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11 साल बाद भी समस्या का हल नहीं है विभाग के पास, नई बिल्डिंग का काम भी अधूरा

रायगढ़ – शहर के गर्ल्स कॉलेज में हर बारिश में पानी भर जाता है। लाखों रुपए का नुकसान होता है, पढ़ाई और कामकाज बाधित होता है। विडंबना यह है कि पीडब्ल्यूडी अफसर समस्या का तुरंत समाधान करने की बात कह रहे हैं, उसी विभाग के रिटायर्ड अफसर कहते हैं कि तालाब पर बने इस कॉलेज में पानी रोकना संभव नहीं है, वहीं दूसरी तरफ कॉलेज की नई बिल्डिंग स्वीकृत राशि की दूसरी क़िस्त नहीं मिलने के कारण अधूरी पड़ी है। गर्ल्स कॉलेज में हर साल बारिश में तीन महीने तक पढ़ाई और कामकाज प्रभावित होता है। अगस्त के आखिर में हुई बारिश से कॉलेज में इस बार भी फर्नीचर और जरूरी दस्तावेज खराब हो गए। अभी कॉलेज में एडमिशन और ऑनलाइन परीक्षा होने वाली है। 1996 में शुरू हुए कॉलेज में पहले दिक्कत नहीं थी। शहर धीरे बढ़ने लगा, नालियों पर कब्जा होने लगा, ड्रेनेज व्यवस्था सुधारी नहीं गई। इसकी वजह से 2009 के बाद से हर साल बारिश के दो महीने कॉलेज टापू बन जाता है। कॉलेज के प्रिंसिपल अतुल श्रीवास्तव कहते हैं, हर बार शासन को पत्र लिखते हैं।

हर साल प्लानिंग लेकिन नहीं होता काम
2015-16 और 2017-18 शैक्षणिक सत्र में कॉलेज की इस समस्या के बाद आला अफसरों ने निगम के आयुक्त के साथ मुआयना कर योजना बनवाई। कॉलेज में पानी जमा न हो इसलिए आरईएस ने कॉलेज में 60 लाख रुपए से ज्यादा पैसे खर्च कर चुका है। नेता भी कई बार स्थायी समाधान का दौरा कर चुके हैं लेकिन समस्या का हल अब तक नहीं हुआ।

सिर्फ 38 लाख रुपए ही मिले अब तक
कॉलेज में यूजीसी की गाइडलाइन के अनुरूप 8 कमरों के लिए एक करोड़ रुपए की स्वीकृति मिली थी। पहले साल ही पीडब्ल्यूडी को पहली किस्त के 38 लाख 88 हजार रुपए मिले। दूसरी किस्त मिलने के आश्वासन में ठेकेदार ने अपनी जेब से 10 लाख अतिरिक्त खर्च कर दिया। काम को दो साल बीत गए हैं, लेकिन अबतक शेष रकम नहीं मिलने की वजह से काम बिल्डिंग अधूरा पड़ा है।

सिर्फ मेंटेनेंस के लिए पैसे आए हैं
“अभी हमारे पास सिर्फ मेंटेनेंस के लिए साढ़े चार लाख रुपए आए हैं। इससे रिपेयरिंग ही हो सकती है, मैं कल जाकर कॉलेज के लेवल की जांच करूंगा उसके अनुरूप प्रस्ताव को शासन को भेजा जाएगा। स्वीकृति मिली तो निश्चित रूप से इस बार समस्या का स्थाई समाधान होगा।”
-आरके खाम्भरा, ईई पीडब्ल्यूडी

नई बिल्डिंग ही एक मात्र उपाय
“कॉलेज की समस्या बहुत पुरानी है, इसे अब तक अफसर सुधार नहीं सके। यह कॉलेज तालाब की जमीन पर बना है। सतह नाली के लेवल से नीचा है। बारिश का पानी यहां से निकालना मुश्किल हैं। यहां कोई उपाय काम नहीं आएगा। पुरानी बिल्डिंग के ऊपर,दूसरी मंजिल बना कर सड़क के लेवल तक मिट्टी पाटनी होगी तो ही पानी आ जा सकेगा।”
-जीआर राठौर, रिटायर्ड एसडीओ पीडब्ल्यूडी

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