डॉक्टर बनने का सपना लिए बाइक पर ओडिशा से रायपुर पहुंचा स्टूडेंट, कहा- कार्डियोलॉजिस्ट बनकर करनी है देश की सेवा
रायपुर – नीट की परीक्षा देने रायपुर में जुटे हजारों स्टूडेंट्स की तरह मोहम्म्द तारीक हुसैन भी पहुंचे। मगर इनका जज्बा और सपने को पूरी करने की जिद औरों से अलग थी। ओडिशा राज्य के खरियार रोड नाम के छोटे कस्बे से तारीक अपनी बाइक चलाकर रायपुर पहुंचे। करीब 100 किलोमीटर का सफर पूरा करने के लिए सुबह 5 बजे उठकर तैयारी शुरू की और पैरेंट्स की दुआएं लेकर निकल पड़े। वक्त रहते सेंटर तक पहुंचे और दैनिक भास्कर से कहा कार्डियोलॉजिस्ट बनकर जरूरतमंदों की मदद करना चाहते हैं, देश की सेवा करना चाहते हैं, इसलिए नीट का एग्जाम क्रैक करना है।
33 सेंटर्स में परीक्षा, दूसरे जिलों से सैनिटाइज्ड बसों में आए स्टूडेंट
रायपुर शहर के 33 सेंटर्स में रविवार को नीट परीक्षा का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में शामिल होने रायपुर में आस-पास के जिलों से भी स्टूडेंट आए। इनमें कवर्धा, बिलासपुर, भिलाई के स्टूडेंट्स रहे। वहां के जिला प्रशासन ने बच्चों को भेजने के लिए बाकायदा सैनिटाइज्ड बसों का इंतेजाम किया था। रायपुर जिले के चारों तरफ करीब 40 से अधिक बसों की व्यवस्था की थी। बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स को इन बसों के माध्यम से भी सेंटर्स तक पहुंचाया गया। परीक्षा का समय दोपहर 2 बजे का था। स्टूडेंट्स से कहा गया था कि वो 11 बजे सेंटर पर पहुंच जाएं। हालांकि 1 बजकर 30 मिनट तक स्टूडेंट्स का आना और भागकर सेंटर्स में जाने के नजारे दिखते रहे।
एनआईटी के बाहर भारी भीड़
रायपुर में नीट परीक्षा का सबसे बड़ा सेंटर एनआईटी कैंपस था। इसके बाहर पैरेंट्स और स्टूडेंट्स की बड़ी भीड़ देखने को मिली। कैंपस के बाहर सफेद घेरे बनाए गए थे, स्टूडेंट्स से इन घेरों पर ही खड़े रहकर गेट से एंट्री तक इंतेजार करने कहा गया था। सेंटर से करीब 200 मीटर दूर गेट पर ही स्टूडेंट्स की थर्मल स्कैनिंग की गई और प्रवेश दिया गया। इसके बाद दस्तावेजों की जांच के बाद उन्हें सेंटर में बैठने की अनुमति मिली। इस बीच अब दूर-दराज से आए परिजन गेट के बाहर ही बच्चों के लौटने का इंतजार करते दिखे, परीक्षा शाम को 5 बजे के आस-पास खत्म होगी।
करियर का सवाल है होनी चाहिए थी परीक्षा
रायपुर की हर्षित कौर ने कहा कि अब तक परीक्षा हो जानी चाहिए थी और हमें कॉलेज प्रोवाइड हो जाने चाहिए थे। यह हमारे करियर से जुड़ा है, इसमें देरी होगी तो परेशानी हमें ही होगी। तिल्दा के विवेक बत्रा ने कहा कि एग्जाम 4 महीने लेट हो चुका है, इस पर बहस होती है कि परीक्षा होनी चाहिए थी या नहीं, मेरा मानना है कि परीक्षा होना जरूरी थी क्योंकि साल का लंबा वक्त निकल चुका है। लेकिन दूसरी तरफ हम सभी स्टूडेंट्स के मन में भीड़ की वजह से डर भी है कि कहीं हम भी कोरोना संक्रमित ना हो जाएं, लेकिन क्या करें।