथ छेड़खानी ना करें एवं पत्थर आदि फेंक कर ना मारें

जनहानि होने पर छह लाख तक का क्षतिपूर्ति का प्रावधान

कवर्धा- वन क्षेत्रों में मानवीय बसाहट, अतिक्रमण, अवैध कटाई, अवैध उत्खनन, वन्य प्राणियों का अवैध शिकार तथा मानव विकास के लिए जंगलों का गैर वानिकी कार्य में व्याप्वर्तन के चलते वन्य प्राणियों के लिए प्राकृतिक आवास और प्राकृतिक संसाधन सीमित होते जा रहे हैं। इसके चलते वन्य प्राणी वनों से निकलकर मानवीय बसाहट वाले क्षेत्रों में आए दिन भटक कर आ जाते हैं, जिससे मानव-वन्य प्राणी द्वंद की स्थिति निर्मित होती है। इस द्वंद में कभी मनुष्य की जान जाती है, तो कभी वन्य प्राणी की जान जाती है, कभी फसल हानि होती है, तो कभी संपत्ति की नुकसानी होती है। ऐसे में प्राकृतिक संतुलन के साथ-साथ ऐसे बहुत से सुनियोजित विकास कार्यों की और सावधानियों की आवश्यकता है, जिसमें मानव-वन्य प्राणी द्वंद को कम से कम किया जा सके। कबीरधाम जिला के अलग-अलग क्षेत्रों में तेंदुआ के आवासीय क्षेत्रों में घुस जाने की या तेंदुआ के शावकों की अनाथ अवस्था में प्राप्ति की अथवा तेंदुआ की मृतक अवस्था में मिलने की सूचना वन विभाग को मिलती रहती है। कबीरधाम जिले के कवर्धा वन मंडल अंतर्गत वन विभाग के द्वारा आमजन में जन-जागरूकता लाने के लिए शासन के समय-समय पर निर्धारित दिशा-निर्देशों के अनुसार तेंदुआ से कैसे बचें इस संबंध में जानकारी दी जाती रही है संयुक्त वन प्रबंधन समितियों की मासिक बैठक में भी क्षेत्रीय वन अधिकारी कर्मचारियों द्वारा आम जनता को वन, वानिकी सुरक्षा, परस्पर सहयोग के साथ-साथ वन्य प्राणियों से संबंधित जानकारी दी गई।

अगर तेंदुआ दिखे तो क्या करें

वनमंडलाधिकारी श्री दिलराज प्रभाकर ने बताया कि तेंदुआ के दिखने की स्थिति में तत्काल निकटतम वन अधिकारी, कर्मचारी को सूचना देवें, तेंदुआ की उपस्थिति की जानकारी आम नागरिक गण तुरंत व्हाट्सएप ग्रुप में भेजें तथा सभी को सावधान करें, गांव के आसपास तेंदुए की उपस्थिति का पता लगते ही बच्चे, महिलाओं एवं वृद्धों को घर के भीतर रखें, अचानक तेंदुआ से सामना होने की स्थिति में अपने दोनों हाथ ऊपर करके जोर-जोर से चिल्लायें, जंगल के समीप अथवा गांव के बाहर तेंदुआ दिखे, तो जल्द से जल्द उससे दूर जाने का प्रयास करें, तेंदुआ शर्मिला जानवर होता है, उसके कहीं छुपे होने की जानकारी होने पर शांत एवं सुरक्षित दूरी पर रहें, उसके वापस जंगल में जाने का इंतजार करें, रात्रि के समय छोटे बच्चों एवं बुजुर्गों को घर के अंदर सुरक्षित स्थान पर रखें, अगर तेंदुआ से सामना हो जाए, तो दबे पांव पीछे की ओर हटें, इससे बचने का मौका मिलेगा, अपने गांव के आसपास झाड़ियों एवं गड्ढों को यथासंभव साफ रखें। ऐसी जगह में तेंदुआ छुपकर आक्रमण कर सकता है, रात्रि के समय मवेशियों के बाड़े की अच्छी तरह से बंद करें, रात्रि के समय घर के बाहर लाइट जलाकर रखें।

