फर्स्ट ईयर की अधिकांश सीटें बंटने के बाद कॉलेजों में प्रवेश की रफ्तार कम
रायपुर – कॉलेजों में फर्स्ट ईयर के दाखिले की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके लिए कुछ दिन पहले एडमिशन लिस्ट जारी की गई। इस लिस्ट के अनुसार रविवि से जुड़े अधिकांश कॉलेजों की सीटें बंट चुकी हैं। फिर एडमिशन धीमा है। कॉलेज भी अब छात्र का इंतजार कर रहे हैं। उनका कहना है कि जिन छात्रों के नाम मेरिट के अनुसार पहले आए हैं उन्हें प्रवेश दिया जाएगा। 24 अगस्त तक उनकी सीटें रखी जाएगी। लेकिन उलझन यह है कि जिस छात्र के लिए संबंधित कॉलेज में सीटें रखी गई हैं उसका नाम दूसरे और तीसरे कॉलेज में भी हैं। ऐसे में छात्र जिस कॉलेज में प्रवेश लेंगे वहां की सीटें भरेगी पर अन्य जगह की खाली रह जाएंगी। इसलिए 24 अगस्त के बाद ही यह पता चलेगा कि पहले चरण में कितनी सीटें भरी। इस संबंध में शिक्षाविदों का कहना है कि इस बार भी पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से जुड़े कॉलेजों में प्रवेश के लिए एक साथ आवेदन मंगाए गए। यह आवेदन रविवि की देखरेख में मंगाए गए। ऑनलाइन आवेदन में कॉलेज चयन के लिए छात्रों को 9 विकल्प दिए गए। यानी वे एक आवेदन में 9 कॉलेज का चयन कर सकते थे। आवेदन के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की गई। बारहवीं में अच्छा नंबर पाने वाले छात्र को एक साथ विकल्प के अनुसार कई कॉलेज की सीटें मिल गईं। जिनके नंबर भी कम रहे उन्हें भी कुछ-कुछ कॉलेजों की सीटें मिली। विवि के निर्देश के अनुसार पहले चरण में दाखिला 24 अगस्त तक होगा। यानी इस तारीख तक जिसे सीट आबंटित की गई उसे ही प्रवेश दिया जाएगा। कॉलेज चाहकर भी दूसरे छात्र को सीटें आबंटित नहीं कर सकते। इसी सिस्टम ने कॉलेजों के सामने समस्या खड़ी कर दी है। खासकर प्राइवेट कॉलेजों की स्थिति प्रवेश के मामले में अच्छी नहीं है। फर्स्ट ईयर में प्रवेश का दूसरा चरण 25 अगस्त से शुरू होगा। इसके तहत 26 तक ही ऑनलाइन आवेदन भरे जाएंगे। 27 अगस्त को एडमिशन के लिए दूसरी लिस्ट जारी होगी। इस लिस्ट के अनुसार 31 अगस्त तक प्रवेश होगा।
एडमिशन के इस सिस्टम से सीटें भरनी मुश्किल
शिक्षाविदों ने बताया कि इस बार पहले से ही कोरोना वायरस की वजह से प्रवेश में देरी हुई है। वहीं दूसरी ओर एडमिशन के इस सिस्टम से कॉलेजों को परेशानी होगी। कई प्राइवेट कॉलेजों में इस बार सीटें भरनी भी मुश्किल है। प्राइवेट कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि पहले के बरसों में कॉलेजों को खुद से प्रवेश देने की छूट थी। इसलिए वे अपने अनुसार प्रक्रिया शुरू करते थे। सीटें भी भर जाती थीं। लेकिन एक साथ प्रवेश होने से समस्या आ रही है। इसे लेकर यह संभावना जतायी जा रही है कि पहले चरण में 50 प्रतिशत सीटों पर प्रवेश नहीं हुआ तो इस बार बड़ी संख्या में सीटें खाली रह जाएंगी।