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चीन से तनाव के बाद रायपुर की सरकारी सजावट में नो चाइना, इटली-जापान से आई लाइट्स

रायपुर -चीन से तनाव के बाद चीनी सामान का बहिष्कार इस कदर हुआ कि इस बार रायपुर ने नो चाइना की नीति के तहत शहर को सजाया। राज्योत्सव में जगह-जगह सरकारी सजावट हुई जिसमें कहीं भी चीन का सामान इस्तेमाल नहीं किया गया। जितने भी सौंदर्यीकरण हुए उनके सामान इटली-जापान से मंगाए गए। 
रायपुर के मेयर एजाज ढेबर ने बताया कि चीन से विवाद के बाद हमने तय कर लिया था कि वहां के सामान नहीं लेंगे। इसलिए इटली-जापान से खरीदी की। बूढ़ातालाब सौंदर्यीकरण में डेढ़ करोड़ रुपए की लाइटें लगाई गईं और सभी इटैलियन या जापानी हैं। डेढ़ सदी पुरानी जवाहर बाजार के ऐतिहासिक गेट में इटली की लाइटें जगमगा रही हैं। यही नहीं, पिछले दो माह में राजधानी में जितनी भी थीमेटिकट लाइट्स, झालर तथा जगमगाते हुए नारियल तथा अन्य नकली पेड़ लगे हैं, किसी में चीन का एक बल्ब भी नहीं है। दिलचस्प बात ये है कि बूढ़ातालाब सौंदर्यीकरण में 80 लाख रुपए का अलग ठेका निकालकर स्मार्ट सिटी ने टनल फाउंटेन भी बनवाया है।

जवाहर बाजार में लाइटिंग का 19 लाख का ठेका अलग से निकाला गया 
जवाहर मार्केट प्रोजेक्ट में एजेंसी समय पर काम नहीं कर पा रही थी, इसलिए सितंबर-अक्टूबर में लाइटिंग के लिए 19 लाख की लाइटों का ठेका अलग निकाला गया। जयस्तंभ चौक और स्मार्ट सिटी के द्वारा हालिया रेनोवेट किए गए तीन अंग्रेजी मीडियम स्कूलों जैसे कामों में लाइटिंग का बंदोबस्त एजेंसी से ही करवाया गया है। जयस्तंभ चौक के 80 लाख के प्रोजेक्ट में लाइटिंग पर 5 लाख रुपए खर्च किए गए हैं। जबकि 10 करोड़ में तैयार किए गए स्कूलों में स्कूलों के लिहाज से कमरों ग्राउंड में लाइटिंग ठेके में ही शामिल है। यह लाइटें भी भारतीय या फिर जापानी हैं।

बोट इंजन भी जापान का ही, पार्क में लगे झूले से लेकर डस्टबिन अरब देशों के 
बूढ़ातालाब के सौंदर्यीकरण में इस्तेमाल कई सामान और उपकरण विदेशी हैं। जैसे, तालाब में जितनी भी बोट उतारी गई हैं, उनके इंजन जापान के हैं। पार्क में लगे झूले से लेकर डस्टबिन वगैरह भी मध्यपूर्व तथा अरब देशों से मंगवाए गए हैं। हालांकि यह सारी चीजें स्थानीय सप्लायरों से ही खरीदी गई हैं। जहां तक बूढ़ातालाब का सवाल है, यहां 86 ट्यूबलेटर, 300 ट्री लाइट, 100 से ज्यादा हाइलाइटर्स लगे हैं। रोज शाम 6 बजे से रात 10 के बीच सारी लाइटें अपने आप जलेंगी और बुझेंगी। हर महीने बिजली का खर्च 25 से 30 हजार रुपए आने का अनुमान लगाया जा रहा है।

cgnewstime

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