अब ट्रेजरी अफसर, शिक्षाविद् व वकील मिलकर तय करेंगे फीस, स्कूलों को बताना होगा फीस बढ़ाने का आधार
रायपुर- प्रदेश सरकार ने प्राइवेट स्कूलों में फीस तय करने के लिए नियम लागू कर दिए हैं। स्कूलों में फीस कितनी हो, यह सरकारी स्कूल के व्याख्याता, कोषालय अधिकारी, शिक्षाविद, कानूनविद और पैरेंट्स मिलकर तय करेंगे। इसके लिए समिति बनाई जाएगी। इसका अधिकार कलेक्टरों को दिया गया है। अब 6822 स्कूलों में पढ़ने वाले करीब दस लाख बच्चों और उनके पालकों राहत मिलेगी। इसके साथ ही 91 हजार 190 शिक्षकों और 15-20 हजार आफिस स्टाफ की सेलरी भी तय होगी। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला के हस्ताक्षर से राजपत्र में इसका प्रकाशन हो गया है। इसे छत्तीसगढ़ अशासकीय विद्यालय फीस विनिमय अधिनियम 2020 कहा जाएगा। इसके अनुसार अब सरकारी स्कूलों की ही तर्ज पर प्राइवेट स्कूलों में भी अशासकीय विद्यालय प्रबंधन समिति बनाए जाएगी। समिति में व्याख्याता या कलेक्टर चाहेंगे तो किसी अन्य अधिकारी को भी नोडल अधिकारी बना सकेंगे।
पालकों को सदस्य नियुक्त करेंगे। इनके नाम स्कूल के प्राचार्य द्वारा नामांकित किया जाएगा। समिति में जिला कोषालय अधिकारी या किसी अन्य लेखाधिकारी,शिक्षाविद,किसी वकील को प्रख्यात कानूनविद के रूप में सदस्य बनाएंगे।
खास बातें
- प्राइवेट स्कूल प्रबंधन ने समय पर पहली बार फीस का प्रस्ताव नहीं दिया, तो नोडल अधिकारी जारी कर सकेंगे नोटिस।
- नोटिस का जवाब न देने पर समिति फीस का प्रस्ताव हफ्ते में बनाकर देगी, नोडल अधिकारी के निर्देश पर।
- फीस समिति का अध्यक्ष बैठक न बुलाए तो नोडल अधिकारी बुलाएंगे बैठक।
- अध्यक्ष की अनुपस्थिति में नोडल अधिकारी होंगे अध्यक्ष।
ये अभिलेख मेनटेन करने होंगे
फीस रजिस्टर, शिक्षकों व स्टाफ को दी जाने वाली सेलरी का रजिस्टर, स्टाक रजिस्टर, व्यय पंजी, वाउचर व कैश बुक, सीए की वार्षिक आडिट रिपोर्ट। एडमिशन रजिस्टर, अटेंडेंस रजिस्टर, शिक्षकों व स्टाफ का अटेंडेंस रजिस्टर, भवन किराया रजिस्टर तथा स्कूल शिक्षा विभाग के निर्देशों के दस्तावेज।
इस तरह होगी फीस तय
कक्षा, पिछले साल की फीस, प्रस्तावित फीस, अंतर, फीस में वृद्धि का प्रतिशत व रिमार्क। फीस बढ़ाने का आधार बताना होगा। फीस में बढ़ोतरी को लेकर कौन-कौन सहमत हैं, इसके दस्तावेज पेश करने होंगे।