कम्यूनिटी रेडियो शिक्षा अर्जन का बना सशक्त माध्यम
बच्चे स्थानीय भाषा हल्बी, हिन्दी और अंग्रेजी भाषा में कर रहे पढ़ाई
रायपुर-स्कूल शिक्षा विभाग, राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अधिकारियों एवं शिक्षकों के अथक मेहनत एवं लगन के फलस्वरूप कम्यूनिटी रेडियो का अभिनव प्रयोग से सुदूर वनांचल एवं आदिवासी बाहुल क्षेत्र बस्तर विकासखण्ड के ग्राम भाटपाल में कोरोना काल में भी बच्चों को निर्बाध रूप से शिक्षा मिल रही है। पढ़ई तुंहर दुआर कार्यक्रम के तहत पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की गई ’कम्यूनिटी रेडियो से शिक्षा’ की सफलता यहां के बच्चों के शिक्षा अर्जन का सशक्त माध्यम बन गया है।
ग्राम पंचायत भाटपाल के कम्यूनिटी रेडियो कार्यक्रम की सफलता से उत्साहित होकर बस्तर जिले के अन्य विकासखण्ड के ग्राम पंचायत भी अब ’’कम्यूनिटी रेडियो’’ के तहत् लाउडस्पीकर से पढ़ाई करवाने हेतु उत्साहित है। वर्तमान में विकासखण्ड बस्तर में भाटपाल के अलावा विकासखण्ड लोहण्डीगुड़ा के समस्त ग्राम पंचायतों में ’’कम्यूनिटी रेडियों’’ कार्यक्रम के अंतर्गत पढ़ाई शुरू हो चुकी है। विकासखण्ड दरभा में ग्राम पंचायत अल्वा, विकासखण्ड तोकापाल में ग्राम पंचायत रायकोट और ग्राम पंचायत छापर भानपुरी तथा विकासखण्ड जगदलपुर में ग्राम पंचायत जमावाड़ा के बाड़ापारा एवं ग्राम पंचायत छोटे कवाली में ’’कम्यूनिटी रेडियो’’ कार्यक्रम के माध्यम से पढ़ाई की जा रही है।
बस्तर जिले में ज्यादातर बच्चे गरीब परिवारों से आते है इसलिए उनके पास स्मार्ट फोन की उपलब्धता भी नहीं है, ऐसी स्थिति से उबरने एवं बस्तर जिले के सुदूर गांवों एवं गरीब परिवार के बच्चे इस कोरोना काल में शिक्षा से वंचित ना रहें। इसके लिए लाउड स्पीकर के माध्यम से प्राथमिक स्तर के बच्चों के लिए स्थानीय भाषा हल्बी, हिन्दी एवं अंग्रेजी भाषा में पढ़ाने एवं गतिविधि आधारित शिक्षा देने का कार्य शुरू किया गया है। इस कार्यक्रम से ग्राम पंचायत भाटपाल के बच्चों के साथ-साथ उनके पालक भी लाभान्वित हो रहे हैं। एक निर्धारित समय में ग्राम के बच्चे अपने-अपने घरों में कॉपी पेंसिल लेकर बैठ जाते हैं और लाउडस्पीकर के माध्यम से दिए गए प्रश्नों एवं अन्य निर्देशों को सुनकर लिखते हैं और पढ़ाई करते हैं।
वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार के चलते देश और दुनिया में भी बच्चों को शिक्षा मुहैया करा पाना लगभग असंभव सा हो गया था। लेकिन कहा जाता है कि इंसान के इरादे यदि नेक हो तो रास्ते कहीं न कहीं से निकल ही जाते हैं। स्मार्ट फोन एवं इन्टरनेट सुविधाओं के अभाव में ’पढई तुंहर दुआर’ योजना के लाभ से वंचित हो रहे इस अंचल के अधिकांश विद्यार्थियों के लिए कम्यूनिटी रेडियो का यह प्रयोग वास्तव में फायदेमंद साबित हो रहा है। जिसके फलस्वरूप वैश्विक महामारी कोरोना के इस काल में भी बच्चों तक शिक्षा की ज्योति का प्रसार किया जा रहा है।