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5 फीट से ऊंची गणेश प्रतिमाएं नहीं विराजेंगी, पंडालों का साइज होगा आधा, 100 साल से निकल रही विसर्जन झांकियां भी नहीं निकलेंगी

रायपुर-शहर में इस बार 5 फीट से ऊंची गणेश प्रतिमा कहीं नहीं विराजेगी। न ही कहीं भव्य पंडाल सजेगा। विसर्जन झांकियां निकालने की 100 साल पुरानी परंपरा भी इस बार टूट जाएगी। महामारी के खतरे को देखते हुए शहर की 70 प्रमुख गणेशोत्सव समितियों ने मिलकर यह फैसला लिया है। दूसरी ओर मूर्तिकारों ने 5 फीट से ऊंची करीब 3 हजार प्रतिमाएं बनाकर तैयार कर ली हैं जो अब नहीं बिक पाएंगी। दरअसल, हर साल गणेश स्थापना की तैयारियां 3 माह पहले शुरू हो जाती हैं। इस बार कोविड-19 के संक्रमण को देखते हुए समितियां गाइडलाइन का इंतजार कर रही थीं। जून बीत जाने के बाद भी जब कोई आदेश नहीं आया तो समितियों ने अपने स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं। योजना के मुताबिक इस बार 1 से 5 फीट ऊंची प्रतिमाएं स्थापित की जाएंगी। इससे यह फायदा होगा कि इसके लिए पंडाल भी छोटे बनाए जाएंगे। यानी सड़कों में लोगों के आने-जाने के लिए पर्याप्त जगह बचेगी और पंडालों के सामने भीड़ नहीं लगेगी। यह भी तय किया गया है कि हर समिति पंडाल के आगे बांस-बल्ली लगाकर ऐसी व्यवस्था बनाए जिससे भक्त फिजिकल डिस्टेंसिंग रखते हुए बारी-बारी दर्शन कर सकें।

सजावट सीमित रहेगी नहीं बंटेगा प्रसाद
पंडालों में इस बार पहले की तरह लाइटनिंग और सजावट भी देखने को नहीं मिलेगी। श्रीश्री विनायक गणेशोत्सव समिति, गंजपारा के संस्थापक सोनू सिंह और लाला सिंह चौहान का कहना है महामारी न फैले, इसे लेकर हम भी गंभीर हैं। इसीलिए सीमित सजावट और लाइटनिंग करने का फैसला लिया गया है। इस बार भक्तों को प्रसाद का वितरण भी नहीं किया जाएगा।

डीजे-लाउडस्पीकर और बैंड-बाजे पर संशय अब भी बरकरार
गणेशोत्सव में इस बार बैंड-बाजे और डीजे के इस्तेमाल पर भी संशय बरकरार है। विनायक गणेशोत्सव समिति, रामसागरपारा के अध्यक्ष रोहित राय का कहना है कि गणेश स्थापना को लेकर सरकार को गाइडलाइन जल्द से जल्द जारी करना चाहिए क्योंकि बैंड-बाजा और टेंड-पंडाल की बुकिंग एडवांस में होती है। बहुतों ने बुकिंग करा ली है और बहुत से लोगों को अब भी गाइडलाइन का इंतजार है। यदि अनुमति नहीं मिली तो जिन्होंने एडवांस बुकिंग करा ली है, उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ेगा।

ब्याज पर कर्ज लेकर मूर्तियां बनाईं अब सरकार मदद करे: मूर्तिकार
मूर्तिकार विजय घोष ने बताया कि मूर्तिकार हर साल जनवरी माह में ब्याज पर पैसे लेकर गणेश प्रतिमाएं बनाने का काम शुरू कर देते हैं। देश में कोरोना को लेकर माहौल मार्च में बना। तब तक मूर्तियां बनाने का काम आधा हो चुका था। अब ये मूर्तियां नहीं बिक पाएंगी। मूर्तिकारों के लिए यह बहुत बड़ी समस्या है कि क्योंकि ऐसे में न उनके पास परिवार चलाने के लिए पैसा रहेगा और न ही उधार चुकाने के लिए। राज्य सरकार को चाहिए कि जैसे अलग-अलग क्षेत्र के लोगों को राहत दी जा रही है, वैसे ही मूर्तिकारों की भी आर्थिक मदद की जाए।

समितियों ने उठाई गाइडलाइन की मांग
कोविड के दौर में सार्वजनिक गणेशोत्सव किस तरह मनाया जाए, इसे लेकर समितियों में ही संशय है। ज्यादातर गणेशोत्सव समितियां चाहती हैं कि इस मामले में प्रशासन को आगे आकर ऐसा सिस्टम बनाना चाहिए जिससे सुरक्षा के साथ उत्सव मनाया जा सके। इसलिए समितियों को इस मामले में प्रशासन की स्पष्ट गाइडलाइन का इंतजार है। जिन समितियों ने प्रशासन से गाइडलाइन जारी करने का आग्रह किया है, उनमें राधाकृष्ण गणेशोत्सव सिति, नर्मदापारा। नवयुवक बाल गणेशोत्सव समिति, पुरानी बस्ती। फ्रेंडस क्लब गणेशोत्सव समिति, भगत सिंह चौक। बजरंग गणेशोत्सव समिति, ब्राह्मणपारा। श्रमजीवी गणेशोत्सव समिति, टिकरापारा शामिल हैं।

राजधानी में 152 साल में पहली बार ऐसा 
“शहर में गणेश प्रतिमाओं की स्थापना 1868-70 से हो रही है। सबसे पहले पुरानी बस्ती स्थित बनियापारा में गणेश प्रतिमा की स्थापना की गई थी। इसके बाद लाखेनगर चौक और गुढ़ियारी में भी प्रतिमाएं स्थापित की गईं। तब लोग अपने आसपास के तालाबों में मूर्तियों का विसर्जन करते थे। गणेशोत्सव को भव्य रूप में मनाने का चलन बाल गंगाधर तिलक के अभियान के बाद शुरू हुआ। तभी से गणेशोत्सव के 10 दिनों में जैसे पूरे शहर में मेला लग जाता है। गणेश प्रतिमाओं और पंडालों की भव्यता देखने लोग देर रात तक अलग-अलग इलाकों में घूमते हैं। पर इस बार कोरोना संक्रमण के चलते यह नहीं हाेगा। रायपुर में गणेश स्थापना के 152 साल के इतिहास में ऐसा पहली बार होने जा रहा है।”
-डॉ. रमेंद्रनाथ मिश्र, वरिष्ठ इतिहासकार

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