मंजूरी कहीं और की, सड़क बनाई कहीं और, जूनाडीह बस्ती आज भी पहुंचविहीन
जशपुर – फरसाबहार ब्लॉक के ग्राम पंचायत अमडीहा के बदेलकछार गांव में जूनाडीह एक ऐसी बस्ती है जहां आज तक कोई गाड़ी नहीं पहुंची है। सिर्फ दो पहिया वाहन से इस गांव तक पहुंच सकती है। बरसात के दिनों में ग्रामीण महीनों तक अपने गांव में कैद रहते हैं। जूनाडीह के पहुंचविहीन होने की मुख्य वजह यहां तक सड़क का नहीं बन पाना है। जूनाडीह बस्ती तक सड़क के नहीं बनने से ग्रामीण आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। इस बस्ती के लोग पगडंडी के रास्तों से आना-जाना करते हैं। बरसात के दिनों में पूरा गांव टापू बन जाता है। महीनों तक गांव के लोग बाहर नहीं निकल पाते। स्कूली बच्चों को स्कूल जाने में भी भारी समस्या हो रही है। इस गांव के लोग 20 साल से गांव तक पहुंचने के लिए सड़क की मांग कर रहे हैं पर कोई सुनवाई नहीं हो पा रही है। गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंचने से यदि कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ता है तो मरीज को ग्रामीण चारपाई पर ढ़ोकर स्वास्थ्य केन्द्र अमडीहा तक पहुंचाया जाता है।
यह हुई है गड़बड़ी
बरकानी से जूनाडीह तक द्वितीय श्रेणी सड़क और पुल निर्माण की स्वीकृति 2019 में मिली थी, पर पंचायत ने सड़क पुराइनबंद की ओर बना दी। इससे जूनाडीह आज भी पहुंचविहीन है। गांव में मनरेगा योजना में जो काम हुआ है, उसके मस्टररोल में काम बरकानी से जूनाडीह तक दिखाया गया है, पर हकीकत में जूनाडीह में आज भी कोई सड़क और पुल नहीं है।
वनभूमि और निजी जमीन के कारण परेशानी
गांव की सचिव अमृता बड़ा ने बताया कि जूनाडीह तक जाने के लिए जो सड़क बनी ,है वह जमीन वन भूमि की है। इसके साथ ही कुछ जमीन निजी कब्जे की है और कब्जाधारी कुछ जमीन पर सड़क बनने का बार-बार विरोध करते हैं। गांव के युवक विनोद कुमार ने बताया कि जूनाडीह तक सड़क नहीं बनने की मुख्य वजह वन भूमि पर काबिज लोग हैं। सड़क जिस रास्ते से बनना था वह वन भूमि है। द्वितीय श्रेणी सड़क को लेकर वन विभाग की ओर से कोई आपत्ति नहीं की गई थी। जंगल की जमीन पर काबिज लोगों के कारण सड़क नहीं बनाया जा सका। जिन्होंने सड़क का निर्माण नहीं होने दिया उनके पास उस जमीन का पट्टा तक नहीं है।
कराई जाएगी जांच
“मामले की जानकारी अभी मिल रही है। इस मामले की जांच की जाएगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी और गांव की समस्या का समाधान भी निकाला जाएगा।”
-सीसी कछवाहा, सीईओ, फरसाबहार