मुख्यमंत्री निवास में ‘पोरा-तीजा‘ तिहार की धूम : छत्तीसगढ़िया रंग में रंगा मुख्यमंत्री निवास
कार्यक्रम में रइचुली-चकरी झूला और ठेठरी-खुरमी का इंतजाम
नांदिया-बैला और पारंपरिक कटआउट के साथ सेल्फी लेने महिलाओं में लगी होड़
प्रत्येक संभाग के लिए राम वन गमन पथ पर आधारित रथ रवाना
रायपुर-
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर निवास में आज लगातार दूसरे साल परंपरागत पोरा-तीजा का तिहार छत्तीसगढ़ी संगीतमय वातावरण में हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया। मुख्यमंत्री बघेल ने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती मुक्तेश्वरी बघेल के साथ कार्यक्रम में शामिल होकर भगवान शिव, नांदिया बैला और चुकियां-पोरा की पूजा अर्चना कर प्रदेश की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की। उन्होंने इस अवसर पर सभी माताओं और बहनों को त्यौहार की बधाई और शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री निवास में पोरा-तीजा तिहार के लिए विशेष इंतजाम किये गये। मुख्यमंत्री निवास परिसर को छत्तीसगढ़ की परम्परा और रीति-रिवाज के अनुसार सजाया गया था। निवास पूरी तरह छत्तीसगढ़िया रंग में रंगा नजर आया। छत्तीसगढ़ी लोक संगीत, नृत्य, ठेठरी, खुरमी, चीला, मालपूआ जैसे पारंपरिक पकवान के इंतजाम किए गए थे। जिसे लेकर महिलाओं में बहुत उत्साह देखा गया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने राम वन गमन पथ पर आधारित रथ को भी रवाना किया। इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया, गृह मंत्री श्री ताम्रध्वज साहू, संसदीय सचिव श्रीमती रश्मि आशीष सिंह और सुश्री शकंुतला साहू, राज्य सभा सांसद श्रीमती छाया वर्मा, श्रीमती फूलोदेवी नेताम, विधायक श्री मोहन मरकाम, श्रीमती अनिता योगेन्द्र शर्मा, राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष श्रीमती किरणमयी नायक, पूर्व सांसद श्रीमती करूणा शुक्ला सहित जनप्रतिनिधि और माताएं-बहनें उपस्थित थीं। कोविड -19 के प्रकोप को देखते हुए आयोजन में सीमित संख्या में लोगों को आमंत्रित किया गया था।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी माताओं-बहनों और प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों से मुख्यमंत्री निवास पहुंची महिलाओं को तीजा-पोरा की बधाई देते हुए कहा कि पिछले साल रस्सा-खीच, जलेबी दौड़, मटका फोड़ जैसे कई आयोजन किये गए थे लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए आयोजन को सीमित रखा गया है। उन्होंने कहा कि त्योहार हमारी संस्कृति से जुड़े होते हैं, इसे मनाते हुए ‘जान है तो जहान है‘ इस बात का ध्यान भी रखना होगा। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि तीजा में बहू-बेटियों को मायके न जाने संबंधी कोई संदेश शासन से जारी नहीं किया गया है। सुरक्षा की दृष्टि से गांवों में ग्रामीणों ने इस तरह की व्यवस्था की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए गांवों में जिस तरह की व्यवस्था पहले देखी गई है, वैसी शहरों में भी नहीं हुई। संक्रमण से बचाव के लिए ग्रामीण अपनी परिस्थतियों के अनुरूप व्यवस्था कर सकते हैं। हम उनकी व्यवस्था का सम्मान करते हैं।
मुख्यमंत्री ने तीजा-पोरा के अवसर पर राम वन गमन पथ पर आधारित रथ को भी रवाना किया। यह रथ प्रदेश के सभी संभागों में गांव-गांव जाकर लोगों को डिजिटल वीडियो के माध्यम से प्राचीन धरोहर, मंदिरों और रामवनगमन पथ से संबंधित जानकारी देगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवालयों के विकास के लिए ‘राम वन गमन कोष‘ बनाया जाएगा। यह कोष जनभागीदारी समिति के माध्यम से संचालित होगा, जिसमें अशासकीय लोग होंगे। कोष की धनराशि से प्रदेश में राम वन गमन पथ में आने वाले मंदिर, देवालय, आदिवासियों के गुड़ी का विकास और पुनरोद्धार किया जाएगा और खाने-रहने की व्यवस्था भी की जाएगी। उन्होंने लोगों से कोष में दान देने की भी अपील की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज दुनिया भर में छत्तीसगढ़ सरकार की गोबर खरीदी की चर्चा है। इससे गोबर कीमती हो गया है। हमारी योजनाएं गांव, गरीब, किसानों के लिए हैं। हमने गोबर की ही व्यवस्था नहीं की है बल्कि गौठानों में महिलाएं आटा मिल, तीखुर के छोटे प्लान्ट जैसे कई रोजगार का काम कर रही है। उन्होंने कहा कि तीजा के एक दिन पहले करू-भात के दिन 20 अगस्त को हम किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत राशि, तेंदूपत्ता संग्राहकों को प्रोत्साहन पारिश्रमिक और गोधन योजना के तहत ग्रामीणों को गोबर विक्रय का भुगतान करेंगे, जिससे बहनों को किसी तरह की कमी न हो। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के प्रकोप को दखते हुए लोगों से कहा कि बचाव में ही सुरक्षा है इसलिए कड़ाई से नियमों का पालन करें।
महिला बाल विकास मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया ने बहु-बेटियों हेतु इस आयोजन के लिए मुख्यमंत्री को बधाई दी। उन्होंने कहा कि तीजा में बहू-बेटियों को मायके जाने की मनाही नहीं है,लेकिन संक्रमण को देखते हुए बहुओं को भी बेटियोें की तरह तीजा मनवाएं। इस अवसर पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि मुख्यमंत्री की विशेषता है कि आज मुख्यमंत्री निवास में भी हमें घर-परिवार सा माहौल लगता है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की पहल पर छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण और संवर्धन का काम शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी बोली को सहेजने के लिए भी प्रतियोगिता होनी चाहिए।
कार्यक्रम स्थल में पारंपरिक वेशभूषा और गहनों से सजी महिलाओं के कटआउट और नांदियां बैला के सेल्फी जोन बनाए गए थे। महिलाएं भी इन पारंपरिक कटआउट के साथ सेल्फी लेने के लिए खासी उत्साहित दिखीं। इसके साथ ही नांदिया बैला और चुकी-पोरा से सजाए स्टॉल के साथ भी महिलाओं ने सेल्फी ली। कार्यक्रम स्थल में लगे रइचुली झूला और चकरी झूला का भी महिलाओं ने आनंद लिया। पारंपरिक छत्तीसगढ़ी लोक गीतों और नृत्यों ने मुख्यमंत्री निवास में लोगों का उत्साह और बढ़ा दिया।