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संतान की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए माताओं ने निर्जला रह सुना हलषष्ठी कथा

सुशील तिवारी

गेवरा दीपका- संतान की सुख-समृद्धि और लंबी उम्र के लिए माताओं के द्वारा आज निर्जला रहकर हलषष्ठी की पूजा कर कथा सुनी। पहले माताएं दिनभर निर्जला व्रत रखकर मंदिर परिसर या घरो के आंगन में सगरी बनाकर उसके चारों तरफ बैठकर भगवान शिव और माता पार्वती की कथा सुनकर पूजा कर संतानों की दीर्घायु एवं स्वस्थ रहने की कामना की।

बलराम जी का जन्म हुआ था
पंडितों के अनुसार भादो महीने के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था और उनका प्रमुख शस्त्र हल था। इसलिए इस दिन को हलषष्ठी कहा जाता है। यह दिन माताओं के लिए बहुत ही खास होता है क्योंकि इस दिन संतान की लंबी उम्र के लिए मां निर्जला व्रत रखती हैं।

जानें हलषष्ठी की पूजा विधि
हलषष्ठी के दिन सुबह से नहा धोकर साफ कपड़े पहनकर गोबर से जमींन को अच्छे से पोत लें। इसके बाद वहां पर छोटे से तालाब का निर्माण करें। इसके बाद इस तालाब के आसपास झरबेरी और पलाश को लगा दें। इसके बाद पूजा में चना, जौ, गेंहू, धान, मक्का और मक्का से पूजा करें। इसके बाद हलछठ की कथा सुनाई जाती है। जिससे संतान की उम्र लंबी होती है।

भैंस के दूध का होता है उपयोग
हलषष्ठी के दिन गाय के दूध या दही का सेवन बिल्कुल भी नहीं किया जाता है। इस दिन भैंस का दूध और भैंस के दूध से बनी घी का प्रयोग किया जाता है।

पसहर चावल का होता है विशेष महत्व
इस दिन बिना हल लगे फल, सब्जी और अनाज का इस्तेमाल किया जाता है। इस दिन पसहर चावल जिसे छत्तीसगढ़ में लाल भात कहा जाता है। विशेष तौर पर इस्तेमाल किया जाता है।

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