राज्य में बढ़ रही साक्षरता दर, किताबें ही नहीं, स्कूलों में अब पढ़ा रहे ऑनलाइन टिकट रिजर्वेशन, बैंकों में पैसे डिपॉजिट करना और निकालना
रायपुर – राज्य बनने के बाद से ही छत्तीसगढ़ में साक्षरता दर बढ़ती जा रही है। इसको लेकर दिलचस्प तथ्य भी सामने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में केवल किताबी पढ़ाई नहीं दी जा रही है, बल्कि बड़े बच्चों या ओवर एज लोगों को बिजली बिल भरने, ट्रेन रिजर्वेशन कराने, बैंकों में ऑनलाइन पैसे जमा कराना भी सिखाया जा रहा है। इसके साथ यह भी विडंबना है कि लड़कियां ज्यादातर स्कूल से दूरी की वजह से पढ़ाई छोड़ती हैं। जिन बच्चों के पैरेंट्स पढ़े-लिखे होते हैं, उनके बच्चों को शिक्षा पाने में दिक्कत नहीं आती, जबकि स्कूल से दूरी व परिवार की आर्थिक स्थिति की वजह से हर साल 20-22% बच्चे जिनकी उम्र 14-15 साल की होती है, ड्राप आउट हो जाते हैं।
स्कूल शिक्षा मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम ने भास्कर से कहा कि सरकार तो चाहती है कि हर कोई पढ़े-लिखा हो। हमारे यहां इसके लिए अलग विंग है। लगातार साक्षरता दर बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। राज्य में न सिर्फ किताबी पढ़ाई कराई जा रही है बल्कि गढ़बो डिजिटल छत्तीसगढ़ के उद्देश्य से मुख्यमंत्री शहरी कार्यात्मक साक्षरता कार्यक्रम प्रारंभ किया गया है। प्रदेश के हर जिले में लगभग दस हजार कंप्यूटर केंद्र हैं। इनमें 15 साल से अधिक आयु के बच्चों को ऑनलाइन बैंकों में पैसा जमा कराने-निकालने, हवाई-ट्रेन व अन्य रिजर्वेशन की प्रक्रिया, बिजली के बिल पटाने जैसी दैनिक जीवन में उपयोग में आने वाले कामों को कंप्यूटर पर ऑनलाइन करने की ट्रेनिंग दी जा रही है। इनमें महिलाएं ज्यादा आ रही हैं। शिक्षा विभाग और नगरीय विकास विभाग मिलकर इसे संचालित कर रहे हैं। इच्छुक लोगों को पहले पंजीयन कराना होता है। इसकी मांग देखते हुए भविष्य में और केंद्र खोले जाएंगे।
ग्रामीण भारत ज्यादा पढ़ा-लिखा
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने एक राष्ट्रव्यापी सर्वे किया। इसमें देश में साक्षरता दर 77.7% पाई गई। शहरी क्षेत्रों में साक्षरता दर 87.7% की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में साक्षरता दर 73.5% मिली। लगभग 13.6% भारतीयों ने कभी भी स्कूल में नामांकन नहीं करवाया। इनमें 15.7% व्यक्ति ग्रामीण और 8.3% शहरों से थे। शैक्षणिक सत्र के दौरान सामान्य शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों ने शहरी क्षेत्रों में 16 हजार 308 रुपए और ग्रामीण क्षेत्रों में 5 हजार 240 रुपए औसतन शिक्षा पर व्यय किए। जबकि तकनीकी अथवा व्यावसायिक शिक्षा के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति छात्र 32 हजार 137 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 64 हजार 763 रुपए औसतन खर्च आया।
इस तरह बढ़ रहा साक्षरता ग्राफ
जनगणना 2011 में छत्तीसगढ़ में साक्षरता दर 70.28% थी। 2001 में 64.66% थी। दस सालों में पांच% तक बढ़ी। अगले साल होने वाली जनगणना में और बढ़ोतरी की उम्मीद है।
2011 की जनगणना में पुरुष साक्षरता दर 80.27% थी। महिला साक्षरता दर 60.24% थी। इसकी तुलना में 2001 में 77.38 और 51.85% थी। 2011 में छत्तीसगढ़ में 1 करोड़ 53 लाख 79 हजार 922 लोग पढ़े लिखे यानी साक्षर थे, जबकि 2001 में इनकी संख्या 1 करोड़ 11 लाख 73 हजार 149 थी।