भिलाई-स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड-सेल के कार्मिकों का एक जनवरी 2017 से वेतन समझौता लंबित है। यह कब तक पूरा होगा, तय नहीं है। सेल प्रॉफिट में आ चुकी है। बैलेंस शीट सरकार के पास भेज दी गई है। वहां से जवाब आते ही वेतन समझौता के लिए एनजेसीएस यूनियन की मीटिंग होने जा रही है। नेशनल ज्वाइंट कमेटी फॉर स्टील-एनजेसीएस के सदस्य इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. जी. संजीवा रेड्डी का कहना है कि वेतन समझौता के लिए जल्द ही मीटिंग होने वाली है। सेल ने बैलेंस शीट सरकार के पास भेज दिया है। वहां से क्लियर होते ही बैठक होने वाली है।
इधर, सोलश मीडिया पर सेल के कर्मचारियों ने मुद्दा उछाल दिया है। कर्मियों का कहना है कि अधिकारियों का बेसिक तय किया जा चुका है। मिनिमम गारंटेड बेनिफिट-एमजीबी 15 फीसद निर्धारित है। लेकिन कर्मचारियों का मुद्दा अब भी फाइलों और सरकार की दया पर निर्भर है।
भिलाई इस्पात संयंत्र-बीएसपी सहित सेल इकाइयों के कर्मचारी एनजेसीएस यूनियन, सेल प्रबंधन और सरकार को खूब आड़े हाथ ले रहे हैं। वहीं, यह भी चर्चा की जा रही है कि दिसंबर में सेल चेयरमैन रिटायर होने वाले हैं। पूरी संभावना है कि दिसंबर से पहले अधिकारियों को बढ़े वेतन समझौते का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा। चेयरमैन को भी फाइनल पेमेंट में इसका लाभ मिल सकता है।
डीपीई ने अफसरों की राशि की है तय
स्टील पीएसयू पेपर न्यूज वाट्सएप ग्रुप और फेसबुक पेज पर वेतन समझौते और अधिकारियों और कर्मचारियों के वेतन के अंतर पर खूब चर्चा हो रही है। सदस्यों का कहना है कि अधिकारियों का सब कुछ पहले से ही डीपीई द्वारा तय किया जा चुका है। बस कंपनी को अफोर्डेबिलिटी क्लाज के बैरियर से बाहर आना था। कर्मचारियों के लिए डीपीई ने कोई गाइडलाइन तय नहीं किया है। बस एक लाइन लिखा है कि अधिकारी के पे-स्केल से अधिक नहीं हो सकता। ई-0 का शुरुआत 30000 से हो रहा है तो एस-11 का कागज पर बेसिक 29000 हो सकता है।
सेल अधिकारियों का संभावित पे-स्केल
ग्रेडपुरानानया
ई-012600-32500 30000-120000
ई-124900-50500 60000-180000
ई-229100-54500 70000-200000
ई-332900-58000 80000-220000
ई-436600-62000 90000-240000
ई-543200-66000 100000-260000
ई-651300-73000 120000-280000
ई-751300-73000 120000-280000
ई-851300-73000 120000-280000
ई-962000-80000 150000-300000
डायरेक्टर 75000-100000 180000-340000
सीएमडी 80000-125000 200000-370000
(नोटः जैसा कि सेल कार्मिकों के वाट्सएप ग्रुप पर वायरल हो रहा है।)
कर्मचारियों का दर्द तो जानिए…
डि-ग्रेडेशन (एस3-एस-1, एस-6-एस-3) कम से कम 12 साल पीछे
नगर विभाग हो या अस्पताल सेवा, अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए अलग नियम।
बोनस की राशि औरों की तुलना में बेहद कम
चाय भत्ता दो रुपया, कैंटीन 32 रुपया, पेट्रोल 1000
रात्रि भत्ता 90 रुपये प्रतिदिन
गैस भत्ता 300रुपये, 1400 वार्षिक आवास अनुरक्षण
एस-1 का बेसिक और एस-11 का बेसिक का जो अंतर है, उससे कई गुना ज्यादा आफिसर के एक ग्रेड से दूसरे ग्रेड का बेसिक का अंतर है
बेसिक का अंतर भी देखिए। एस-11-एस- = 29000-25500 (3500)। ई-8-ई-0= 3,40000-30000 (3,10,000 रुपये)।
ग्रेच्युटी सील, स्टाईपन्ड, ट्रेनिंग पीरियड में मा-बाप को सुविधाओ से परे रखना।
2012 से कोई एलाउंस रिवाइज न होना
इनसेंटिव रिवार्ड घटकर हजार बारह सौ रुपया हो जाना, जबकी लेबर प्रोडक्टीविटि पिछले छह साल में 44% बढ़ी
जर्जर आवास, आवास आवंटन नियम, आवास अनुरक्षण नियमों में पारदर्शिता का अभाव
पुरानी प्रमोशन पॉलिसी, कारखाना अधिनियम का खुला उल्लंघन
समय पर नहीं दिया जा रहा सुरक्षा उपकरण
सेल कर्मचारियों का कहना है कि सेल द्वारा कैंटीनों को सब्सिडी देने के बावजूद मार्केट रेट पर सामाग्री को बेचना। गुणवत्ता एवं साफ सफाई का अभाव भी है। सुविधाओं को पारदर्शी तथा कर्मचारी अनुकुल बनाने के लिए टेक्नोलॉजी का सहारा नहीं लिया जाता है।
जैसे नगर सेवा के लिए मोबाइल एप, संयंत्र या सेल स्तर पर एक एप का निर्माण नहीं होना। एक ही प्लांट, विभाग तथा एक ही प्रकृति का काम करने के बावजूद अधिकारियों-कर्मचारियों के छुट्टी में अंतर करना। समय पर सुरक्षा उपकरण उपलब्ध नहीं कराने से भी कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। आवास ऋण, वाहन ऋण को बंद कर देने की भी पीड़ा कर्मचारी झेल रहे हैं। छुट्टी नगदीकरण को भी रोका गया है।
मुद्दो का संविधान बना दिया गया…
सोशल मीडिया पर कर्मचारियों का कहना है कि सब पुराने मुद्दे हैं, जिन्हें नेताओं द्वारा हल नहीं कराया गया है। चालाक प्रबंधन ने अपनी चतुराई से पुराने मुद्दों में ही फंसा कर रखा है। उसी में कर्मी फंसकर रह गए। कुछ नया मांग भी नहीं पा रहे। कर्मियों का कहना है कि जिनकों ज्यादा वेतन उतना ही सुविधा, पेंशन तथा समय-समय पर उसमे वृद्घि भी किया जा रहा है।