बेलदगी की झाड़ियों में बोरे में भरकर फिर एक मां ने दुधमुंही को फेंका, ग्रामीणों ने पहुंचाया अस्पताल, हालत नाजुक
अम्बिकापुर – नवजात बच्चों को झाड़ियों में फेंकने के लगातार मामले सामने आ रहे हैं। आंकड़ों को देखें तो पिछले 18 महीनों के दौरान जिले में 26 बच्चों को झाड़ियों में फेंक दिया गया। इनमें 16 बेटियां और 10 बेटे हैं। शनिवार को लखनपुर क्षेत्र के बेलदगी गांव में एक दुधमुंही बच्ची को झाड़ियों में फेंक दिया गया। सूचना पर पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बेलदगी गांव में एक दुधमुंही बच्ची को परिजन ने बोरे में लपेटकर झाड़ियों में फेंक दिया। वहां से गुजर रहे ग्रामीणों ने बच्ची के राेने की आवाज सुनी तो रात 9 बजे 108 नंबर पर सूचना दी। इस पर तत्काल टीम वहां पहुंची और उसे सीएचसी में भर्ती कराया। यहां उसे वार्मर में रखकर सुरक्षित किया।
अब उस बच्ची को बेहतर इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती किया गया है। मालूम हो सरगुजा जिले में लगातार बच्चों को फेंकने के मामले सामने आ रहे हैं। पिछले 18 महीनों के दौरान 17 बेटियों और 10 बेटों को लावारिस हालत में फेंका गया है।
बच्ची का वजन कम, हालत नाजुक
^मेडिकल कॉलेज के शिशु रोग विभाग प्रभारी डॉ. जेके रेलवानी ने बताया कि गांव की महिला फुलेश्वरी राजवाड़े ने स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया है। इसके बाद बच्ची को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बच्ची का वजन एक किग्रा 400 ग्राम है। बच्ची को प्रसव के 24 घंटों के अंदर ही फेंका गया होगा। बच्ची की हालत नाजुक है, लेकिन उसे बचाने पूरी कोशिश और बेहतर इलाज किया जा रहा है।
बच्चों को हमें दें, हम करेंगे देखभाल
^मातृछाया की अध्यक्ष वंदना दत्ता ने बताया बच्चों को फेंकने के मामले में अधिकांश वह संतान हैं जो अवैध संबंधों से पैदा हुई हैं। यही कारण है कि बेटा हो या बेटी, दोनों को ही परिजन लोक-लाज के भय से फेंक देते हैं। कुछ मामलों में लिंगभेद के भी मामले सामने आते हैं। मातृछाया में पालने की व्यवस्था की गई है कि जो परिजन बच्चों को पालने में समर्थ नहीं हैं, वह यहां बच्चों को छोड़ सकते हैं। इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाते हैं।
7 साल में 104 बच्चे मिले लावारिस
7 साल में 104 बच्चों को लावारिस हालत में मातृछाया में लाया गया है। इनमें अधिकांश बेटियां शामिल हैं। इनमें से 47 बच्चों को मातृछाया ने नि:संतान दंपतियों को सौंपा। इनमें 4 बच्चे विदेश में हैं।