राजधानी के सखी सेंटर की बड़ी लापरवाही उजागर, मामला छिपाने के लिये नाबालिग लड़की को बना दिया बालिग
रायपुर– राजधानी रायपुर में संचालित सखी सेंटर में बड़ी लापरवाही का मामला उजागर हुआ है. रायपुर के जिला चिकित्सालय परिसर में ‘सखी’ नाम से स्थापित देश के पहले वन स्टॉप सेंटर में सुख सुविधाओं का अभाव देखने को मिल रहा है. इतना अभाव कि सेंटर में मौजूद व्यक्ति किसी भी वक्त फरार हो सकता है लेकिन किसी को खबर तक नहीं होती.. बता दें कि 17 जुलाई की शाम 5:30 बजे सखी सेंटर से फरार हुई लड़की का अब तक कोई पता नहीं चल पाया है,खास बात ये है कि फरार लड़की की उम्र 18 साल से कम है,लेकिन मामले की गंभीरता को कम करने के लिये सखी सेंटर की संचालक ने एन्ट्री रजिस्टर में कांटछांट कर लड़की की उम्र 18 साल दर्शा दी. वहीं जिम्मेदार अधिकारी इस संबंध में गोल मोल जवाब देते हुए नजर आते है.सखी सेंटर में कार्यरत कर्मचारियों नेफोन पर इस बात की सूचना दी कि जो लड़की सेंटर से फरार हुई है,उसने अपना जन्म तिथि 11 अगस्त 2002 बताया था और यही तिथि सखी सेंटर के रजिस्टर में दर्ज किया गया था,लेकिन लड़की के फरार हो जाने के बाद रजिस्टर में कांटछांट कर इसे 11 जुलाई 2002 कर दिया गया,जिससे लड़की बालिग बन जाये और मामले की गंभीरता कम हो जाये. सखी सेंटर की ओर से पुलिस को दी गई जानकारी में उसकी उम्र 18 वर्ष बताई जा रही है आरोपों से बचने के लिए सखी सेंटर के द्वारा बातों को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है.
वहां मौजूद कुछ स्टॉफ ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि युवती रोजगार की तलाश में कुछ दिनों से परेशान थी और इस दौरान वह साड़ी की एक दुकान पर काम मांगने के सिलसिले में पहुंची हुई थी. लेकिन उसके पास वैध दस्तावेज न होने की वजह से साड़ी दुकान के संचालक ने नाबालिग होने के आधार पर सखी सेंटर में दाखिल करा दिया. लड़की 17 जुलाई की शाम वो 5.30 के आसपास खिड़की तोड़कर भाग निकली इस दौरान उस वक्त होमगार्ड, केस वर्कर, एक कार्यकर्ता भी मौजूद रहे लेकिन किसी ने ये सूध नहीं ली सब अपने कामों में व्यस्त रहे.
लड़की के फरार होने की सूचना पुलिस को देर रात दी गई. अज्ञात लड़की कहां गुम हुई इस बात की किसी को कोई जानकारी नहीं है.
सेंटर प्रभारी प्रीति पाण्डेय को ठीक उसी जगह पर निवास दिया गया है ताकि वे सबकी देखभाल करें लेकिन घटना के समय वो मौजूद क्यों नहीं थी यदि सखी सेंटर की खिड़कीयों के दरवाजे इतने बड़े है कि कोई भी आसानी से उसे खोलकर भाग सकता है तो व्यवस्थाएं सुधरवाई क्यों नहीं गई.
इस मामले में सखी सेंटर की प्रभारी प्रीति पाण्डेय ने बताया कि ये सेंटर विपत्ति ग्रस्त महिलाओं के लिए बना हुआ है यह कोई जेल नहीं, जहां पर हम लोग बंधक बनाकर महिलाओं को रखेंगे जिनको सही में सखी सेंटर की जरूरत है वे यहां आकर रह सकते है वो महिला सेंटर में रहना नहीं चाहती थी.प्रीति पांडेय ने कहा कि लड़की की उम्र 18 वर्ष है जो काम की तलाश में रायपुर के किसी दुकान में गई थी जिसे दुकान वालों ने सखी सेंटर पहुंचाया लेकिन महिला खुद भी नहीं चाह रही थी महिला बालिग है वह अपनी स्वेच्छा से कहीं भी जा सकती है उसके लिए सखी सेंटर जिम्मेदार नहीं है. इन सब के बीच आखिरकार सवाल यह उठता है कि दिनदहाड़े महिला सखी सेंटर से भाग जाती है लेकिन जिम्मेदारी लेने वाला कोई नहीं.
जब वह भागी उस वक्त होमगार्ड, केस वर्कर, एक कार्यकर्ता थी. प्रीति पाण्डेय बताती है कि हमने मना किया था कि कुछ दिन बाद आपके घर की जांच पड़ताल करेंगे क्योंकि वो बता रही थी माता-पिता नहीं है लेकिन काउंसलिंग के दौरान काउंसलर को लगा कि वह झूठ बोल रही है और कुछ तो समस्या है या वह किसी और वजह से यहां पर आई रही होगी