निलंबित आईएएस जनक प्रसाद पाठक की अग्रिम जमानत मंजूर; जांजगीर के पूर्व कलेक्टर दुष्कर्म मामले में हैं आरोपी
कोर्ट ने कहा- एफआईआर देर से दर्ज की गई, कहानी भी विश्वसनी नहीं लग रही
आईएएस पाठक पर एफआईआर होने के बाद राज्य सरकार ने किया था निलंबित
रायपुर – निलंबित आईएएस अधिकारी और जांजगीर के पूर्व कलेक्टर जनक पाठक की अग्रिम जमानत शुक्रवार को हाईकोर्ट ने मंजूर कर ली है। कोर्ट ने देर से एफआईआर दर्ज होने पर इसका लाभ दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा, मामले की कहानी भी विश्वसनीय नहीं लग रही है। पूर्व कलेक्टर जनक पाठक दुष्कर्म के मामले में आरोपी हैं।
पूर्व कलेक्टर जनक पाठक ने अधिवक्ता शशांक ठाकुर, आशुतोष पांडेय व हिमांशु सिन्हा के माध्यम से हाइकोर्ट में अग्रिम जमानत अर्जी दी। सुनवाई के बाद कोर्ट ने जनक पाठक को अग्रिम जमानत का लाभ दिया। कोर्ट ने कहा, पूरी एफआईआर पढ़ने से स्पष्ट होता है कि केस देर से दर्ज किया गया। ये मामले को कमजोर करता है। कहानी विश्वसनीय प्रतीत नहीं होती है।
एकलपीठ में हुई मामले की सुनवाई
मामले में पीड़ित पक्ष की ओर से आपत्ति अधिवक्ता सरफराज खान ने प्रस्तुत की। वहीं राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाअधिवक्ता विवेक रंजन तिवारी ने आपत्ति दर्ज कराई। सुनवाई में कोर्ट ने अंतिम बहस पूरी होने के बाद अग्रिम जमानत की मांग मंजूर की। मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की एकलपीठ में हुई।
4 जून को दर्ज कराई गई थी एफआईआर
आईएएस अधिकारी जनक प्रसाद पाठक के खिलाफ 4 जून को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसमें आरोप लगाया गया कि जांजगीर जिले का कलेक्टर रहते आईएएस पाठक ने अपने चैंबर में महिला से दुष्कर्म किया। मामला दर्ज होने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चीफ सेक्रेट्री आरपी मंडल को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। साथ ही मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए।