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होम आइसोलेशन में 44 और अस्पताल में 41 प्रतिशत कोरोना संक्रमित हुए स्वस्थ

रायपुर -राजधानी रायपुर समेत पूरे छत्तीसगढ़ में होम आइसोलेशन फार्मूला कोरोना मरीजों के लिए कामयाब रहा है। आंकड़े बता रहे हैं कि राजधानी और प्रदेश में होम आइसोलेशन वाले 76656 मरीज शनिवार को आधी रात तक ठीक हो चुके थे, जबकि उस समय तक अस्पताल-केयर सेंटरों से स्वस्थ होने वालों की संख्या 72243 है। इस तरह, कोरोना की शुरुआत से अब तक होम आइसोलेशन से 43.90 प्रतिशत व अस्पताल से 41.37 फीसदी मरीज स्वस्थ हो गए हैं। इस वजह से प्रदेश का रिकवरी रेट यानी स्वस्थ होने की दर भी बढ़ गई है। 40 दिन पहले राजधानी में रिकवरी रेट 37 फीसदी था, जो अब बढ़कर 85 फीसदी हो गया है। प्रदेश में रिकवरी रेट 45 प्रतिशत था, जो अब कुल मिलाकर 80 प्रतिशत से अधिक हो चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि होम आइसोलेशन की सुविधा की वजह से स्वस्फूर्त होकर टेस्ट करवाने वालों की संख्या भी बढ़ी है, क्योंकि पूर्व में ऐसे लोग बढ़ी संख्या में थे जो इसलिए टेस्ट नहीं करवाते थे कि पाजिटिव निकल गए तो कोविड केयर सेंटर में 15 दिन अकेले रहना पड़ेगा।
जहां तक रोजाना के आंकड़ों का सवाल है, इसमें भी होम आइसोलेशन में ठीक होने वालों की संख्या अधिक चल रही है। राजधानी में हल्के व बिना लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन की सुविधा दी जा रही है। विशेषज्ञों के अनुसार घर में तनावरहित माहौल के कारण मरीज को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।

समझिए 10 दिन के आंकड़ों से

तारीख अस्पताल होम आइसोलेशन
24 अक्टूबर 272 2053
23 अक्टूबर 283 2157
22 अक्टूबर 352 2370
21 अक्टूबर 399 1453
20 अक्टूबर 376 1910
19 अक्टूबर 428 2011
18 अक्टूबर 305 1772
17 अक्टूबर 509 2223
16 अक्टूबर 557 1982
15 अक्टूबर 529 1549

इंफेक्शन का खतरा नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल के बजाय अगर मरीज अपने घर के किसी आइसोलेटेड कमरे में रहे तो जल्दी स्वस्थ होगा। कोरोना केयर सेंटर या अस्पताल में क्रास इंफेक्शन का डर रहता है, जो होम आइसोलेशन में बिल्कुल नहीं है। यही कारण है कि मरीज को घर में अच्छा माहौल मिलता है और वह जल्दी स्वस्थ भी हो जाता है।

इसीलिए केयर सेंटर बंद
हल्के व बिना लक्षण वाले मरीज अब कोरोना केयर सेंटर जाने से बच रहे हैं। यही कारण है कि राजधानी में चार कोरोना केयर सेंटर बंद हो चुके हैं। शुरुआती दिनों में होम आइसोलेशन के लिए मरीजों को दिक्कत होती थी। स्वास्थ्य विभाग ने जब से 2 बीएचके मकान की अनिवार्यता खत्म की, तब से ज्यादातर लोग इसी को प्राथमिकता दे रहे हैं। जिन घरों में दो कमरे और अलग से टॉयलेट बाथरूम हो, वहां भी मरीज आइसोलेट रह सकता है।

होम आइसोलेशन में भी 20 लोगों की गई जान
होम आइसोलेशन में रहने वाले कई लोगों ने अपनी बीमारी छिपाई। इसका नतीजा ये हुआ कि प्रदेश में अब तक 20 ऐसे मरीजों की मौत हो चुकी है। ऐसे मरीज डायबिटीज के अलावा हायपरटेंशन व दूसरी गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे। इसके बाद भी उन्होंने यह बात छिपाई। जिला प्रशासन की भी मानीटरिंग में लापरवाही रही। जबकि डॉक्टर को दिन में कम से एक बार मरीज को जाकर देखना है। ऐसे मृतकों में सूरजपुर, नारायणपुर, बलौदाबाजार व अन्य जिलों के मरीज शामिल हैं। दुर्ग में होम आइसोलेशन का मॉडल प्रयोग के तौर पर लागू किया गया, लेकिन राजधानी में इसे वृहद तौर पर लागू किया गया और कुछ दिन में इसके अच्छे नतीजे आने के बाद सरकार ने होम आइसोलेशन की शर्तों में कई तरह की छूट भी दे दी। अधिकृत तौर पर होम आइसोलेशन 31 जुलाई से प्रदेश में लागू हुआ। यानी इलाज के इस सिस्टम को लागू हुए तीन माह भी नहीं बीत पाए हैं। राजधानी में इसके लागू होने और शर्तों में ढील की वजह से ही बड़ी संख्या में कोरोना मरीज घर में ही इलाज करवा रहे हैं, इसलिए प्राइवेट अस्पतालों में भी बेड खाली हो रहे हैं।

“हाेम आइसोलेशन में क्राॅस इंफेक्शन का खतरा नहीं रहता। मरीज सावधान रहे तो परिजन भी सुरक्षित रहते हैं। लेकिन जिन्हें कोई बड़ी बीमारी है, उन्हें होम आइसोलेशन नहीं लेना चाहिए।”
-डॉ. आरके पंडा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी

“बच्चों का इलाज होम आइसोलेशन में नहीं होता, यह डाक्टरों की देखरेख में होना चाहिए। हालांकि लोग बच्चों का भी होम आइसोलेशन मांगते हैं, लेकिन इसमें खतरा ज्यादा हो सकता है।”
-डॉ. शारजा फुलझेले, एचओडी पीडियाट्रिक्स अंबेडकर अस्पताल

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