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गंभीर बीमारी वाले मरीज भी कोविड सेंटर में कर रहे भर्ती, मरीज भी छिपा रहे बीमारी

रायपुर- कोविड केयर सेंटर में ऐसे मरीजों को भी भर्ती कर दिया जा रहा है, जिन्हें गंभीर बीमारियां हैं, जबकि नियम के मुताबिक यहां सिर्फ उन्हें ही भर्ती किया जाना है, जिनमें हल्के लक्षण है। ऐसी ही लापरवाही के कारण बुधवार को एक शख्स की मौत हो गई, जबकि भर्ती करने के बाद तकरीबन एक दर्जन से ज्यादा मरीजों को आनन-फानन में इधर-उधर शिफ्ट किया गया। पड़ताल में इसका कारण सामने आया कि एक तरफ तो स्क्रूटनी करते समय बीमारियों का पता नहीं चलता और दूसरी तरफ आने वाले मरीज भी अपनी बीमारियां छिपा रहे हैं। कोविड केयर सेंटर में केवल हल्के लक्षण वाले 45 साल तक की उम्र के लोगों को ही भर्ती करना है, लेकिन राजधानी के इंडोर स्टेडियम में पहले हाई बीपी, लो बीपी, डायबिटीज, टीबी, अस्थमा, दमा जैसी कई बीमारियों वाले मरीजों को भी भर्ती कर लिया गया। भर्ती करने के बाद जब इन बीमारियों का पता चला, तो आनन-फानन में दूसरे अस्पतालों में शिफ्ट किया गया। बुधवार को टिकरापारा निवासी जिस शख्स की मौत हुई थी, उसके परिजनों का कहना है कि उसे लो बीपी की शिकायत थी, इसके अलावा शुगर भी हाई था। इस बारे में कोविड सेंटर वालों को पता नहीं चला। जब तक पता चला, काफी देर हो गई।

45 साल तक के युवा जिनमें हल्के लक्षण, उन्हें भेजते हैं कोविड सेंटर 
पड़ताल में पता चला है कि कोरोना संदिग्धों के द्वारा कोविड टेस्ट करवाने पर उनके नाम पते और उम्र का विवरण लिया जाता है। इसमें मरीज के बारे में किसी अन्य रोग की जानकारी का कॉलम नहीं होता है। रोजाना टेस्ट रिपोर्ट के आधार पर कोरोना पॉजिटिव की सूची हेल्थ और नगर निगम की टीम को मिलती है। उसमें उम्र के आधार पर मरीजों को अस्पताल या कोविड केयर सेंटर अलॉट किए जाते हैं। 45 साल तक के ऐसे युवा जिनमें हल्के लक्षण होते हैं उन्हें उम्र के आधार पर कोविड केयर सेंटर अलाट कर दिया जाता है। जबकि गर्भवती, बुजुर्ग या छोटी बच्चियों या बच्चों को अस्पताल में ही प्राथमिकता के आधार पर भेजा जाता है।

21 मौतें ऐसी, जिन्हें थीं दूसरी बीमारियां
शहर में अब तक कुल 26 मौतें हो चुकी हैं, जिनमें 21 मौतें ऐसी थीं, जिन्हें दूसरी बीमारियां भी थीं। बीमारी छिपाने या नहीं बताने से मरीज खुद की जान जोखिम में डाल रहे हैं।
मरीज और परिजन भी सजग रहें: शहर में सैकड़ों मरीज मिल रहे हैं। अस्पतालों में भी बिस्तर भी सीमित हैं। इसलिए आपाधापी से बचने के लिए मरीज के परिजन और मरीज खुद भी अपनी बीमारी न छिपाए।
उसे जो भी बीमारी है, टीम को एडमिशन के समय ही बताएं। कुछ कर्मियों का कहना है कि स्पष्टता का अभाव और तालमेल की कमी के कारण ऐसा हो रहा है।

अन्य बीमारियों से पीड़ित को होम आइसोलेशन की सुविधा भी नहीं 
आईसीएमआर की गाइडलाइंस के मुताबिक साठ साल से ज्यादा या अन्य किसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को कोविड केयर सेंटर अलाट नहीं किया जाना चाहिए। यही नहीं ऐसे कोरोना पॉजिटिव जो अन्य किसी बीमारी के शिकार हैं उन्हें घर पर इलाज की सुविधा भी नहीं मिलती है, फिर चाहे मरीज युवा ही क्यों न हो।

“मरीज को यदि पहले से कोई और गंभीर रोग है तो उसके बारे में टीम को जरूर जानकारी दें, ताकि उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाने की व्यवस्था बनाई जा सके।”
-मीरा बघेल, सीएमएचओ, रायपुर

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