ड्राइंग के अनुसार फाउंडेशन नहीं बनने से बहा था 7.10 करोड़ रुपए का चाटापारा एनीकट
बिलासपुर – सात साल पहले 7.10 कराेड़ रुपए से बने चांटापारा एनीकट के बहने की वजह ड्राइंग के अनुरूप नहीं बनना था। एनीकट में घटिया गुणवत्ता की वजह से 40 लाख की मरम्मत के बाद भी दो बार एनीकट क्षतिग्रस्त हो गया। पूर्व चीफ इंजीनियर एसके अवधिया ने 15 मार्च 2017 को इसकी जांच कराई थी जिसमें यह खुलासा हुआ है। दैनिक भास्कर के पास एनीकट बहने की जांच रिपाेर्ट है। रिपोर्ट में बताया गया है कि जल संसाधन विभाग कोटा के चांटापारा में 7 करोड़ 50 लाख रुपए की लागत लगने के बाद भी एनीकट दो बार क्षतिग्रस्त हो चुका है। पहली बार जब एनीकट क्षतिग्रस्त हुआ तब इसमें 40.44 लाख की राशि खर्च की गई थी लेकिन इसके बाद वह दूसरी जगह से क्षतिग्रस्त हो गया। वर्तमान में आवंटन नहीं मिलने की स्थिति में अब भी यह अधूरा है। जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है कि इसके लिए बनाई गई ड्राइंग के अनुसार इसे नहीं बनाया गया था। तब क्या वहां पदस्थ अधिकारियों ने यह गलती जानबूझकर की या फिर इस गलती को छुपाए रखा। 120 मीटर लंबे एनीकट का 45 फीसदी हिस्सा बह चुका है।
इस तरह छुपाई गलती
ड्राइंग के अनुसार नहीं बनने की वजह से चांटापारा एनीकट की स्थिति की जानकारी अधिकारियों को उसी समय लग गई। वहीं निर्माण के बाद एनीकट के स्ट्रक्चर में कुछ जगहों पर जब उन्हें दरार नजर आई तो उन्होंने बरसात में एनीकट के सभी गेट खुलवा दिए जिससे पानी नहीं रुका और नुकसान भी नहीं हुआ लेकिन उसके अगले साल हुदहुद तूफान आने पर भ्रष्टाचार के एनीकट की हकीकत सामने आ गई और अत्यधिक पानी से एनीकट बह गया।
जानिए घोटाले की जांच में कब से क्या हुआ
- वर्ष 2016 में एनीकट के क्षतिग्रस्त होने पर रायपुर उड़नदस्ते ने 3 जनवरी 2017 को मौके पर जांच की।
- मौके पर जांच के बाद हसदेव कछार मुख्य अभियंता ने 3.55 करोड़ रुपए की तकनीकी स्वीकृति दी।
- इसके बाद 17 अप्रैल 2017 को टेंडर भी बुलाया गया लेकिन आवंटन नहीं मिलने पर सुधार कार्य नहीं कराया जा सका।
- एनीकट में हुए नुकसान की सूचना महालेखाकार रायपुर को 13 जुलाई 2017 को दी गई।
- मामले में मुख्य कार्यपालन अभियंता की अनुशंसा से अनुविभागीय अधिकारी गिरीश फतनानी और सब इंजीनियर एलपी चंद्रा को निलंबित कर दिया गया।
इतना टूट गया कि अब सुधार की गुंजाइश नहीं
पूर्व चीफ इंजीनियर एसके अवधिया के अनुसार फाउंडेशन का काम ड्राइंग के अनुसार नहीं हुआ था। इस वजह से एनीकट लगातार क्षतिग्रस्त होता गया। इधर वर्तमान चीफ इंजीनियर अजय सोमावार के अनुसार चांटापारा एनीकट की स्थिति ऐसी नहीं बची कि उसमें सुधार के लिए शासन का और पैसा लगाया जाए।