संग्रहालय में सहेजने भेजेंगे पारंपरिक वस्त्र व गहने
कवर्धा – नया रायपुर में पुरखौती मुक्तांगन के पास 22 एकड़ भूमि में 27 करोड़ रुपए से आदिवासी संग्रहालय बनना है। संग्रहालय में आदिवासी संस्कृति को सहेजकर रखेंगे। कबीरधाम जिले के बैगा आदिवासियों के पारंपरिक वस्त्र, आभूषण, शिकार के हथियारों (आखेट के संसाधन) को संग्रहालय में सहेजने भेजेंगे। जिला गोंड सेवा समाज समिति व जिला बैगा समाज के प्रमुख तैयारी में जुटे हैं। समाज की ओर से टीम बनाई जा रही है। यह टीम बैगा आदिवासी बाहुल ब्लॉक पंडरिया और बोड़ला के गांवों में पहुंचेगी और बैगा आदिवासी परिवारों से विलुप्त हो रही पारंपरिक वस्त्र, आभूषणों व वाद्ययंत्रों का संकलन करेंगे।
संकलन कार्य में करीब 1 महीने का वक्त लगेगा। इसके बाद एकत्र किए गए इन पारंपरिक चीजों को संग्रहालय भेजा जाएगा, जहां इसे सहेजकर रखेंगे। ताकि वर्षों बीतने के बाद आने वाली पीढ़ियों को उनकी संस्कृति का ज्ञान रहे। स्टूडेंट्स को जनजातीय अध्ययन और शोध करने में मदद मिल सके। छग अनुसूचित जनजाति शासकीय सेवक विकास संघ के जिलाध्यक्ष आसकरण सिंह धुर्वे बताते हैं कि कबीरधाम जिले की कुल आबादी में 24 फीसदी बैगा आदिवासी हैं।
गोदना प्रथा के महत्व को बताया गया
विलुप्त हो रही पारंपरिक रस्म (जन्म, मृत्यु, वैवाहिक संस्कार), गीत, नृत्य आदि को चित्रकला व लेख संकलन करने के बारे में विस्तार से चर्चा की गई । समाज प्रमुखों ने सभी वस्तुओं के संबंध में संकलन व लेख को प्रमाणित कर संग्रहालय में सहेजने की सहमति दी। बैठक में लमतू सिंह बैगा ने बैगा समाज में प्रचलित गोदना प्रथा के महत्व को बताते हुए वर्तमान में उनकी विलुप्ता की स्थिति पर चिंता जताई। अंजोर सिंह सिदार, समाज प्रमुख डाॅ. संतोष सिंह धुर्वे, विश्वनाथ पोर्ते, सिद्धराम मंडावी, मनोहर सिंह धुर्वे, पूरन धुर्वे, इतवारी बैगा, गुलाब सिंह बैगा आदि मौजूद रहे।
संस्कृति को चित्रकला व लेख संकलन पर हुई चर्चा
कलेक्टोरेट में जिला गोंड सेवा समाज समिति और बैगा समाज के प्रमुखों की बैठक हुई। बैठक में सहायक आयुक्त आरएस टंडन, रायपुर के अनुसंधान सहायक भूषण सिंह नेताम, ईश्वर साहू की उपस्थित रहे। इस दौरान नया रायपुर में बनने वाले आदिवासी संग्रहालय के लिए आदिवासी समाज की सांस्कृतिक व परंपरागत वस्तुओं के संकलन पर चर्चा हुई।