वन्य प्राणियों की सुरक्षा में और उनके रेस्क्यू में रुचि रखने वाले नागरिकों को दिए गए रेस्क्यू प्रशिक्षण
प्रशिक्षण में बताया गया कि मानव जीवन में वनों, वन्य प्राणियों और प्रकृति का महत्वपूर्ण स्थान है
कवर्धा-वन मंत्री मोहम्मद अकबर के मंशानुसार कवर्धा वन मंडल द्वारा वन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन के वन मंडल अंतर्गत पदस्थ वन अमला तथा जिले के वन्य प्राणियों की सुरक्षा में और उनके रेस्क्यू में रुचि रखने वाले नागरिकों को दो दिवसीय विशेष रूप से प्रशिक्षण दिया गया। इस दो दिवसीय प्रशिक्षण में प्रशिक्षकों द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को क्षेत्रीय प्रशिक्षण एवं डेमोंसट्रेशन भी दिया गया।
प्रशिक्षण में बताया गया कि मानव जीवन में वनों, वन्य प्राणियों और प्रकृति का महत्वपूर्ण स्थान है। मनुष्य ने अपनी समृद्धि और विकास के लिए वनों और प्रकृति का विनाश रूपी विदोहन इस प्रकार किया है कि आज वनों में सुगम आवास के अभाव में वन्य प्राणी आए दिन भटक कर मानव रहवास क्षेत्रों में आ जाते हैं। इससे मानव-वन्य प्राणी द्वंद की स्थिति निर्मित होती है। वन्य प्राणी घबराहट, डर, चिड़ने और गुस्सा होने के कारण मनुष्य को जन घायल, जनहानि, पशु हानि, संपत्ति नुकसानी और फसल नुकसानी जैसी क्षति पहुंचा देते हैं। वही मनुष्य अपनी और अपने स्वजनों की जान, अपनी संपत्ति और अपनी फसलों को वन्य प्राणी द्वारा नुकसान पहुंचाने से बचाने के लिए इन निरीह वन्य प्राणियों को घायल कर देते हैं या बदला लेने के लिए इनकी हत्या कर देते हैं। इतना ही नहीं, इन वन्य प्राणियों का शिकार भी हो जाता है।
ऐसे में वन मंडल कवर्धा जिला कबीरधाम द्वारा पहल करते हुए वन्य प्राणी, वन विभाग, छत्तीसगढ़ शासन से वन मंडल अंतर्गत पदस्थ वन अमला तथा जिला कबीरधाम के वन्य प्राणियों की सुरक्षा में और उनके रेस्क्यू में रुचि रखने वाले नागरिकों के प्रशिक्षण के लिए अनुरोध किया गया था। इस तारतम्य में, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) तथा मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी) ने डॉ राकेश वर्मा वन्यप्राणी-पशु चिकित्सक जंगल सफारी एवं नंदनवन चिड़ियाघर, अटल नगर, न्यू रायपुर तथा उनके सहायक रमाकांत को उक्त प्रशिक्षण जिला कबीरधाम में देने के लिए निर्देशित किया था। इस क्रम में 29 और 30 जुलाई को वन मंडल कवर्धा के काष्ठागार के नीलामी हॉल तथा प्रबंध संचालक के सभागार में कोविड-19 के अंतर्गत सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए वन्य प्राणी रेस्क्यू प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।
प्रशिक्षण के प्रथम दिवस वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम,1972 – उसमें दिए गए धाराएं, प्रावधान और शेड्यूल के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को क्लासरूम सेशन के माध्यम से अवगत कराया गया। मानव क्षेत्र में विभिन्न परिस्थितियों में, जैसे कुएं में गिरने पर वन्य प्राणी का रेस्क्यू कैसे किया जाए, रेस्क्यू किए गए वन्य प्राणी का प्राथमिक उपचार कैसे किया जाए, आदि के बारे में प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया गया। प्रशिक्षणार्थियों को रेस्क्यू किए गए शाकाहारी वन्य प्राणियों तथा वन्य प्राणी के छोटे शिशुओं को प्राथमिक उपचार के तौर पर पिलाने के लिए ई- केयर सी पाउडर, स्ट्रेस निल पाउडर के बारे में बताया गया। साथ ही विटामिन सी की गोली, 40 प्रतिशत गुनगुने पानी में गाय का दूध और ओ आर एस घोलकर पिलाने जैसे टिप्स दिए गए। जिला कबीरधाम के विभिन्न ग्रामों और शहरी क्षेत्रों में प्रायः सांप के घरों, बाड़ी, दुकानों, शॉपिंग मॉल, नालियों इत्यादि स्थानों पर निकल आने की सूचना वन विभाग को प्राप्त होती है।
