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कोरोना काल में स्वेच्छा से विद्यार्थियों को शिक्षा देने वाले शिक्षक होंगे सम्मानित: डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम

छत्तीसगढ़ के परिवेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर मंथन 

रायपुर- प्रदेश में कोरोना संक्रमण के दौरान ऐसे सभी शिक्षक जो स्वेच्छा से अपने आस-पास विद्यार्थियों के सीखने को जारी रखने के लिए विभिन्न नवाचार कर शिक्षा की अलख जगाने का काम कर रहे हैं, उन्हें शिक्षक दिवस के दिन प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने यह घोषणा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर माध्यमिक शिक्षा मंडल के सभाकक्ष में आज आयोजित परिचर्चा में की। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रदेश में किस तरह और किस रूप में लागू किया जाए इस पर मंथन किया गया। परिचर्चा का उद्देश्य राज्य के परिपेक्ष्य में स्कूल शिक्षा विभाग के सभी निकायों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से परिचित कराना है।

स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. टेकाम ने कहा कि कोरोना संक्रमण के जिन शिक्षकों ने विभिन्न नवाचारी प्रयास जैसे पढ़ई तुंहर पारा, लाउडस्पीकर स्कूल और बुलटू के बोल जैसे कार्यक्रम लागू करते हुए विपरित परिस्थितियों में भी शिक्षा की अलख जगाने का काम किया है, उन्हें स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शिक्षक दिवस के दिन प्रमाण पत्र प्रदान कर सम्मानित किया जाएगा। संबंधित शिक्षकों को इसके लिए अपने कार्य का वीडियो और फोटो वेबसाईट में अपलोड करना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग से यह प्रमाण पत्र सीधे संबंधित शिक्षकों को ई-मेल से भेजा जाएगा।
स्कूल शिक्षा मंत्री ने परिचर्चा में उपस्थित अधिकारियों से कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ठीक से अध्ययन कर राज्य के अनुरूप इसका क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाए। आंगनबाड़ी के साथ बुनियादी स्कूल शिक्षा को जोड़ने का कार्य चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने राज्य में 20 भाषाओं में पाठ्य पुस्तकों के निर्माण का भी उल्लेख किया। प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला ने कहा कि बच्चों में 6 साल तक की उम्र ज्यादा सीखने की होती है, इसलिए इनकी बुनियाद मजबूत किया जाना जरूरी है। बच्चों को पढ़ना और गिनती सीखा दें तो वह कोई भी पुस्तक पढ़ सकता है।
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद के संचालक डी. राहुल वेंकट ने प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा: सीखने की नींव, नीलम अरोरा ने बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान: सीखने के लिए एक तात्कालिक आवश्यकता और पूर्वशर्त तथा ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या कम करना और सभी स्तरों पर शिक्षा की सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करना विषय पर प्रेजेंटेशन दिया। इसी प्रकार डॉ. योगेश शिवहरे संयुक्त संचालक एस.सी.ई.आर.टी. ने स्कूलों में पाठ्यक्रम और शिक्षण शास्त्र: अधिगम समग्र, एकीकृत, आनंददायी और रूचिकर होना चाहिए तथा शिक्षक की भूमिका, अपर संचालक एस.सी.ई.आर.टी. आर.एन. सिंह ने समतामूलक और समावेशी शिक्षा: सभी के लिए अधिगम, स्कूल कॉम्लेक्स/क्लस्टर के माध्यम से कुशल संसाधन और प्रभावी गवर्नेंस, स्कूली शिक्षा के लिए मानक निर्धारित और प्रत्यायन, शिक्षा महाविद्यालय रायपुर को आलोक शर्मा ने शिक्षक शिक्षा, प्रौद्योगिकी का उपयोग एवं एकीकरण तथा ऑनलाईन और डिजिटल शिक्षा: प्रौद्योगिकी का न्यायसम्मत उपयोग सुनिश्चित करना, संचालक लोक शिक्षण संचालनालय के आर.के. वर्मा ने व्यावयायिक शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा और जीवनपर्यन्त सीखना, भारतीय भाषाओं, कला और संस्कृति का संवर्धन विषय पर प्रस्तुतिकरण दिया। समग्र शिक्षा डॉ. सुधीश ने राज्य की चुनौतियों के संबंध में जानकारी दी।
संचालक लोक शिक्षण जितेन्द्र शुक्ला, सचिव छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल प्रो. व्ही.के. गोयल भी परिचर्चा में उपस्थित थे।

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