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नक्सली की ‘303-रायफल’ में फंसी गोली, फोर्स ने एलएमजी से दाग डाले 45 राउंड

कांकेर- आमाबेड़ा थानांतर्गत मातेंगा में सोमवार शाम नक्सली को मार गिराने वाले जवानों के अनुसार नक्सलियों को जिंदा पकड़ने टीम उनके काफी नजदीक पहुंच चुकी थी। संतरी ड्यूटी कर रहे नक्सली की नजर उन पर पड़ गई और उसने फायरिंग कर दी। जवान संभले लेकिन जैसे ही नक्सली ने दूसरी फायरिंग की गोली बंदूक में फंस गई। वह 90 सेकेंड तक बंदूक को ठीक करने कोशिश करता रहा। इसी दौरान मौका मिलते ही जवानों अपने को सुरक्षित कर बाजी पलटते एलएमजी से ताबड़तोड़ फायरिंग कर नक्सली को ढ़ेर कर दिया। पुलिस को सूचना थी कि आमाबेड़ा व कोंडागांव जिले के धनोरा इलाके में नक्सली डेरा डाले हुए हैं। सूचना के अधार पर नक्सलियों को घेरने कांकेर से एसटीएफ की 8 नंबर टीम के अलावा कांकेर कोंडागांव दोनों जिले से डीआरजी व बीएसएफ की टीम संयुक्त ऑपरेशन में निकली। एसटीएफ की टीम सबसे आगे थी तथा उसके सपोर्ट में अन्य टीमें थी। एसटीएफ की टीम मलांजकुड़ूम से पहाड़ी व जंगली रास्ते से होते हुए 10 अगस्त की शाम 4 बजे मातेंगा पहाड़ी पहुंची। नक्सली पहाड़ी के नीचे कैंप लगा भोजन करने की तैयारी में थे। नक्सलियों को घेरने एसटीएफ जवान धीरे -धीरे पहाड़ी से नीचे उतरने लगे। सामने चल रहे जवान करण राय व धरमवीर संतरी ड्यूटी में तैनात नक्सली से मात्र 20 मीटर की दूरी पर थे। नक्सली ने फोर्स को देख लिया और फायरिंग शुरू कर दी।

दोबारा हमले को देख पहाड़ी पर गुजारी रात 
नक्सली का शव व अन्य सामान बरामद करने के बाद फोर्स वहां से निकलने लगी तो रास्ते में नक्सलियों घेरने दोबारा फायरिंग की। अंधेरा होने से वहां से बाहर निकलना मुश्किल था। जवान पूरी रात पहाड़ी में मोर्चा लेकर डटे रहे। सुबह उजाला हुआ तो तब जवान नक्सली की लाश व सामान लेकर केशकाल की ओर से होते हुए कांकेर पहुंचे।

नक्सलियों से मिला पार्सल बना रहस्य 
जब्त सामान में नक्सलियों का एक पार्सल भी मिला है जो सुरक्षित तरीके से पाईप व पॉलीथिन से पैक किया गया है। ऊपर उसे किसी को देने का उल्लेख है। वजनी होने के कारण पुलिस ने उसे नहीं खोला है। आशंका है इसमें विस्फोटक भी हो सकता है। बाद में अलग कर उसकी जांच की जाएगी।

रैपिड मलेरिया टेस्ट किट भी बरामद
मौका मिलते ही जवान करण ने एलएमजी से एक साथ 45 राउंड दागे। नक्सली को मौके पर ही ढेर हो गया। ये नक्सली जवानों के इतने करीब था कि यदि उसकी बंदूक में गोली नहीं फंसती तो वह जवानों पर हावी हो जाता। उसके शव के पास से उसकी 303 बंदूक बरामद की गई जिसमें गोली फंसी हुई थी। जब्त सामान में बड़ी संख्या में बुखार, दर्द, मल्टी विटामिन, टेबलेट, इंजेक्शन आदि मिले हैं। साथ ही रैपिड मलेरिया टेस्ट किट भी मिली है।

मुठभेड़ में मारे गए नक्सली का शव जंगल से लाते जवान।

कैंप में अधिकांश महिला नक्सली थीं, घायल भी हुई
जवानों ने बताया मौके पर 6 कैंप थे जिसमें 35 से अधिक नक्सली थे। फायरिंग के समय महिला नक्सलियों के चिल्लाने की आवाज ज्यादा आ रही थी। घटनास्थल से महिलाओं के कपड़े भी मिले जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है वहां महिला नक्सलियों की संख्या अधिक थी। कुछ महिला नक्सली घायल भी हुई हैं। जिन्हें उनके साथी उठा ले गए। मौके पर खून के निशान भी मिले हैं।

बारिश से खुद को सुरक्षित समझ रहे थे नक्सली 
इलाके में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश से नक्सलियों को उम्मीद नहीं थी पुलिस आपरेशन चला उन तक पहुंचेगी। जहां कैंप था वह पहाड़ी से घिरा व नदी नालों वाला रास्ता होने के कारण नक्सली स्वयं को सुरक्षित समझ रहे थे। बारिश के बावजूद जवान कांकेर से रविवार रात एक बजे निकले। मलांजकुड़ूम होते 17 घंटे पैदल चल मातेंगा पहाड़ी पहुंचे। मुठभेड़ के बाद पूरी रात बारिश में भीगते पहाड़ी में ठहरे व 35 घंटे में आॅपरेशन कामयाब बना सुरक्षित 11 अगस्त की सुबह 11 बजे कांकेर पहुंचे। दोनों ओर से करीब पौने दो घंटे तक फायरिंग होने के बाद नक्सली भाग गए।

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