9 तक फीस नहीं दी तो बच्चा ऑनलाइन क्लास से बाहर
रायपुर – कोरोना की वजह से स्कूलों के बंद होने और बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई में फीस को लेकर विवाद फिर गहरा गया है। निजी स्कूल प्रबंधनों ने साफ कर दिया है कि अगर 9 सितंबर तक फीस नहीं अदा की गई तो संबंधित बच्चे को ऑनलाइन क्लास से बाहर कर दिया जाएगा। इसका बाकायदा विज्ञापन जारी हुआ है। यह बात फैलते ही पैरेंट्स एसोसिएशन ने भी बांह चढ़ा ली है और अदालती फैसले का दोनों ही पक्ष अपने-अपने तरीके से हवाला दे रहे हैं। इस मुद्दे पर सोमवार को विवाद गहराने का अंदेशा है।
फीस के ही मामले में रविवार को छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने एक सूचना जारी कर कहा है कि 9 सितंबर तक पैरेंट्स बच्चों के बकाया फीस जमा कर दें। आर्थिक परेशानी होने पर भी सूचना दें। स्कूल फीस जमा नहीं करने पर ऑनलाइन कक्षाओं से वंचित कर दिया जाएगा। इससे पहले भी, 31 अगस्त को एसोसिएशन ने ट्यूशन फीस नहीं देने पर ऑनलाइन कक्षाएं वंचित करने से संबंधित पत्र जारी किया था। इधर, इस फरमान के बाद छत्तीसगढ पैरेंट्स एसोसिएशन भी विरोध में खड़ा हो गया है। एसोसिएशन ने कहा कि दबाव पूर्वक फीस वसूलने का प्रयास किया जा रहा है।
फीस के लिए दबाव डालना गलत: पैरेंट्स
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल का कहना है कि ट्यूशन फीस को स्कूल अपने-अपने तरीके से परिभाषित कर रहे हैं। शिक्षा विभाग के अफसरों के पत्र लिखकर ट्यूशन फीस को परिभाषित करने के लिए कहा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। इसे लेकर हाईकोर्ट में याचिका लगाया गया है। इस बीच फीस के लिए पैरेंट्स पर दबाव बनाया जा रहा है।
फीस के संबंध में जुलाई 2020 को कोर्ट से कुछ ऐसा निर्णय था
> प्राइवेट स्कूल ट्यूशन फीस ले सकते हैं, लेकिन फीस में किसी तरह की वृद्धि नहीं की जाएगी।
> किसी की आर्थिक स्थिति खराब है, तो वह स्कूल जाकर आवेदन करें। स्कूल इस पर विचार करेगा।
स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब: प्रबंधन
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के सचिव राजीव गुप्ता का कहना है कि ट्यूशन फीस के संबंध में पैरेंट्स को विभिन्न माध्यम जैसे सूचित किया जा चुका है फिर भी बड़ी संख्या बच्चों की फीस जमा नहीं हुई है। वहीं दूसरी ओर पैरेंट्स स्कूल आकर यह भी नहीं बता रहे हैं कि उन्हें क्या दिक्कत है। इससे परेशानी ज्यादा है। 31 अगस्त 2020 को प्राइवेट स्कूलों की आमसभा में यह जानकारी मिली की 20 से 30 प्रतिशत पैरेंट्स ने ही फीस जमा की है। फीस नहीं मिलने से स्कूलों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।