245 सरकारी कर्मचारियों पर फर्जी जाति प्रमाणपत्र लगाकर नौकरी करने का आरोप, सीएम के पास पहुंची सूची
संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ के प्रतिनिधि मंडल ने की शिकायत
मुख्यमंत्री ने दिया कार्रवाई का आश्वासन, फर्जी तरीके से नौकरी करने वालों को सरकार हर साल करीब 6 करोड़ रुपए वेतन बांटती है
प्रदेश में फर्जी जाति प्रमाणपत्र के सहारे सरकारी नौकरी करने वालों के लिए बुरी खबर है। इन पर कार्रवाई की मांग अब तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से इस मामले में शिकायत की गई है। उन्हें 245 अधिकारियों-कर्मचारियों का सूची सौंपी गई है, जिन पर गलत दस्तावेज की मदद से नौकरी पाने का आरोप है। दावा किया गया है कि फर्जी तरीके से नौकरी करने वालों को सरकार हर साल करीब 6 करोड़ रुपए वेतन बांटती है।
सीएम को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति भी सौंपी गई। इसमें कहा गया है कि जिनके जाति प्रमाणपत्र जाली साबित हो गए हैं, वे किसी भी विभाग में किसी भी पद पर बने नहीं रह सकते। संसदीय सचिव शिशुपाल सोरी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ के प्रतिनिधि मंडल ने इस मामले में शिकायत की है। सीएम ने उन्हें इस संबंध में उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया। इस मुद्दे पर मोर्चा खोलने वालों में डॉ. शंकर लाल उइके, सीएल चन्द्रवंशी, जयसिंह राज तथा राजकुमार ठाकुर भी शामिल हैं।
कोर्ट में लंबित हैं मामले
हाईकोर्ट में तीन दर्जन मामले लंबित हैं। जबकि, विभागों में दो सौ कर्मचारियों के प्रमाणपत्रों की जांच में वे दोषी पाए गए हैं। इनमें मंत्रालय में ही करीब दो दर्जन अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं। जाली प्रमाण पत्रों के मामले 17 सालों से लंबित है। दोषी अधिकारी-कर्मचारी हाईकोर्ट से स्टे लेकर बैठे हुए हैं। कुछ ने तो ड्यू स्टे ले लिया है। उच्च स्तरीय छानबीन समिति ने 60 ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों के जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए हैं जो सरकार 28 विभागों में काम कर रहे और मोटी तनख्वाह ले रहे हैं। अब तक अनुसूचित जाति, जनजाति, ओबीसी वर्ग से ऐसी ही कुल 580 शिकायतें मिल चुकी हैं, इनमें 245 मामले फर्जी पाए गए, 220 सही मिले, 115 की जांच जारी है।