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पूरे शहर में फैला संक्रमण, एक हफ्ते में 60 बस्तियों-कालोनियों से 1831 केस

रायपुर – राजधानी में केवल पांच दिन में संक्रमण का फैलाव इतने व्यापक तौर पर हुआ है कि शहर के 60 से ज्यादा इलाकों में पहली बार एक साथ बड़ी संख्या में कोविड पॉजिटिव केस मिल गए हैं। प्रशासन और हेल्थ विभाग के डाटा विश्लेषण के मुताबिक पिछले 5 दिन में 43 फीसदी केस कंटेनमेंट जोन से आए हैं। पिछले एक हफ्ते में शहर से लगे कस्बों और उपनगरीय क्षेत्रों में भी संक्रमण बढ़ा है। ये ट्रेंड प्रवासियों के अन्य शहरों-राज्यों से आने के बाद एक बार फिर रिपीट हुआ है। पिछले एक हफ्ते यानी बीते रविवार से शनिवार, 5 सितंबर तक राजधानी में शंकरनगर, प्रियदर्शनीय नगर, अवंति विहार, सिविल लाइंस, अमलीडीह, देवेंद्र नगर, मोवा, तेलीबांधा, कटोरा तालाब, कोटा, कबीर नगर, टाटीबंध, गीतानगर, भाटागांव, श्यामनगर, अश्वनीनगर, रायपुरा, प्रोफेसर कॉलोनी, गुठियारी, सदर बाजार, सुंदरनगर, सड्डू, दलदलसिवनी, मठपुरैना, चंगोराभाठा, हीरापुर, रामसागरपारा जैसे इलाकों से ही 1831 से ज्यादा केस निकल गए हैं। ये पूरे रायपुर जिले में मिले इस अवधि में मिले मरीजों का करीब 50 फीसदी यानी आधा है।

गलत नाम-पते देने वालों को भी एफआईआर की चेतावनी
प्रशासन के पास लगातार ऐसी शिकायतें पहुंच रही हैं कि लोग गलत मोबाइल नंबर और पते देकर जांच करवा रहे हैं और पाजिटिव निकलने के बाद गायब हो रहे हैं। यही नहीं, कोरोना का डर ऐसा फैला है कि वार्डों में लोग पल्स ऑक्सीमीटर से ऑक्सीजन लेवल की जांच करवाने से भी बच रहे हैं। प्रशासन के पास इस समस्या से निपटने के लिए कोई आसान उपाय नहीं है, इसलिए ऐसे लोगों को एक बार फिर एफआईआर की धमकी जारी की गई है। कलेक्टर डॉ. एस भारतीदासन ने शनिवार को एक आदेश जारी कर कहा है कि जो भी लोग गलत नाम-पतों से जांच करवा रहे हैं या आक्सीमीटर जांच से इंकार कर रहे हैं, उनके खिलाफ महामारी अधिनियम के तहत एफआईआर करवाई जाएगी। कोरोना पॉजीटिव आने के बाद भी होम आइसोलेशन या अस्पतालों में नहीं जाने वाले लोगों पर भी मामले र्थादज होंगे। सीएमएचओ और संबंधित इंसिडेंट कमांडरों से कहा गया है कि जो लोग पाजिटिव आने के बाद मोबाइल बंद कर रहे हैं, उनके खिलाफ भी आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 सहपठित एपिडेमिक डिसीजेज एक्ट 1897 यथा संशोधित 2020 एवं राज्य शासन की ओर से जारी रेगुलेशन 2020 के तहत एफआईआर करवाई जाए।

रिपोर्ट नहीं तो अंत्येष्टि कोविड प्रोटोकॉल से, आदेश जारी
कोरोना संदिग्ध मरीजों की मृत्यु के बाद संक्रमण की पुष्टि के लिए सैंपल लेने व जांच से लेकर शव के अंतिम संस्कार तक की प्रक्रिया कोरोना के पार्थिव मरीजों की तरह ही करनी होगी। स्वास्थ्य विभाग ने शुक्रवार को यह प्रस्ताव दिया था, जिसका आदेश शनिवार को विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणु जी पिल्ले ने जारी कर दिया। उन्होंने कलेक्टरों को भेजे पत्र में कहा कि रायपुर या अन्य जिलों में कोविड अस्पतालों में रेफर किए गए कोरोना संक्रमण की आशंका वाले मरीज की मृत्यु होने पर जिले के नोडल अधिकारी को सूचित करना होगा, ताकि जांच रिपोर्ट में देरी पर अंत्येष्टि कोविड प्रोटोकॉल के तहत की जाए।

अस्पताल खुद नहीं जाएं, बेड खाली होते ही एंबुलेंस आएगी

जानकारी आ रही है कि पाजिटिव निकल जाने के बाद लोग दो-दो दिन तक घर में बेचैन रहते हैं, उन्हें अस्पताल में भर्ती करने के लिए एंबुलेंस नहीं आती। यही नहीं, कुछ लोग सामाजिक दिक्कतों की वजह से एंबुलेंस का इंतजार नहीं करते बल्कि खुद अस्पताल पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से आग्रह किया है कि वे खुद अस्पताल नहीं पहुंचें, क्योंकि जरूरी नहीं कि वहां बेड खाली मिलें। अस्पताल अलॉट करने का एक सिस्टम है और वही तय कर रहा है कि किस मरीज को कहां भेजना है। ऐसे में पाजिटिव मरीजों का आना-जाना बेकार हो सकता है। इसलिए लोगों को अस्पताल के वाहन का इंतजार करना चाहिए। जैसे ही बेड खाली होगा, एंबुलेंस मरीज को सूचित लेने पहुंच जाएगी।

“अस्पताल या निगम की गाड़ी आने तक मरीज घर पर ही धैर्यपूर्वक अलग-थलग रहें। एंबुलेंस के लिए 104 पर फोन कर समय पूछते रहें। बेड खाली मिलते ही गाड़ी आकर अस्पताल ले जाएगी।”
-डा. मीरा बघेल, सीएमएचओ

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