अगर तेंदुआ गांव अथवा घर के आसपास घूस आया है तो हमे यह नहीं करना चाहिए

वनमंडलाधिकारी श्री दिलराज प्रभाकर ने बताया कि जंगल और अन्य स्थान पर वन्य प्राणी तेंदुए के साथ छेड़खानी ना करें और पत्थर आदि फेंक कर ना मारें। इससे तेंदुआ के आक्रामक होकर आप पर हमला करने की संभावना होती है। तेंदुआ यदि घर गांव में घुस आया हो, तो उसे चारों तरफ से घेरने का प्रयत्न ना करें। एक तरफ से उसे जंगल में वापस जाने का रास्ता दें, अपने गांव तथा घर के आसपास अंडा, मछली, मुर्गा अथवा बकरा का मांस खुले में ना फेंके, इससे तेंदुआ के आने का खतरा बढ़ जाता है। शावकों के साथ मादा तेंदुआ दिखने पर सावधान रहें, अपने शावकों की सुरक्षा को लेकर मादा तेंदुआ बहुत ही सचेत होती है और उस समय में वह बहुत खतरनाक होती है, उसे कदापि ना छेड़ें। मवेशियों, खासकर बकरी के मेमनों तथा बछड़ों को खुला में ना छोड़े, तेंदुआ एक रात्रिचर प्राणी है। अतः शाम ढलने के पश्चात जंगल में वन उत्पाद लेने या तोड़ने ना जाएं, पालतू कुत्तों को घर के बाहर बांधकर ना रखें, तेंदुआ पर किसी भी प्रकार का आक्रमण ना करें, आपका यह प्रयास उसे हमला करने के लिए प्रेरित कर सकता है। उन्होंने बताया कि तेंदुआ की आंखों में आंख डालकर कभी ना देखें, इसे वह अपने लिए चुनौती समझकर आप पर हमला कर सकता है। तेंदुए की उपस्थिति का पता चलते ही भगदड़ ना मचाएं। इससे तेंदुआ अनावश्यक रूप से आक्रमक हो सकता है एवं जन हानि हो सकती है।

जनहानि होने पर क्षतिपूर्ति का प्रावधान

वनमंडलाधिकारी श्री दिलराज प्रभाकर ने बताया कि वन विभाग की तरफ से शासन के निर्देशानुसार तेंदुआ से हुई जनहानि के लिए प्रति व्यक्ति 6 लाख रुपए, जन घायल (स्थाई रूप से अपंग) के लिए रुपए 2 लाख तथा सामान्य जन घायल के इलाज के लिए अधिकतम 59 हजार 100 रूपय तक की क्षतिपूर्ति का प्रावधान है। कबीरधाम के जन सामान्य, गणमान्य व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों जिला में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों से अनुरोध है कि वन विभाग के अधिकारी व कर्मचारियों को वन्य प्राणी जैसे, तेंदुआ, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, बायसन, बाघ, सोन कुत्ता, भालू, जहरीले सांप या अन्य प्रकार के सांप, सियार, चीतल, बायसन, वन भैंसा, सांभर, बार्किंग डियर, नीलगाय, आदि की मानव आवासीय क्षेत्र में आ जाने की सूचना मिलती है, तो तत्काल जानकारी उपलब्ध कराएं, ताकि वन्य प्राणी की सुरक्षा की जा सके और सफलतापूर्वक उन्हें जंगलों में वापस छोड़ा जा सके।

वन्य प्राणियों से बचाव एवं सुरक्षा के लिए कंट्रोल रूम स्थापित

वन्य प्राणी द्वारा जन घायल, जनहानि, फसल नुकसान, संपत्ति नुकसान जैसी अप्रिय घटना घटित होने से बचाया जा सके। वन मंडल के वन्य प्राणी सेल के कंट्रोल रूम का मोबाइल नंबर 7587013323, वन मंडल स्तरीय उड़नदस्ता के सहायक प्रभारी का 9425576857, अधीक्षक भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 7587013350, परिक्षेत्र अधिकारी भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 7828853500, उप वनमंडल अधिकारी कवर्धा का 9479027029 परिक्षेत्र अधिकारी कवर्धा का 8770976735, परिक्षेत्र अधिकारी अधिकारी तरेगांव तथा परिक्षेत्र अधिकारी पश्चिम पंडरिया का 9981192548, उप वनमंडल अधिकारी पंडरिया का 7974210301, परिक्षेत्र अधिकारी पूर्व पंडारिया का 9340135862, उप वनमंडल अधिकारी सहसपुर लोहारा का 7898755213, परिक्षेत्र अधिकारी सहसपुर लोहारा का 7647995150, परिक्षेत्र अधिकारी रेंगाखार का 7471180875 तथा परिक्षेत्र अधिकारी खारा का मोबाइल नंबर 9340896308 है। वन मंडल अधिकारी जिला कबीरधाम का संपर्क नंबर 9479105168 है। वन्य प्राणी की सूचना प्राप्त होने पर जिला कबीरधाम का जागरूक नागरिक वन विभाग को सूचित कर मानव-वन्य प्राणी द्वंद से बचाव में शासन का सहयोग कर सकता है। यदि किसी कारणवश वन विभाग से संपर्क नहीं हो पाता है, तो तत्काल स्थानीय थाना या पुलिस चौकी में सूचना दी जा सकती है।

 

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