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टेंट लगाने वाले को इंडोर स्टेडियम में कोविड अस्पताल बनाने का ठेका शादी पंडाल जैसे बेड लगा दिए, स्वास्थ्य विभाग ने लेने से किया इंकार

रायपुर- इंंडोर स्टेडियम को अस्थायी कोविड अस्पताल में बदलने के ठेके में बड़ी गड़बड़ी का खुलासा हुआ है। रायपुर स्मार्ट सिटी ने अस्थायी कोविड अस्पताल बनाने का ठेका उस कंपनी को दे दिया, जो सरकारी आयोजनों में सजावट, फ्लैक लगाने और पंडाल लगाने का काम करती है। यह अस्पताल भी पंडाल और सजावट की तरह बना दिया गया है। कोरोना मरीज बढ़ने की वजह से जब स्वास्थ्य विभाग ने इस अस्थायी अस्पताल की तकनीकी जांच की तो अफसर हैरान रह गए क्योंकि इसे बनाने में सारे तकनीकी नियमों की धज्जियां उड़ा दी गई हैं। यहां तक कि अस्पताल में भर्ती मरीज के उपयोग के पानी को ट्रीट और ब्लीच करने का सिस्टम ही नहीं बनाया। मरीजों के उपयोग का पानी सीधे नालियों में जाएगा, उसके साथ संक्रमण के वायरस भी बाहर निकलकर फैलेंगे। इससे पूरे इलाके में कोरोना फैलने का खतरा रहेगा। स्वास्थ्य विभाग ने जांच के बाद अस्थायी कोविड अस्पताल को टेकओवर करने से मना कर दिया है।
स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञों के अनुसार मरीजों के उपयोग का किसी भी तरह का पानी बिना ट्रीट नालियों में भी नहीं बहाया जा सकता है। ऐसी खामी से अगर संक्रमण फैला तो रोकना मुश्किल हो जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से स्मार्ट सिटी के अफसरों में खलबली मची है। अब नियमों का परीक्षण किया जा रहा है कि आखिर कैसे इस खामी को दूर किया जा सकता है। आईसीएमआर की गाइड लाइन के मानकों के मुताबिक कोविड केयर सेंटर, कोविड अस्पताल या क्वारेंटाइन सेंटर में टॉयलेट का पानी बिना ब्लीचिंग या ट्रीटमेंट किए सीधे नाली में नहीं जाना चाहिए। ब्लीचिंग के बाद अगर पानी जाता है, तो इससे संक्रमण का कोई खतरा नहीं रहता है। गुरूवार को अस्थायी अस्पताल स्मार्ट सिटी की ओर से हेल्थ विभाग को हैंडओवर किया जाने वाला था। स्वास्थ्य विभाग की टीम टेक ओवर करने पहुंच भी गई थी, लेकिन मुआयना के बाद अफसरों ने इसे लेने से मना कर दिया।

कोविड अस्पताल में डिस्टेंसिंग सबसे ज्यादा जरूरी पर यहां बिस्तर ऐसे लगाए जैसे बाराती रुकने वाले हों
कोविड केयर सेंटर में वैसे तो हर जगह सोशल डिस्टेंसिंग की हिदायत लिखी है। मरीजों को ये बताने के लिए वो आपस में दूरी बनाकर रखें, लेकिन 263 बिस्तरों वाले इसे सेंटर के वार्डों में बिस्तरों की बिछायत ऐसी की गई है कि मरीजों के बीच कोई अंतर नहीं दिखाई दे रहा है। मरीजों को फिटनेस के लिए ओपन जिम वाले दो उपकरण भी रखे गए हैं। ताकि ये दिखाया जा सके कि यहां फिटनेस का भी ख्याल रखा जा रहा है। मरीजों के एंट्री प्वाइंट पर सैनिटाइजर टनल लगाई गई है। पूरे सेंटर में सेंट्रलाइज एसी नहीं चलाया जाएगा, इससे यहां उमस भरे मौसम में मरीजों को रहने में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा। गर्मी उमस से बचाने के लिए सिर्फ पंखे लगाए गए हैं, उसकी हवा भी सबको लग पाएगी या नहीं कह पाना मुश्किल है।

बिना टेंडर ठेका दिया पंडाल बनाने वालों को, 30 लाख खर्च
भास्कर की पड़ताल में पता चला है कि जिस एजेंसी को करीब 30 लाख में कोविड केयर सेंटर बनाने का ठेका दिया गया, वह स्मार्ट सिटी में पीआर के काम के लिए अधिकृत एजेंसियों की सूची में है। पीआर के अलावा ये एजेंसी स्मार्ट सिटी के लिए फ्लेक्स बनाने से लेकर सरकारी मेलों में सजावट का काम करती है। उद्घाटन समारोह में स्मार्ट सिटी नगर निगम के लिए यही एजेंसी पंडाल से लेकर सारे बंदोबस्त देखती है। कोरोना की इमरजेंसी बताते हुए स्मार्ट सिटी ने इसका कोई टेंडर निकाला, बल्कि इमपेनल्ड एजेंसियों को सालभर के काम की शर्त के आधार पर बीओडी से मंजूरी लेकर दे दिया गया। टेंडर प्रक्रिया नहीं होने के कारण बाकी एजेंसियां काम करने के लिए आई ही नहीं। यहां तक कि कई आला अधिकारियों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी। सेंटर बन जाने के बाद उन्हें इसके बारे में पता चला।

मॉनिटरिंग के लिए कैमरे लगाए शो-बाजी के लिए जिम भी बनाया

इनडोर स्टेडियम के कोविड केयर सेंटर में रायपुर जिले के ऐसे मरीज रखे जाएंगे जिनको कोरोना के हल्के लक्षण हैं। इनका इलाज यहां किया जाना है। मरीजों पर नजर रखने के लिए हर वार्ड में कैमरे भी लगाए गए हैं, जिसकी मॉनिटरिंग के लिए एक कंट्रोल रूम भी बनाया गया है। कोरोना मरीजों की बढ़ती तादाद के मद्देनजर रायपुर को दो हजार बिस्तरों वाले अलग-अलग कोविड सेंटर बनाने के लिए मई-जून के महीने में कहा गया, इसके तहत इनडोर स्टेडियम में कोविड केयर सेंटर बनाया गया।

कमियां दूर करना जरूरी : हेल्थ सचिव
“कोविड केयर सेंटर के लिए बेड के बीच न्यूनतम एक मीटर की दूरी, पीपीई किट पहनने-उतारने के अलग कमरे, मरीजों के लिए पर्याप्त टॉयलेट जैसे मानक जरूरी हैं। कमियां होंगी तो उन्हें सुधरवाएंगे।”
-निहारिका बारिक सिंह, सचिव-हेल्थ
खामियां दूर करने पर ही लेंगे : सीएमएचओ

“कोविड केयर सेंटर के टॉयलेट के गंदा पानी अभी सीधा नाली में जा रहा है। इसको ब्लीच या ट्रीट नहीं किया जा रहा है, हमने कहा कि तमाम खामियों को दूर करें उसके बाद ही यहां मरीजों के इलाज के लिए लेंगे।”
-डा. मीरा बघेल, सीएमएचओ, रायपुर
बनाने वाली फर्म लिस्टेड : एमडी

“जिस एजेंसी को काम दिया गया, वह सालभर स्मार्ट सिटी के काम के लिए लिस्टेड है। बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मंजूरी के बाद नियमानुसार काम दिया है।”
-सौरभ कुमार, एमडी-स्मार्ट सिटी

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