इस विषय पर दूसरे दिवस प्रशिक्षकों द्वारा छत्तीसगढ़ और जिला कबीरधाम में पाए जाने वाले वाले विभिन्न प्रकार के विषैले और विष रहित सांपों की जानकारी दी गई। सांप को सुरक्षित रेस्क्यू करने के लिए स्नेक किट जिसमें स्नेक हुक, फ्रेम सहित स्नेक बैग, स्नेक टोंग, दस्ताने, आदि की जानकारी और सुरक्षित तरीके से सांप पकड़ने की बारीकियां नोवा नेचर सिविल सोसाइटी से आए प्रशिक्षक सूरज द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को बताई गयी।
प्रशिक्षण के समापन के अवसर पर अनुराग श्रीवास्तव, मुख्य वन संरक्षक (वन्य प्राणी), श्रीमती शालिनी रैना, मुख्य वन संरक्षक दुर्ग वन वृत्त दुर्ग, दिलराज प्रभाकर, वन मंडल अधिकारी कवर्धा वन मंडल, संजय कुमार यादव उप वनमंडल अधिकारी कवर्धा, एम.एल.सिदार उप वनमंडल अधिकारी सहसपुर लोहारा, एम.सी. देशलहरा उप वनमंडल अधिकारी पंडरिया तथा मनोज कुमार शाह अधीक्षक भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण उपस्थित रहे।
किसी भी प्रकार की वन्य प्राणी गांव अथवा घर ले आसपास देखने पर रेस्क्यू टीम को सूचित करें
कबीरधाम जिले के जन सामान्य, गणमान्य व्यक्तियों, जनप्रतिनिधियों, जिला में कार्यरत अधिकारियों एवं कर्मचारियों से वन विभाग, कवर्धा द्वारा अनुरोध किया गया है कि वन विभाग के अधिकारियों तथा कर्मचारियों को किसी भी वन्य प्राणी जैसे, तेंदुआ, जंगली सूअर, लकड़बग्घा, बायसन, बाघ, सोन कुत्ता, जहरीले सांप या अन्य प्रकार के सांप, सियार, चीतल, कि बायसन, वन भैंसा, सांभर, बार्किंग डियर, नीलगाय, आदि, की मानव आवासीय क्षेत्र में आ जाने की सूचना मिलती है, तो तत्काल उपलब्ध कराएं, ताकि जान-माल और वन्य प्राणी की सुरक्षा की जा सके तथा वन्य प्राणी को रेस्क्यू कर सफलतापूर्वक जंगलों में वापस छोड़ा जा सके।
कवर्धा वन मंडल के वन्य प्राणी रेस्क्यू सेल के कंट्रोल रूम संचालित
कवर्धा वन मंडल के वन्य प्राणी रेस्क्यू सेल के कंट्रोल रूम का मोबाइल नंबर 7587013323, वन मंडल स्तरीय उड़नदस्ता के सहायक प्रभारी का 9425576857, अधीक्षक भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 7587013350, परिक्षेत्र अधिकारी भोरमदेव वन्य प्राणी अभ्यारण का 7828853500, उप वनमंडल अधिकारी कवर्धा का 9479027029 परिक्षेत्र अधिकारी कवर्धा का 877 0976735, परिक्षेत्र अधिकारी अधिकारी तरेगांव तथा परिक्षेत्र अधिकारी पश्चिम पंडरिया का 9981192548, उप वनमंडल अधिकारी पंडरिया का 7974210301, परिक्षेत्र अधिकारी पूर्व पंडारिया का 9340135862, उप वनमंडल अधिकारी सहसपुर लोहारा का 7898755213, परिक्षेत्र अधिकारी सहसपुर लोहारा का 7647995150, परिक्षेत्र अधिकारी रेंगाखार का 7471180875 तथा परिक्षेत्र अधिकारी खारा का मोबाइल नंबर 93408 96308 हैं। वन मंडल अधिकारी जिला कबीरधाम का संपर्क नंबर 9479105168 है। वन्य प्राणी रेस्क्यू में सहयोग और रुचि रखने वाले जिला कबीरधाम के स्थानीय नागरिकों में अविनाश सिंह ठाकुर 7987904596, सतीश ठाकुर 9893220663, निलेश सोनी 9993600938, नीलेश सिंह बिसेन 9907888488, असलम नवाज 9893235015 तथा उमेश साहू (सानू) 9098390984 ने यह दो दिवसीय वन्य प्राणी रेस्क्यू प्रशिक्षण प्राप्त किया। इन सभी के वन विभाग को वन्य प्राणी रेस्क्यू में समय-समय पर किए गए सहयोग को वन अधिकारियों द्वारा सराहा गया।
वन्य प्राणी की सूचना प्राप्त होने पर जिला कबीरधाम का जागरूक नागरिक वन विभाग को सूचित कर मानव- वन्य प्राणी द्वंद से बचाव में शासन का सहयोग कर सकता है। यदि वन विभाग से संपर्क नहीं हो पाता है, तो तत्काल स्थानीय प्रशासनिक अधिकारी को, थाना या पुलिस चौकी में सूचना दी जा सकती है।