छग में 11.74 लाख लोगों को नहीं मिला 100 दिन का काम, सिर्फ 84 हजार हुए लाभान्वित
रायपुर – कोरोना वायरस के चलते उत्पन्न हुए अप्रत्याशित संकट के समाधान के लिए केंद्र सरकार ने मनरेगा के बजट में 40 हजार करोड़ रुपये की वृद्धि की थी। लेकिन इसका मजदूरों के हित में उपयोग नहीं हो सका है। एक रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 11.74 लाख लोगों को काम नहीं मिला। रिपोर्ट के अनुसार इस तरह पूर्व में निर्धारित 61,500 करोड़ रुपये को मिलाकर मौजूदा वित्त वर्ष 2020-21 के लिए मनरेगा योजना का बढक़र 1.01 लाख करोड़ रुपए हो गया। किसी वित्त वर्ष के लिए यह अब तक का सर्वाधिक मनरेगा बजट है, लेकिन इस रिपोर्ट से पता चला है कि मनरेगा का बजट बहुत तेजी से खत्म हो रहा है। सरकार को अतिरिक्त बजट आवंटन की जरूरत है क्योंकि लॉकडाउन के चलते बहुत बड़ी संख्या में श्रमिक अपने घरों को लौट आए हैं और वे मनरेगा में काम करना चाह रहे हैं।
अप्रैल 2020 तक 85 लाख नए जॉब कार्ड बने
पीपुल्स एक्शन फॉर एम्प्लॉयमेंट गारंटी (पीईएजी) के मुताबिक करीब पांच महीने में ही मनरेगा का 64 फीसदी बजट खत्म हो चुका है। 9 सितंबर 2020 तक में काम मांगने वाले 1.55 करोड़ लोगों को काम नहीं मिल पाया था। आठ सितंबर 2020 तक उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा काम मांगने वाले 35.01 लाख लोगों को मनरेगा के तहत काम नहीं मिला है। मध्यप्रदेश में 19.38 लाख, पश्चिम बंगाल में 13.03 लाख, राजस्थान में 13.78 लाख, छत्तीसगढ़ में 11.74 लाख और बिहार में 9.98 लाख लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार नहीं मिला। अप्रैल 2020 से लेकर अब तक में मनरेगा के तहत 85 लाख नए जॉब कार्ड जारी किए गए हैं, जो पिछले सात सालों की तुलना में सर्वाधिक है।
मनरेगा ट्रैकर के नाम से जारी हुई रिपोर्ट
‘मनरेगा ट्रैकर’ नाम से रिपोर्ट जारी की गई है। इसमें 100 दिन का काम पूरा करने वाले परिवारों का आगे का क्या होगा। वहीं, जो राज्य 100 दिन का काम देेने में पीछे हैं अप्रैल से अब तक 6.8 लाख परिवारों अपने 100 दिन के कार्य पूरा कर लिया है।