कलेक्टर ने जारी किया गणेश उत्सव के संबंध में दिशा-निर्देश
मूर्ति की ऊंचाई एवं चौड़ाई चार बाई चार फिट से अधिक न हो
पंडाल एवं सामने 4000 वर्गफिट की खुली जगह होनी चाहिए
कवर्धा-कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी रमेश कुमार शर्मा ने नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के नियंत्रण एवं रोकथाम को दृष्टिगत रखते हुए तथा वर्तमान में जिले में कोरोना पॉजिटिव प्रकरणों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है, जिसे रोकने एवं नियंत्रण में रखने के लिए सभी संबंधित उपाय अमल लाया जाना उचित एवं आवश्यक हो गया है। इसे दृष्टिगत रखते हुए गणेशोत्सव के संबंध में विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किये है। यह निर्देश तत्काल प्रभावशील होगा या निर्देश के उल्लंघन करने पर एपीडेमिक डिसीज एक्ट एवं विधि अनुकूल नियमानुसार अन्य धाराओं के तहत कार्यवाही की जायेगी।
जारी दिशा-निर्देशों के तहत मूर्ति की ऊंचाई एवं चौड़ाई चार बाई चार फिट से अधिक न हो, मूर्ति स्थापना वाले पंडाल का आकार 15 बाई 15 फिट से अधिक न हो। पंडाल के सामने कम से कम 4000 वर्ग फिट की खुली जगह हो। पंडाल एवं सामने 4000 वर्गफिट की खुली जगह में कोई भी सड़क अथवा गली का हिस्सा प्रभावित न हो। मंडप, पंडाल के सामने दर्शकों के बैठने हेतु पृथक से पंडाल न हो, दर्शकों एवं आयोजको के बैतने हेतु कुर्सी नहीं लगाये जायेंगे। किसी भी एक समय में मंडल एवं सामने मिलाकर 20 व्यक्ति से अधिक न हो। मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति एक रजिस्टर संचारित करेगी, जिसमें दर्शन के लिए आने वाले सभी व्यक्तियों का नाम पता मोबाईल नंबर दर्ज किया जायेगा, ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना संकमित होने पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग किया जा सके। मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति चार सीसीटीवी लगायेगा, ताकि उनमें से कोई भी व्यक्ति कोरोना संक्रमित होने पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग किया जा सके। मूर्ति दर्शन अथवा पूजा में शामिल होने वाला कोई भी व्यक्ति बिना मास्क के नहीं जायेगा ऐसा पाये जाने पर संबंधित एवं समिति को विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही किया जायेगा। मूर्ति स्थापित करने वाले व्यक्ति अथवा समिति द्वारा सैनेटाइजर, थर्मल स्क्रिनिंग, आक्सीमीटर, हेडवाश एवं क्यू मैनेजमेंट सिस्टम की व्यवस्था की जायेगी।
थर्मल स्क्रिनिंग में बुखार पाये जाने अथवा कोरोना से संबंधित कोई भी सामान्य या विशेष लक्षण पाये जाने पर पंडाल में प्रवेश नहीं देने की जिम्मेदारी समिति की होगी। व्यक्ति अथवा समिति द्वारा फिजिकल ठिस्टेसिंग आगमन एवं प्रस्थान की पृथक से व्यवस्था बांस बल्ली से बेरिकेटिंग कराकर कराया जायेगा। यदि कोई व्यक्ति जो मूर्ति स्थापना स्थल पर जाने के कारण संक्रमित हो जाता है तो इलाज का संपूर्ण वर्ष मूर्ति स्थापना करने वाला व्यक्ति अथवा समिति द्वारा किया जायेगा। कंटेन्मेंट जोन में मूर्ति स्थापना की अनुमति नहीं होगी। यदि पूजा की अवधि के दौरान भी उपरोक्त क्षेत्र कंटेन्मेट क्षेत्र घोषित हो जाता है तो तत्काल पूजा समाप्त करनी होगी। मूर्ति स्थापना के दौरान, विसर्जन के समय अथवा विसर्जन के पश्चात् किसी भी प्रकार के भोज, भंडारा, जगराता अथवा सांस्कृतिक कार्यकम करने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति स्थापना के समय स्थापना के दौरान, विसर्जन के समय अथवा विसर्जन के पश्चात किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्र, ध्वनि विस्तारक यंत्र डीजे बजाने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति स्थापना एवं विसर्जन के दौरान प्रसाद, चरणामृत या कोई भी खाद्य एवं पेय पदार्थ वितरण की अनुमति नहीं होंगी। मूर्ति विसर्जन के लिए एक से अधिक वाहन की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन लिए पिकअप,टाटाएस (छोटाहाथी) से बड़े वाहन का उपयोग प्रतिबंधित होगा। मूर्ति विसर्जन के वाहन में किसी भी प्रकार के अतिरिक्त साज-सज्जा, झांकी की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए से अधिक व्यक्ति नहीं जा सकेंगे एवं ये मूर्ति के वाहन में ही बैठगे। पृथक से वाहन ले जाने की अनुमति नहीं होगी। मूर्ति विसर्जन के लिए प्रयुक्त वाहन पंडाल से लेकर विसर्जन स्थल तक रास्ते में कहीं रोकने की अनुमति नहीं होगी विसर्जन के लिए पुलिस विभाग, नगर पालिका, नगर पंचायत द्वारा निर्धारित रूट मार्ग, तिथि एवं समय का पालन करना होगा। शहर के व्यस्तम मार्गों से मूर्ति विसर्जन वाहन को ले जाने की अनुमति नहीं होगी। विसर्जन के मार्ग में कही भी स्वागत, भंडारा, प्रसाद वितरण पंडाल लगाने की अनुमति नहीं होगी। सूर्यास्त के पश्चात एक सूर्योदय के पहले मूर्ति विसर्जन के किसी भी प्रकिया की अनुगति नहीं होगी। इन शर्तों के साथ घरों में मूर्ति स्थापित करने की अनुमति होगी। यदि घर से बाहर मूर्ति स्थापित किया जाता है, तो कम से कम 7 दिवस पूर्व नगर पालिका, नगर पंचायत कार्यालय में निर्धारित शपथ पत्र मय आवेदन देना होगा एवं अनुमति प्राप्त होने के उपरांत ही मूर्ति स्थापित करने की अनुमति होगी। इन लगी शर्तों के अतिरिक्त भारत सरकार, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के आदेश 4 जून, 2020 के अंतर्गत जारी एसओपीं का पालन अनिवार्य रूप से किया जाना होगा।