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आइए जानते है धन्वंतरि धनतेरस कब है? इस दिन क्या खरीदना चाहिए और क्या नहीं

धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश मूर्ति स्थापित करना शुभ होता है -भगवताचार्य पंडित राजेंद्रकृष्ण पांडेय

 

सुशील तिवारी

कोरबा -कार्तिकक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धन्वंतरि धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस साल धन्वंतरि धनतेरस 13 नवंबर2020 को मनाया जाएगा। इस दिन पीतल या चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। मान्यता है कि इस दिन जो भी खरीदा है, वह लाभकारी होता है। साथ ही धन-संपदा में भी वृद्धि होती है। धनतेरस पर खरीदारी के साथ शुभ कार्य भी किए जाते हैं। इस दिन विशेष रूप से सोने और चांदी के आभूषण खरीदना शुभ होता है। जानिए धनतेरस के दिन किन चीजों की खरीदारी करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।

1. कुबेर यंत्र और महालक्ष्मी यंत्र-
कहते हैं कि धन्वंतरि धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की कृपा पाने के लिए कुबेर यंत्र और महालक्ष्मी यंत्र खरीदना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि के साथ वैभव आता है। श्रीयंत्र को घर को घर या दुकान की तिजोरी में स्थापित करें।

2. लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति-
धन्वंतरि धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति स्थापित करना शुभ होता है। कहते हैं कि दिवाली के पहले धनतेरस पर लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति लाना शुभ होता है।

3. सोने-चांदी के सिक्के खरीदना होता है शुभ-

धनतेरस पर सोने या चांदी के सिक्के खरीदना शुभ होता है। इसके अलावा चांदी के बर्तन भी खरीदे जाते हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, धनतेरस के दिन खरीदे जाने वाले गहने, सिक्कों, बर्तनों की भी दिवाली के दिन गणेश-लक्ष्मी पूजन के दौरान पूजा करनी चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने धन की देवी मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।

4. धनिए के बीज-

धनतेरस पर धनिए के बीज की खरीदारी को शुभ माना जाता है। कहते हैं कि धनिए के बीज का इस्तेमाल गणेश-लक्ष्मी पूजन में करना चाहिए। साथ ही धनिया का बीज तिजोरी में भी रखना शुभ होता है।

धनतेरस पर इन चीजों की न करें खरीदारी-

धनतेरस पर लोहे की वस्तुओं की खरीदारी नहीं करनी चाहिए।

लोहा शनि का कारक माना गया है। मान्यता है कि धनतेरस पर लोहे की चीजों को खरीदने से दुर्भाग्य आता है। इसके अलावा धनतेरस के दिन चीनी मिट्टी की बनी हुई चीजों को भी नहीं खरीदना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से घर में बरकत कम होती है।

धनतेरस तिथि – शुक्रवार, 13 नवंबर 2020

धनतेरस पूजन मुर्हुत – शाम 05:25 बजे से शाम 05:59 बजे तक

प्रदोष काल – शाम 05:25 से रात 08:06 बजे तक

वृषभ काल – शाम 05:33 से शाम 07:29 बजे तक

(इस आलेख में दी गई जानकारियां धार्मिक आस्थाओं और लौकिक मान्यताओं पर आधारित हैं, जिसे मात्र सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर प्रस्तुत किया गया है

sushil tiwari

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