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3 दिन से मरच्यूरी में पड़ा कोरोना मरीज का शव, दफनाने की जगह तक नहीं खोज सके

जगदलपुर- बस्तर संभाग में 21 मई को कांकेर में कोरोना का पहला मरीज मिला था। तब से अब तक करीब 4 महीने बीतने को है। लेकिन यहां प्रशासन ने अब तक कोरोना से मौत के बाद लाश को दफनाने की जगह तक नहीं खोजी है। इसका खुलासा तब हुआ जब शनिवार को मेडिकल कॉलेज में कोरोना से लोहांडीगुड़ा के एक युवक की मौत हो गई। इसके बाद तीन दिन से अफसर उसके कफन-दफन की प्रक्रिया और जगह को लेकर उलझे हुए हैं। रविवार को विवाद के बाद सोमवार के दिन भी प्रशासन के अफसर उलझन में ही रहे और युवक की लाश मर्च्यूरी में पड़ी रही। प्रशासनिक अफसरों का कहना है कि युवक की लाश का अंतिम संस्कार पूरी सुरक्षा के साथ करना चाहते हैं। ऐसे में इसके लिए जमीन की तलाश की जा रही है जो अभी पूरी नहीं हो पाई है। इससे पहले प्रशासनिक अफसरों ने पंडरीपानी में जगह की तलाश की थी लेकिन इस जगह को स्थानीय ग्रामीणों ने गोठान के लिए आरक्षित किया था। ऐसे में ग्रामीणों ने यहां कब्र बनाने का विरोध कर दिया और अफसरों को वापस लौटना पड़ा। इधर डिप्टी कलेक्टर प्रवीण वर्मा ने बताया कि अभी हम ऐसी जगह की तलाश कर रहे हैं जहां कोरोना पॉजिटिव मरीजों का अंतिम संस्कार किया जा सके। उन्होंने बताया कि इसके लिए सोमवार को अफसरों के साथ एक बैठक भी की है। समाचार लिखे जाने प्रशासनिक अफसर युवक की लाश को दफनाने के लिए स्थान तय नहीं कर पाए थे लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि मेकॉज के पास ही किसी स्थान पर एक एकड़ जमीन को आरक्षित किया जाएगा।

22 नए मरीजों में सबसे ज्यादा बीजापुर से मिले
कोरोना का कहर सोमवार को भी जारी रहा बस्तर जिले में शाम 4 बजे तक 5 कोरोना पॉजिटिव मिले। इसी तरह बीजापुर में 11, नारायणपुर में 2 और सुकमा में 4 कोरोना पॉजिटिव मिले है। बस्तर जिले में चार नए कोरोना पॉजिटिव में केशलूर से 3 और एक व्यक्ति बस्तर ब्लॉक से शामिल हैं। इनमें कुछ सीआरपीएफ के जवान भी हैं जो केशलूर क्वारेंटाइन सेंटर में थे।
इधर वृंदावन कॉलोनी स्थित बालगृह में लोहांडीगुड़ा का एक 7 साल का बच्चा पॉजिटिव निकला है। इधर बीजापुर में 10 सीआरपीएफ के जवान और एक ग्रामीण संक्रमित मिले हैं।

अब मेकॉज लाई गई नई मशीन, अब हर दिन ढाई हजार सैंपल की हो सकेगी जांच 
इधर मेडिकल कॉलेज को आईसीएमआर ने नई ऑटोमेटिक आरएनए एक्सट्रैक्टर मशीन दे दी है। अभी मेकॉज में हर दिन करीब चार सौ सैंपल की जांच हो रही थी। इस मशीन के इंस्टाल होते ही यह संख्या ढाई हजार के करीब पहुंच जाएगी। मशीन मेकॉज के माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट में पहुंच गई है और अभी इसे नहीं खोला गया है। इसके अलावा एक और मशीन बेंगलुरु से मेकॉज के लिए निकल चुकी है। इस मशीन के आते ही मेकॉज में हर दिन 5 हजार कोरोना सैंपल की जांच हो पाएगी।

जांच में आएंगी तेजी, होगा फायदा: अधीक्षक
मेकॉज के अधीक्षक डाॅ. केएल आजाद ने बताया कोरोना की जांच के लिए स्वाब सैंपल कलेक्ट किए जाते हैं। सैंपल से आरएनए(राइबोज़ न्यूक्लिक अम्ल) निकाला जाता है। आरएनए को जांच के लिए कई हिस्सों में मल्टीप्लाई किया जाता है। अभी तक यह प्रक्रिया मैनुअल हो रही थी इसमें चार से पांच घंटे का समय लग रहा था लेकिन अब आईसीएमआर ने ऑटोमैटिक आरएनए एक्स्ट्रैक्टर भेज दी है यह मशीन बहुत कम समय में ही आरएनए को मल्टीप्लाई कर देती है।

जािनए, गुजरात के सूरत में समाजों काे जिम्मा कि खुद करें दफनाने की व्यवस्था
इधर गुजरात के सूरत में कोरोना का सबसे ज्यादा कहर है यहां अब तक दो हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यहां कोरोना से मौत होने पर सभी समाज के लोगों को जिम्मेदारी दी गई थी कि वे अपने-अपने कब्रिस्तान में कोरोना से मरने वाले लोगों को दफन करने उनके ही कब्रिस्तान में अलग जगह चयनित कर व्यवस्था करें। इसके अलावा यहां एकता चेरिटेबल एनजीओ को शवों को दफन करवाने की जिम्मेदारी दी गई है। इधर प्रदेश की राजधानी रायपुर में भी कोरोना पॉजिटिव मरीज की मौत के बाद अंतिम संस्कार की प्रक्रिया के लिए पहले से तय इलाकों के समाज प्रमुखों, पार्षदों से सहमति ली जा रही है। यहां पर विरोध की स्थिति में नया रायपुर में अलग से शव को दफनाने की वयवस्था भी की गई है। बस्तर में सोमवार को दाह संस्कार करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीन मंगाई गई है।

cgnewstime

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