घसीटकर,दौड़ाकर ‘अपना घर’ से पुलिस की मदद से निकाला गया एड्स पीडि़त बच्चियों को…गृहमंत्री साहू बोले…एनजीओ की मान्यता समाप्त होने के बाद ही किया बालिकाओं को सरकारी बालिका गृह में शिफ्ट…
बिलासपुर- अमेरी स्थित एड्स पीडि़ता बालिकाओं के आश्रम में आज पुलिस फोर्स के साथ पहुंचकर सभी बच्चियों को बल प्रयोग करके निकाला गया और पुलिस की गाड़ी में भरकर अलग जगह पर पहुंचा दिया गया। बिलासपुर जिले के अमेरी स्थित संस्था में रखी गईं एचआईवी पीड़ित नाबालिग बच्चियों छुड़ाए जाने के मामले में गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने स्पष्ट किया कि एनजीओ के साथ अनुबंध खत्म होने के बाद वहां रह रही बालिकाओं को सरकारी बालिका गृह में शिफ्ट किया गया है. जब सरकारी बालिका गृह है तो बच्चियां एनजीओ के पास क्यों रहे. इस मामले में आरोप-प्रत्यारोप बेबुनियाद हैं.
जानकारी के अनुसार बच्चियों के साथ मारपीट करने, दौड़ाकर पकडऩे, बाल खींचकर घसीटने की बात सामने आई है। इनकी पैरवी करने वाली हाईकोर्ट अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला के साथ भी मारपीट की गई और उनके कपड़े खींचे गए। पुलिस के बर्ताव को बड़ी संख्या में आसपास के लोगों ने देखा है और उनमें इस घटना से दहशत व्याप्त है। सुबह करीब 11 बजे पुलिस की टीम के साथ महिला बाल विकास विभाग के बिलासपुर व विभिन्न जिलों के करीब 10 जिलों के अधिकारी पहुंचे। इनकी संख्या 15-16 थी। प्रत्यक्षदर्शियों व छात्रावास के स्टाफ के मुताबिक वे सीधे आश्रम के भीतर घुसे। इनमें जिला बाल विकास अधिकारी सुरेश सिंह और परियोजना अधिकारी पार्वती वर्मा को स्टाफ पहचान रहे थे।
गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि इस संबंध में उनकी अधिकारियों से बातचीत हुई है. आदेशानुसार बच्चों को शिफ्ट करने महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी वहां गए थे. पुलिस प्रोटेक्शन मांगे जाने की वजह से पुलिस कर्मी भी गए थे. जब बच्चों को वहां से शिफ्ट किया जाने लगा तो एनजीओ के लोगों ने विरोध का स्वांग रचा, क्योंकि एनजीओ के संचालन के लिए फंड जाता था. सवाल यह है कि जब सरकारी बालिका गृह है तो बच्चियों का दायित्व एनजीओ को क्यों दिया जाए।
जानकारी के मुताबिक, मामले को लेकर एनजीओ संचालक हाईकोर्ट की शरण में गए थे, हाईकोर्ट ने कहा कि इस प्रकरण में कुछ नहीं है, कलेक्टर के पास अपनी बात रखो. इस पर कलेक्टर के पास उन्होंने अपनी बात रखी होगी. कलेक्टर ने आदेश दिया है कि जब हमारे पास बालिकागृह है, तो फिर हम प्राइवेट को क्यों दें, इसलिए बच्चों को सरकारी बालिका गृह में शिफ्ट किया गया है.
सभी बच्चों को कलेक्टर के आदेश पर बाहर निकालकर ले जाना है। स्टाफ ने ऑर्डर दिखाने कहा। अपना घर आश्रम की अधीक्षिका दीपिका सिंह के मुताबिक एक कागज उन्हें लहराकर दिखाया गया पर उन्हें पढऩे नहीं दिया गया। सभी बच्चों से कहा गया कि बाहर निकलें। बच्चे निकलने के लिये तैयार नहीं हुए तो बल प्रयोग शुरू हो गया।