breaking lineखास खबरगोधन न्याय योजनाछत्तीसगढ़रायपुर

गोबर विक्रेताओं को 5 अगस्त को मिलेगा पहला भुगतान: भूपेश बघेल

मुख्यमंत्री ने 15 दिन में भुगतान करने के दिए निर्देश: बैंक खाते में सीधे अंतरित की जाएगी राशि

पीपीपी माडल पर कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क विकसित करने के निर्देश

आयुर्वेदिक कम्पनियों को छत्तीसगढ़ में प्रोसेसिंग यूनिट लगाने करें प्रोत्साहित

रायपुर-प्रदेश में गोधन न्याय योजना के तहत गोबर विक्रेताओं को 15 दिन में गोबर खरीदी की राशि मिलेगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में आयोजित बैठक में वन विभाग के कार्याें की समीक्षा के दौरान अधिकारियों से कहा कि गोधन न्याय योजना की शुरूआत 20 जुलाई को गोबर खरीदी शुरू कर की गई थी। इसके लिए 15वें दिन 5 अगस्त को गोबर विक्रेताओं को राशि का भुगतान किया जाएगा।

उन्होंने मुख्य सचिव को सहकारी और ग्रामीण बैंकों सहित अन्य बैंकों के अधिकारियों की बैठक आयोजित कर इसके लिए सभी तैयारियां सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। गोबर विक्रेताओं से क्रय किए गोबर की राशि उनके खाते में सीधे अंतरित की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने गौठानों में गोबर खरीदी का समय निर्धारित करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने यह भी कहा कि गौठानों में वेटनरी डॉक्टरों और गौ-सेवकों के भ्रमण के कार्यक्रम भी तय किए जाए और लोगों की जानकारी के लिए गौठानों के सूचना पटल में प्रदर्शित किए जाए। श्री बघेल ने गौठानों और चारागाहों की देखभाल के लिए ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाए। उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों से बस्तर लौटे युवाओं को वनोपज संग्रहण, पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के कार्याें में और गोधन न्याय योजना में जोड़कर अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाए। उन्होंने कहा कि कलेक्टर और डीएफओ बैठक कर युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए कार्य योजना तैयार करे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लघु वनोपजों की मार्केटिंग व्यवस्था पर विशेष रूप ध्यान दिया जाए। वनोपजों के बड़ी मात्रा में उपयोग करने वाली कम्पनियों से अनुबंध कर उनकी जरूरत की गुणवत्ता की वनोपजों और वनोषधियों को प्रसंस्करण करने के बाद कम्पनियों को उपलब्ध कराया जाए, जिसे कम्पनियां अपने उत्पादों में उपयोग कर सकेंगी। इससे संग्रहण कर्ताओं को वनोपज के समर्थन मूल्य के अलावा प्रसंस्करण से होने वाले लाभ का अंश भी मिलेगा। कम्पनियों के नेटवर्क के माध्यम से छत्तीसगढ़ में पैदा होने वाली वनोपजों के लिए बड़ा मार्केट मिल सकेगा।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आयुर्वेदिक कम्पनियों को छत्तीसगढ़ में ही प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कृषि, उद्यानिकी और वनों में उत्पादित फसलों को सुरक्षित रखने के लिए पूरे प्रदेश में कोल्ड स्टोरेज नेटवर्क स्थापित करने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि कृषि और उद्यानिकी विभाग पी.पी.पी. माडल पर कोल्ड स्टोरेजों का संचालन कराए। बैठक में कृषि एवं जल संसाधन मंत्री रविंद्र चौबे, वनमंत्री मोहम्मद अकबर, नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव कुमार डहरिया, स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम, वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अम्बिकापुर से स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव शामिल हुए।
बैठक में संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी और चंद्रदेव प्रसाद राय, मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी, विनोद वर्मा, प्रदीप शर्मा और रुचिर गर्ग,  मुख्य सचिव आर. पी. मंडल, वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ, पंचायत एवं ग्रामीण विकास के प्रमुख सचिव गौरव द्विवेदी, कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम. गीता, नगरीय प्रशासन विभाग की सचिव श्रीमती अलरमेल मंगई डी, आदिम जाति कल्याण विभाग के सचिव  डी. डी. सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी उपस्थित थे।

cgnewstime

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!