कितने एससी-एसटी, ओबीसी नौकरी में, जानने सरकार ने बनाई कमेटी
रायपुर- सरकारी सेवा में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़े वर्ग के प्रतिनिधित्व का पता लगाने के लिए राज्य सरकार ने 5 सदस्यीय समिति गठित की है। वाणिज्य एवं उद्योग विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ के नेतृत्व में बनी यह समिति इन वर्गों का क्वांटिफाएबल (परिणाममूलक) डाटा इकट्ठा करेगी। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण के संबंध में किसी तरह के प्रावधान बनाने से पहले राज्य सरकार को इन वर्गों के प्रतिनिधित्व संबंधी क्वांटिफाएबल डाटा एकत्र करना होगा। फिलहाल, राज्य के कर्मचारियों को फिलहाल वरिष्ठता के आधार पर पदोन्नति दी जा रही है। पदोन्नति में आरक्षण नहीं दिया जा रहा है। इसे कोर्ट में चुनौती दी गई है। हालांकि, उत्तराखंड में पदोन्नति में आरक्षण को समाप्त कर दिया गया है जबकि प्रमोशन में आरक्षण फिलहाल मध्य प्रदेश व उत्तर प्रदेश मे स्थगित है। मध्य प्रदेश में सभी तरह की पदोन्नतियां पिछले चार पांच साल से बंद है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा था कि प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए सरकार को एससी और एसटी के पिछड़ेपन के आधार पर डेटा जुटाने की जरूरत नहीं है।
समिति के गठन पर विपक्ष ने उठाए सवाल : दूसरी तरफ, भाजपा ने समिति के गठन पर सवाल उठाया है। पूर्व मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि यह समिति क्यों बनाया गया है, इसका क्या काम है? कितने समय में इसको रिपोर्ट देना है? इसको स्पष्ट नहीं किया गया है। क्या अजा/अजजा वर्ग में क्रीमीलेयर लागू करने के लिए सरकार डेटा एकत्रित करना चाह रही है? उन्होंने कहा कि अजा/अजजा/पिछड़ा वर्ग समिति पहले से गठित है। पिछड़ा वर्ग के लिए पहले ही पटेल कमेटी बनी हुई है, फिर ये समिति क्यों? भूपेश सरकार को तत्काल इसे बताना चाहिए। कश्यप ने पूर्व में इनकी पदोन्नति को लेकर राज्यपाल को ज्ञापन दिया था। पदोन्नति नियम में संशोधन के लिए आदेश देने का आग्रह भी किया था।
इधर दैवेभो के नियमितीकरण की भी मांग उठी
विभागों में पदस्थ दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों और आकस्मिक श्रमिकों को नियमितीकरण के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा। अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने छत्तीसगढ़ दैवेभो कर्मचारी संघ के अध्यक्ष मिलाप चंद यादव को भेजे पत्र में बताया है कि विभाग द्वारा वर्तमान में वन रक्षक के पद पर सीधी भर्ती के लिए कोई विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। जीएडी द्वारा अनियमित कर्मचारियों या दैवेभो कर्मचारियों के नियमितिकरण के संबंध में संघों की गई मांग के परीक्षण के लिए प्रमुख सचिव वाणिज्य एवं उद्योग की अध्यक्षता में समिति गठित की गई है। सरकार के निर्णय के बाद सभी विभागों के लिए लागू नियम व निर्देश के तहत वन विभाग में भी कार्यवाही की जाएगी। बता दें कि वन विभाग में सीधी भर्ती के माध्यम से वन रक्षक के रिक्त पदों के भर्ती हेतु जारी प्रक्रिया को निरस्त करने की छग संघ ने मांग की थी। साथ ही विभाग में कार्यरत आकस्मिक श्रमिक, दैवेभो कर्मचारियों का नियमितिकरण करने के लिए विभाग को पत्र लिखा था।
ये होंगे सदस्य
प्रमुख सचिव वाणिज्य मनोज पिंगुआ, जीएडी सचिव डीडी सिंह, खाद्य सचिव कमलप्रीत सिंह, एससी/एसटी विकास संचालक शम्मी आबिदी और सहायक अनुसंधान अधिकारी डॉ अनिल कुमार।