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दन्तेवाड़ा जिले में अब तक 349 क्विंटल से अधिक गोबर की खरीदी

 ग्रामीणों में उत्साह, बड़ी संख्या में पहुंच रहे गौठान

दन्तेवाड़ा-हरेली तिहार से शुरू हुई गोधन न्याय योजना के तहत दंतेवाड़ा जिले मे अब तक 1 हजार 985 पशुपालकों से 349 क्विंटल से अधिक गोबर की खरीदी गौठान समितियों ने की है। जिले में गोधन न्याय योजना के तहत् दो रुपए प्रति किलो की दर से 22 गौठानों में गोबर की खरीदी की जा रही है। अभी तक पंजीकृत 1 हजार 985 गोबर संग्राहकों से खरीदे गए गोबर की मात्रानुसार राशि 69 हजार 800 रुपए 5 अगस्त को उनके खाते में सीधे जमा की जाएगी। किसी भी परिस्थिति में गोबर खरीदी की राशि का भुगतान किसी भी गोबर संग्राहक को नकद नहीं किया जाएगा।

गौठान में खरीदे गए गोबर को सुरक्षित रखा जा रहा है। गोबर को पंद्रह दिन बाद वर्मी कम्पोस्ट टांके में डालकर जैविक खाद बनाया जाएगा। जिसे 8 रू. प्रति किलो की दर से बेचा जाएगा जिससे रासायनिक खाद का प्रयोग रूकेगा और जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। गोबर संग्राहको का पंजीयन तेजी से किया जा रहा है। पूरे प्रदेश सहित जिले में 20 जुलाई को हरेली तिहार पर शुरू हुई योजना के पहले दिन ही जिले में एक हजार किलो से अधिक गोबर की खरीदी की गई। जिले की 22 गौठानों में हर दिन गोबर खरीदी की जा रही है। गोबर संग्राहकों द्वारा बेचे गए गोबर का पूरा हिसाब भी रखा जा रहा है। बेचे गए गोबर के हिसाब के लिए सभी गौ-संग्राहकों को गोबर खरीदी कार्ड दिए गए है। कार्डों में हर दिन खरीदे गए गोबर की मात्रा और राशि की इंट्री कर गोबर संग्राहकों तथा गौठान प्रभारी के हस्ताक्षर भी लिए जा रहे है। कलेक्टर  दीपक सोनी ने कृषि और पंचायत तथा ग्रामीण विकास विभाग के अधिकारियों को नियमित रूप से गौठानों का निरीक्षण करने, गोबर खरीदने की सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित करने के साथ-साथ खरीदे गए गोबर की पूरी जानकारी प्रतिदिन जिला पंचायत के गौठान सेल में देने के निर्देश भी दिए है। ग्रामीणों में उत्साह, बड़ी संख्या में पहुंच रहे गौठान।

राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई गोधन न्याय योजना के प्रति ग्रामीणों में भारी उत्साह देखने मिल रहा है। उत्साह इतना कि लोग पिकअप में भर-भर के गोबर गौठान में बेचने ला रहे हैं। जिले के गीदम विकासखण्ड के हारम गौठान में पशुपालक देवेन्द्र, दिनेश, लक्ष्मीचन्द, श्रीमति पुष्पा,तथा सुधरू ने एक ही दिन में 3 हजार 77 किलोग्राम गोबर विक्रय किया। गोबर जैसी मूल्यहीन वस्तु की दो रूपए किलो मे खरीदी कर मूल्यवान खाद बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पंख लगाने की इस योजना से गौ-पालकों को अच्छा फायदा हो रहा है।

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