फर्स्ट ईयर में 30 सितंबर तक होंगे दाखिले, ऑनलाइन प्रवेश के बाद भी सीटें खाली, पहले 15 सितंबर थी आखिरी तारीख
रायपुर – कॉलेजों में फर्स्ट ईयर में एडमिशन अब 30 सितंबर तक होंगे। विभिन्न कोर्स में आवेदन के लिए एक बार फिर ऑनलाइन पोर्टल खुलेगा। प्रवेश की तारीख बढ़ायी गई है। इस संबंध में उच्च शिक्षा ने निर्देश जारी किए गए हैं। इसके तहत 23 अगस्त तक प्राचार्य खुद प्रवेश दे सकेंगे। जबकि इस तारीख के बाद 30 सितंबर तक कुलपति की अनुमति से प्रवेश होगा। फर्स्ट ईयर में दाखिले के लिए 15 सितंबर को आखिरी तारीख थी। इससे पहले, कॉलेजों में फर्स्ट ईयर के प्रवेश के लिए प्रक्रिया 1 अगस्त से शुरू हुई। 31 अगस्त तक कॉलेजों के प्राचार्यों की देखरेख में प्रवेश हुए। इस तारीख के बाद फिर 15 सितंबर तक कुलपति की अनुमति से प्रवेश दिए गए। पं. रविशंकर शुक्ल विवि से जुड़े कॉलेजों में इस दौरान करीब चार चरण में प्रवेश के लिए प्रक्रिया चली। इसके बाद भी फर्स्ट की बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं। प्रवेश के मामले में सरकारी कॉलेजों की स्थिति थोड़ी बेहतर है। लेकिन प्राइवेट कॉलेजों में इस बार प्रवेश कम हुए हैं। इन कॉलेजों में अभी आधी सीटें भी नहीं बढ़ी है। शिक्षाविदों का कहना है कि कोरोना संक्रमण का असर प्रवेश पर पड़ा है। जिन छात्रों को सरकारी कॉलेजों में सीटें मिलने की उम्मीद थी उन्होंने प्रवेश लिया। प्राइवेट कॉलेज की फीस सरकारी के मुकाबले अधिक है। कॉलेजों में अभी पढ़ाई की संभावना कम है। इसलिए भी कई छात्रों ने मेरिट लिस्ट में नाम आने के बाद भी रेग्युलर स्टूडेंट्स के रूप में प्रवेश नहीं लिया। प्राइवेट कॉलेजों के अधिकारियों का कहना है कि जब पहले चरण के लिए ही आवेदन की प्रक्रिया शुरू हुई तब ही बड़ी संख्या में छात्रों के आवेदन आए थे। रविवि से सब्जेक्ट के अनुसार मेरिट लिस्ट दी गई तो उसमें भी छात्रों की संख्या अधिक थी। लेकिन फिर भी प्रवेश नहीं हुए।
ऑनलाइन प्रवेश के बाद भी सीटें खाली
रविवि से जुड़े कॉलेजों में ऑनलाइन प्रवेश हुए। यानी पहले छात्रों ने ऑनलाइन आवेदन किया। इसके अनुसार मेरिट लिस्ट तैयार किए गए। इस मेरिट के आधार पर कॉलेजों में प्रवेश हुए। सोमवार को रविवि ने प्रवेश प्रक्रिया में थोड़ा बदलाव किया और कॉलेजों को एक दिन ऑफलाइन प्रवेश देने की अनुमति दी। इसके तहत मंगलवार यानी 15 सितंबर को कॉलेजों में प्रवेश हुए। सीटें खाली रहने पर छात्रों को प्रवेश दिए गए। फिर भी प्राइवेट कॉलेजों में बड़ी संख्या में सीटें खाली हैं।