सीसीटीएनएस के तहत जुड़ेंगे थाने, कोर्ट, जेल और अभियोजन, पुराना रिकॉर्ड भी पता चल जाएगा
रायपुर- छत्तीसगढ़ के हर अपराधी की तस्वीर के साथ फिंगर प्रिंट का डाटा बेस अब ऑनलाइन होगा। इसके साथ ही एफआईआर के बाद संबंधित केस में अपराधी के जेल में होने या जमानत पर रिहा होने की सूचना भी ऑनलाइन प्लेटफाॅर्म पर उपलब्ध रहेगी। इस तरह कोई अपराध होने पर केस की छानबीन आसान हो जाएगी। फिलहाल थाने और कोर्ट जुड़ चुके हैं, जबकि जेल, एफएसएल, प्रॉसीक्यूशन आदि का डाटा तैयार कर इंटीग्रेशन की प्रक्रिया चल रही है। खास बात यह है कि देशभर की सारी एजेंसियां इस प्लेटफॉर्म से जुड़ी होंगी, जिससे देश के किसी भी हिस्से में अपराध होने पर अपराधी को पकड़ना आसान हो जाएगा। सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट के अंतर्गत क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम के अंतर्गत आने वाली सभी एजेंसियों को एक प्लेटफॉर्म पर लाना है। इसके पहले चरण में सभी थानों को ऑनलाइन करना है। छत्तीसगढ़ में 446 में से सिर्फ आधा दर्जन सुदूर थाने ही ऑनलाइन नहीं हो पाए हैं। हालांकि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही माध्यम से एफआईआर दर्ज किया जा रहा है। इसके लिए पीएम नरेंद्र मोदी भी तारीफ कर चुके हैं।
अब तक कोई ट्रेकिंग सिस्टम नहीं
चोरी, डकैती या लूट जैसी वारदातों में शामिल पेशेवर अपराधियों की निगरानी का अब तक कोई ट्रेकिंग सिस्टम नहीं था। यही वजह है कि कोई अपराधी जमानत पर छूट गया या जेल में बंद है, यह पुलिस की जानकारी में नहीं होता। इसी तरह की घटना होने के बाद जब अपराधी पकड़ा जाता है, तब यह पता चलता है कि वह कुछ दिन पहले ही जेल से छूटा है।
बाहरी अपराधियों की पहचान आसान
सीसीटीएनएस शाखा के प्रभारी एसएन सिंह के मुताबिक कई गिरोह समय-समय पर अलग-अलग राज्यों या शहरों में वारदात को अंजाम देते हैं। फिंगर प्रिंट और फोटोग्राफ्स ऑनलाइन उपलब्ध होने पर इसका मिलान किया जा सकता है। इस तरह गिरोह की पहचान आसान हो जाएगी।
“सीसीटीएनएस के अंतर्गत छत्तीसगढ़ ने थानों को ऑनलाइन करने में सबसे बेहतर काम किया है। प्रदेशभर के पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग भी दी गई है। अब सभी एजेंसियों का डाटाबेस इंटीग्रेशन का काम होना है। यह प्रोजेक्ट पूरे देश में एक साथ चल रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर सभी एक प्लेटफार्म पर उपलब्ध होंगे। इससे अपराध की जांच से लेकर अपराधियों की ट्रेकिंग आसान हो जाएगी।”
-आरके विज, प्रमुख सीसीटीएनएस