कचरा इक्ट्ठा करने वाली महिलाएं अब जुड़ेंगी सम्मानजनक रोजगार से : तीस महिलाओं को मिला श्रम मंत्री के हाथों सिलाई मशीन
सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण लेने वाली प्रथम दस महिलाओं को
मिलेंगी दुकानें: डॉ. शिवकुमार डहरिया
रायपुर-
शहर के गली-मुहल्लों में घूम-घूम कर कचरा इकट्ठा करने वाली 30 महिलाएं अब सम्मान जनक कारोबार से जुड़ने जा रही हैं। श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया ने इन महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का रोजगार अपनाने के लिए निःशुल्क सिलाई मशीन वितरित की। राजधानी रायपुर के तेलीबांधा स्थित शहीद वीर नारायण सिंह कौशल उन्नयन केन्द्र में इन महिलाओं को सिलाई मशीन के साथ-साथ उनके तात्कालिक खर्च के लिए एक-एक हजार रूपए की अग्रिम राशि भी दी।
श्रम मंत्री डॉ. डहरिया ने महिलाओं का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि पुराने काम काज के बदले में नया सम्मानजनक कार्य से उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आएगा। उन्होंने कहा कि कौशल विकास केन्द्र में सभी महिलाएं दिल से काम सीखें और आत्मनिर्भर बनकर दूसरी महिलाओं को भी प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि कौशल प्रशिक्षण में अच्छे तरीके से काम सीखने वाली दस महिलाओं को शहरी स्लम विकास योजना के अंतर्गत दुकानंे उपलब्ध करायी जाएंगी। श्रम मंत्री डॉ. डहरिया ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा गरीबी, अशिक्षा और जागरूकता के अभाव में शहरों, गलियों में इधर-उधर घुम-घुमकर कचरा बिनने वाली युवतियों की दयनीय स्थिति को भांपते हुए ऐसी युवतियों, महिलाओं को समाज की मुख्य धारा में लाने, उनकेे लिए स्थायी रोजगार की व्यवस्था कर बेहतर विकल्प तैयार करने करने के निर्देश अधिकारियों को दिए हैं। कार्यक्रम में मुख्य सचिव आर.पी. मण्डल ने कहा कि महिलाएं जीवन के हर संघर्ष में सफल होती हैं। उन्हें केवल दिशा देने की जरूरत होती है। कौशल विकास प्रशिक्षण के माध्यम से महिलाओं को सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, निश्चित रूप से उनकी जिन्दगी को बेहतर बनाएगा। उन्होंने कहा कि सभी महिलाओं को पूरे मन से प्रशिक्षण लेना है। यदि कोई काम पूरे मन से किया जाए तो निश्चत रूप से जीवन में सफलता मिलती है।
श्रम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि कचरा बीनकर जीवन यापन करने वाली युवतियों को श्रम विभाग में पंजीकृत कर उन्हें सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। प्रशिक्षण में शामिल होने से कचरा बिनने के कार्य छूटने से होने वाले वेतन नुकसान की भरपार्इ्र के रूप ऐसे हितग्राहियों को प्रति दिन तीन सौ रूपए की मान से स्टायफंड भी दिया जा रहा है। इससे अब इन युवतियों को काम का नुकसान भी नहीं होगा और प्रशिक्षण भी प्राप्त कर लेंगी। प्रशिक्षण कार्यक्रम 45 दिन ही है। अधिकारियों ने बताया कि महिलाएं प्रशिक्षण समय के बाद भी अपने घर में सिलाई का अभ्यास करेंगी। सिलाई-कढाई के सम्मानजनक रोजगार से उनकी आमदनी भी बढ़गी। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मण्डल के अध्यक्ष शफी अहमद खान, श्रमायुक्त एलेक्स पॉल मेनन, सहायक श्रमायुक्त श्रीमती सविता मिश्रा, अजितेष पाण्डेय, नगर निगम रायपुर के अपर आयुक्त लखेश्वर साहू सहित अन्य संबंधित अधिकारी और हितग्राही उपस्थित थे।